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कबड्डी में जीत के बाद गोल्ड मेडल लेने जाना था, जिस्मफरोशी के बाजार में पहुंचा दी गई नाबालिग लड़की

दिल्ली के जीबी रोड रेडलाइट एरिया में पुलिस ने छापा मारकर दो नाबालिग लड़कियों को बचाया, कोठे पर उनसे कराई जा रही थी वैश्यावृत्ति

कबड्डी में जीत के बाद गोल्ड मेडल लेने जाना था, जिस्मफरोशी के बाजार में पहुंचा दी गई नाबालिग लड़की
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली (Delhi) के चमकदार दामन पर एक काला धब्बा है, जिसे हम जीबी रोड कहते हैं. इस रेड लाइट एरिया (GB Road red light area) को हम अनदेखा नहीं कर सकते. इसका कारण खास यह है कि इस इलाके में नाबालिग लड़कियों (Minor Girls) को वेश्यावृत्ति (prostitution) के दलदल में धकेल दिया जाता है. वहां उनकी जिंदगी का सौदा कुछ हजार रुपये में कर दिया जाता है. 

उत्तर प्रदेश की एक नाबालिग लड़की को स्कूल स्तर की कबड्डी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिला था, लेकिन जब वह स्कूल में गोल्ड मेडल लेने जा रही तो तो उसकी मां ने उसे स्कूल जाने से रोक दिया. इसी बात से नाराज होकर वह लड़की दिल्ली आ गई. दिल्ली में वह एक दलाल के चंगुल में फंस गई जिसने उसे जीबी रोड के कोठे में बेच दिया. अब एक साल बाद पुलिस ने उस लड़की को कोठे से रिहा कराया है. 

उसके साथ यूपी की एक और नाबालिग लड़की मिली है. दलाल ने उसका नया आधार कार्ड बनाकर उसे बालिग बना दिया. अब दिल्ली पुलिस ने इस पूरे नेक्सस का भंडाफोड़ किया है और कोठे की मालकिन समेत उस दलाल को भी पकड़ लिया है. सूत्रों के मुताबिक इस गिरोह ने कई लड़कियां खरीदी और बेची हैं.

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मां ने स्कूल जाने से रोका, लड़की दिल्ली पहुंच गई

सूत्रों के मुताबिक यूपी की रहने वाली रिया (बदला हुआ नाम) को कबड्डी में जीत के बाद गोल्ड मेडल लेने के लिए 23 जून 2023 को अपने स्कूल जाना था. लेकिन उसकी मां ने उसे स्कूल नहीं जाने दिया. वह इससे नाराज होकर नई दिल्ली स्टेशन आ गई. यहां उसे एक दलाल मिला. उसने उसे बहला फुसलाकर करीब 60 हजार रुपये में जीबी रोड के एक कोठे में बेच दिया. यहां रिया की जिंदगी नर्क से भी बदतर हो गई.

कोठों के 'नरक' में लड़कियों का बुरा हाल 

मनोबल एनजीओ चलाने वाली निर्मला वाल्टर के मुताबिक, ''जब पुलिस कोठों पर जाती है तो इन लड़कियों को छिपा देते हैं. सामने आने ही नहीं देते हैं. तहखानों में छिपा देते हैं. उनसे कहते हैं कि सच नहीं बताना है. उनको डराकर रखते हैं कि पुलिस से कुछ बताओगी तो जेल में डाल देंगे. वे लड़कियों को मारते हैं, खाना नहीं देते हैं. अंदर बहुत खराब हालात होते हैं. वे एक शब्द नहीं बोल पातीं. आप नाम पूछोगे वो उम्र बताएगी, उनको वही रटाया गया है. वे जो पैसा कमाती हैं वह भी छीन लेते हैं.''

दिल्ली पुलिस ने 16 जुलाई की रात में कोठा नंबर 59 में छापा मारा तो रिया के साथ एक और नाबालिग लड़की को वहां से रिहा कराया गया. दरअसल कोठे की मालकिन दोनों को बालिग बता रही थी लेकिन लड़कियां कद काठी से नाबालिग लग रही थीं. पुलिस को यहीं से शक हुआ और फिर कोठा मालकिन किरण देवी को पकड़ा गया. किरण देवी ने बताया कि उसने लड़की को संजय और ऋषि के जरिए खरीदा था.

