जस्टिस लोढा पैनल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय से नियुक्त लोढ़ा पैनल के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आरएम लोढा ने सर्वोच्च अदालत में अपनी स्थिति रिपोर्ट में बोर्ड के शीर्ष पदाधिकारियों को बर्खास्त करने का अनुरोध करते हुए कहा कि बीसीसीआई को पैनल की सिफारिशों पर बहस करने का पूरा मौका मिला था. पैनल द्वारा स्थिति रिपोर्ट दायर किेए जाने के बाद न्यायमूर्ति लोढा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला सर्वोपरि होता है. (लोढा कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, BCCI के शीर्ष पदाधिकारियों को हटा दिया जाए...)
पैनल ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को सर्वोच्च अदालत के निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के कारण पद से बर्खास्त करने की अपील की है. बीसीसीआई ने लोढा पैनल की आमूलचूल परिवर्तन की सिफारिशों के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने वाली 5 सदस्यीय पीठ में प्रधान न्यायाधीश को भी नहीं रखने की भी अपील की थी.
न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘‘जो भी सिफारिश बीसीसीआई को मंजूर नहीं थी, उसका विरोध किया गया और उन्हें जिरह का पूरा मौका मिला. सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया कि किसी की योग्यताओं और क्षमताओं को कम करके नहीं आंका जाता, हम सभी उच्चतम न्यायायल के आगे नतमस्तक हैं.’’ (सुप्रीम कोर्ट की फटकार का असर, BCCI दो चयनकर्ताओं गगन खोड़ा और जतिन पराजंपे को हटा सकता है...)
न्यायमूर्ति लोढा से पूछा गया कि क्या वह सिफारिशों पर आगे की चर्चा के लिए बीसीसीआई के साथ बात करने के लिए तैयार हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मामले में कोई पक्षकार नहीं हैं, बातचीत का सवाल ही पैदा नहीं होता. हम तो बस उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू कर रहे हैं.’’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पैनल ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को सर्वोच्च अदालत के निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के कारण पद से बर्खास्त करने की अपील की है. बीसीसीआई ने लोढा पैनल की आमूलचूल परिवर्तन की सिफारिशों के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने वाली 5 सदस्यीय पीठ में प्रधान न्यायाधीश को भी नहीं रखने की भी अपील की थी.
न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘‘जो भी सिफारिश बीसीसीआई को मंजूर नहीं थी, उसका विरोध किया गया और उन्हें जिरह का पूरा मौका मिला. सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया कि किसी की योग्यताओं और क्षमताओं को कम करके नहीं आंका जाता, हम सभी उच्चतम न्यायायल के आगे नतमस्तक हैं.’’ (सुप्रीम कोर्ट की फटकार का असर, BCCI दो चयनकर्ताओं गगन खोड़ा और जतिन पराजंपे को हटा सकता है...)
न्यायमूर्ति लोढा से पूछा गया कि क्या वह सिफारिशों पर आगे की चर्चा के लिए बीसीसीआई के साथ बात करने के लिए तैयार हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मामले में कोई पक्षकार नहीं हैं, बातचीत का सवाल ही पैदा नहीं होता. हम तो बस उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू कर रहे हैं.’’
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