Glenn Maxwell: क्रिकेट के नये सुपरमैन ग्लेन मैक्सवेल की 201 नॉट आउट वाली पारी को मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने बेहतरीन तरीक़े से डिकोड किया है, समझाया है. उन्होंने X (ट्विटर) पर पोस्ट किया, “ज़िन्दगी और क्रिकेट में कई समानताएं हैं. कुछ चीज़ें जो ज़िंदगी में आपको पीछे ले जाती हैं, वही स्प्रिंग की तरह आगे भी ले जाती हैं. उस मैच में क्रैंप की वजह से मैक्सवेल का फ़ुटवर्क नहीं चला. इसलिए उन्हें क्रीज़ में ही रहना था. लेकिन इससे उन्हें अपना सर स्टेडि (स्थिर) रखने में मदद मिली. इससे वो बॉल को नज़दीक से देख पा रहे थे. हैंड-आई कॉर्डिनेशन और बेहद तेज़ स्पीड वाले बल्ले के सहारे वो रन बनाते रहे. अलग फ़ॉर्मैट और अलग स्टेज पर अलग फ़ुटवर्क की ज़रूरत होती है. मगर, कई बार नो-फ़ुटवर्क ही बेस्ट फ़ुटवर्क बन जाता है. ”
Life and cricket have many parallels. Sometimes, like a spring, what pulls you back is also what propels you forward.
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) November 8, 2023
During yesterday's game, @Gmaxi_32's cramps constrained his footwork. He had to stay put at the crease, but that enabled him to have a steady head, watch the… pic.twitter.com/8ZEp6m6gC8
मैच के बाद मैक्सवेल अपने दर्द के आगे जीत की दास्तां सुनाई. उन्होंने बताया कि कैसे वो पूरे शरीर के दर्द से लड़ रहे थे. उनके फ़िज़ियो निक जोन्स ने उनकी मदद की जिसके सहारे वो मुंबई के वानखेड़े में 34 डिग्री तापमान और 80% नमी के बावजूद इससे उबरने में कामयाब रहे. वो इन हालात में वानखेड़े में पहले ही 10 ओवर गेंदबाज़ी (10-0-55-1) कर चुके थे . बल्लेबाज़ी (201*, 128 गेंद, 181 मिनट, 21 चौके, 10 छक्के) करते वक्त उनका शरीर पूरी तरह अकड़ चुका था.
मैक्सवेल कहते हैं, “मैं और पैटी (पैट कमिंस) वहां लुत्फ़ उठा रहे थे. एक दूसरे से मज़ाक कर वहां टिकने की कोशिश कर रहे थे..... हमारे फ़िज़ियो निक जोन्स ने ये कहकर हौसला बढ़ाया कि हम इन हालात से पहले गुज़र चुके हैं..” मैक्सवेल ने ये भी बताया कि फ़िज़ियो जोन्स ने साफ़ कर दिया था कि ड्रेसिंग रूम जाकर लौटना मुमकिन नहीं होगी. शरीर ठंडा हुआ तो और मुश्किल हो सकती थी. ड्रेसिंग रूम तक सीढ़ियों से जाना भी मुमकिन नहीं नज़र था. ऐसे में फ़िज़ियो जोन्स ने एक सटीक सलाह दी, "अपने पंजों पर खड़े रहिए और कम से कम दौड़िए. मुझे लगताहै आप टिके रह सकते हैं."\
मैक्सवेल को पिछले मैच से पहले गॉल्फ़ कार्ट से गिरने पर कनकशंस (सर में चोट) हो गया था. फिर इस मैच के दौरान ना सिर्फ़ उनका हैमस्ट्रिंग खिंचा, पंजों से ऊपर तक क्रैंप होता रहा, काफ़ की मांसपेशी और पीठ की मांसपेशी भी खिंच गईं. मतलब सिर्फ़ उनके हाथ चलते रहे और छाती और गर्दन के ऊपर का हिस्सा सही काम करता रहा. लेकिन मैक्सवेल का मैजिक चलता रहा. फ़ैंस सन्न होकर इस मैजिक का लुत्फ़ उठाते रहे.
पूर्व भारतीय क्रिकेटर रीतिंदर सिंह सोढी कहते हैं, “ऐसी पारी ना खेली गई है और ना कभी खेली जाएगी." डेल्ही डेयरडेविल्स के पूर्व फ़िज़ियो 2018 में मैक्सवेल के साथ काम कर चुके हैं फ़िज़ियोथेरपिस्ट दीपक सूर्या कहते हैं, "मैक्सवेल कमाल के दृढ़ निश्चयी हैं. जो ठान लेते हैं वो करकेरहते हैं."
पूर्व भारतीय क्रिकेटर मो. कैफ़, जो खुद नैटवेस्ट के फ़ाइनल के दौरान, 21 साल पहले, लॉर्ड्स पर 146/5 से खेलते हुए 326/8 का सफ़र करवा कर टीम इंडिया को ख़िताबी जीत दिला चुके हैं, कहते हैं, “ऐसी पारी कभी नहीं देखी.“ तब मो. कैफ़ ने उस मैच में 75 गेंदों पर 87 रन बनाकर अनहोनी कर दी थी, जिसे आज भी बड़े चाव से याद किया जाता है.
सचिन के शब्दों में, “ बेइंतहा (मैक्स) दबाव से बेमिसाल (मैक्स) प्रदर्शन तक! ये मेरे जीवन में देखी गई की अबतक की बेहतरीनम पारी है.”
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