लड़कियों को बालिग दिखाने के लिए फर्जी आधार कार्ड

जांच के दौरान पता चला कि एक आरोपी लालाराम, जो कि सब्जी मंडी इलाके का रहने वाला है, ने लड़कियों को बालिग दिखाने के लिए उनके फर्जी आधार कार्ड बनाए थे. इसके बाद पुलिस ने 48 साल के आरोपी लालाराम को गिरफ्तार कर लिया. उसके यहां से 6 आधार कार्ड और लड़के, लड़कियों के 14 फोटो बरामद हुए. 

इससे पहले 12 जुलाई को कोठा नंबर 42 से एक नाबालिग लड़की को रिहा कराया गया था. बीते पांच महीने के अंदर पुलिस जीबी रोड से 32 महिलाओं को रिहा करा चुकी है.

सूत्रों के मुताबिक इस गैंग ने कई लड़कियों को बेचा-खरीदा है. पुलिस इस नेक्सस की जांच कर रही है कि आखिर कैसे यह लड़कियों को निशाना बनाते हैं, उन्हें कोठे में बेचते हैं और फिर किस तरह उनको बालिग दिखाने के लिए उनके फर्जी आधार कार्ड तैयार करते हैं.

महिला चौकी की स्थापना

रेड लाइट एरिया जीबी रोड पर लगातार हो रही महिला तस्करी को रोकने के लिए महिला चौकी की जरूरत पड़ी. दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा, ज्वाइंट सीपी परमादित्य और डीसीपी सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट हर्षवर्धन ने इस रेड लाइट एरिया में महिला चौकी बनाने का फैसला लिया. 18 फरवरी 2024 को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा महिला चौकी की स्थापना की गई और किरण सेठी को इसकी पहली महिला चौकी इंचार्ज बनाया गया.

महिला चौकी की सफलता

जीबी रोड पर महिला चौकी बनने के बाद पांच महीने के भीतर 32 लड़कियों को नर्क से निकाला गया. 12 जुलाई को मनोबल नाम के एनजीओ के साथ महिला चौकी इंचार्ज की टीम ने छापामारी करके कोठा नंबर 42 से एक नाबालिग को जिस्मफरोशी के दलदल से बाहर निकाला. इसी एनजीओ ने महिला पुलिस चौकी दल सहित एक बार फिर, 16-17 जुलाई  को छापामारी करके दो नाबालिग लड़कियों को कोठा नंबर 59 से आजाद करवाया.

दरिंदगी की शिकार लड़कियां

जीबी रोड की काली हकीकत बहुत ही डरावनी है. महिला तस्कर इन लड़कियों को बेचने से पहले उनके साथ रेप करते हैं और उनकी उम्र बड़ी लगे इसके लिए हार्मोंस के इंजेक्शन और दवाईयां दी जाती हैं. एक दिन में एक लड़की को कई लोगों की हवस का शिकार होना पड़ता है. 

नई दिल्ली स्टेशन मानव तस्करी का अड्डा 

जीबी रोड के कोठों से रेस्क्यू करवाई गई ज्यादातर लड़कियों ने बताया कि वे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरीं, उसके बाद उनको अंजान शख्स मिला और काम दिलाने की बात कहकर कोठे पर बेच गया. पुलिस की पूछताछ में अधिकतर लड़कियों के यही बयान हैं.

पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नाबालिग लड़कियों के फर्जी आधार कार्ड में उम्र ज्यादा लिखवाई जाती है. इसमें एक सुनील मैसी उर्फ लालाराम नाम का आदमी पकड़ा गया है जो नाबालिग लड़कियों की उम्र बढ़ाकर फर्जी आधार कार्ड बनाया करता था. यह सब्जी मंडी पुल बंगश का रहने वाला है.

यह कहानी जीबी रोड की काली हकीकत को उजागर करती है. जहां देश की महिला खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय खेलों  में पदक हासिल करके भारत का गौरव बढ़ा रही हैं वहीं एक उभरती हुई महिला खिलाड़ी को दरिंदों की बस्ती में धकेल दिया गया. वहां उसके साथ हवस का खेल खेला जाता था. यह घटना देशभर को शर्मसार करने वाली है.

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