बच्चों के साथ सचिन (फाइल फोटो)
मुंबई:
सचिन तेंदुलकर ने रविवार को ही अपना जन्मदिन मनाया है। वह 43 साल के हो गए हैं। उनसे जुड़ा एक ऐसा वाकया है, जिसे सुनकर आप कहेंगे कि क्या सचिन भी ऐसा कर सकते हैं। दरअसल भारत रत्न सचिन तेंदुलकर एक मैच के बाद इतने भावुक हो गए थे कि ड्रेसिंग रूम में ही फूट-फूटकर रोने लगे। उस वक्त उनको टीम इंडिया की जर्सी नहीं मिली थी और वह सिर्फ 12 साल के थे। यह सचिन का मुंबई के लिए पहला मैच था, जो पुणे में मैच खेला गया था। इतना ही नहीं उनके पास टैक्सी के लिए पैसे भी नहीं थे।
हो गई बारिश और...
मुंबई में मंगलवार को एक कार्यक्रम में सचिन ने बताया, "मैं सिर्फ 12 साल का था, जब मुंबई के लिए मेरा चयन हुआ था, वह मेरा पहला दौरा था। मैं काफी उत्सुक था और कुछ पैसे लेकर हम तीन मैच के लिए पुणे गए थे, लेकिन जैसे ही मैच शुरू हुआ बारिश होने लगी, हम उम्मीद कर रहे थे कि बारिश रुके तो हम थोड़ा क्रिकेट खेल पाएंगे। जब मेरा मौका आया तो मैं 4 रन पर रनआउट हो गया। मैं सिर्फ 12 साल का था, ठीक से विकेट के बीच दौड़ नहीं पाया, मैं निराश था लौटकर ड्रेसिंग रूम में ख़ूब रोया। इसके बाद मुझे दोबारा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला।'
फिल्म देखी, खाया-पिया और पैसे हो गए खत्म
उन्होंने कहा, "क्योंकि बरसात हो रही थी और पूरे दिन हमने कुछ नहीं किया और बिना यह जाने कि पैसे कैसे खत्म करने हैं फिल्म देखी, खाया पिया।"
सचिन ने कहा, "मैंने सारे पैसे खत्म कर दिए थे और जब मैं मुंबई वापस लौटा तो मेरी जेब में एक भी पैसा नहीं था। मेरा पास दो बैग थे। हम दादर स्टेशन पर उतरे और वहां से मुझे शिवाजी पार्क तक पैदल जाना पड़ा क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे।"
अंजलि से मिलने के लिए लौटता था वापस
अंजलि से शादी से पहले मेल-जोल में कितनी मुश्किल आती थी इस बारे में सचिन ने बताया, "मैं बांद्रा से जेजे तक ड्राइव करके जाता था, लेकिन वहां जाकर पता चलता था कि अंजलि किसी मरीज़ को देखने में व्यस्त हैं और वह नहीं आ सकतीं। मैं थोड़ी देर परेशान होता था फिर वापस लौटकर आता था फोन लगाता था, अंजलि के बारे में पता करता था, यह कहने के लिए कि मैं 45-50 मिनट में वापस आ रहा हूं।"
खाली समय में यह करते हैं सचिन
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारत रत्न सचिन तेंदुलकर क्या कर रहे हैं, यह सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। सचिन अक्सर इस पर कुछ बोलने से बचते हैं, लेकिन मंगलवार को उन्होंने बताया कि खाली वक्त के बीच उन्हें सबसे ज्यादा किस काम से खुशी मिलती है।
सचिन ने कहा, "अपने जन्मदिन के मौके पर मैंने बच्चों से वादा किया था कि उनके साथ मैं क्रिकेट खेलूंगा, जो मैंने सुबह 8.30 बजे से किया। इन कैंसर पीड़ित बच्चों को लेकर उनके माता-पिता भारी तनाव में रहते हैं। मेरा कहने का मतलब है आप उनके चेहरे को देखें कोई भी इस स्थिति में नहीं रहना चाहता, हम शायद खुशकिस्मत हैं कि उनकी मदद कर सकते हैं।'
हो गई बारिश और...
मुंबई में मंगलवार को एक कार्यक्रम में सचिन ने बताया, "मैं सिर्फ 12 साल का था, जब मुंबई के लिए मेरा चयन हुआ था, वह मेरा पहला दौरा था। मैं काफी उत्सुक था और कुछ पैसे लेकर हम तीन मैच के लिए पुणे गए थे, लेकिन जैसे ही मैच शुरू हुआ बारिश होने लगी, हम उम्मीद कर रहे थे कि बारिश रुके तो हम थोड़ा क्रिकेट खेल पाएंगे। जब मेरा मौका आया तो मैं 4 रन पर रनआउट हो गया। मैं सिर्फ 12 साल का था, ठीक से विकेट के बीच दौड़ नहीं पाया, मैं निराश था लौटकर ड्रेसिंग रूम में ख़ूब रोया। इसके बाद मुझे दोबारा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला।'
फिल्म देखी, खाया-पिया और पैसे हो गए खत्म
उन्होंने कहा, "क्योंकि बरसात हो रही थी और पूरे दिन हमने कुछ नहीं किया और बिना यह जाने कि पैसे कैसे खत्म करने हैं फिल्म देखी, खाया पिया।"
सचिन ने कहा, "मैंने सारे पैसे खत्म कर दिए थे और जब मैं मुंबई वापस लौटा तो मेरी जेब में एक भी पैसा नहीं था। मेरा पास दो बैग थे। हम दादर स्टेशन पर उतरे और वहां से मुझे शिवाजी पार्क तक पैदल जाना पड़ा क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे।"
अंजलि से मिलने के लिए लौटता था वापस
अंजलि से शादी से पहले मेल-जोल में कितनी मुश्किल आती थी इस बारे में सचिन ने बताया, "मैं बांद्रा से जेजे तक ड्राइव करके जाता था, लेकिन वहां जाकर पता चलता था कि अंजलि किसी मरीज़ को देखने में व्यस्त हैं और वह नहीं आ सकतीं। मैं थोड़ी देर परेशान होता था फिर वापस लौटकर आता था फोन लगाता था, अंजलि के बारे में पता करता था, यह कहने के लिए कि मैं 45-50 मिनट में वापस आ रहा हूं।"
खाली समय में यह करते हैं सचिन
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारत रत्न सचिन तेंदुलकर क्या कर रहे हैं, यह सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। सचिन अक्सर इस पर कुछ बोलने से बचते हैं, लेकिन मंगलवार को उन्होंने बताया कि खाली वक्त के बीच उन्हें सबसे ज्यादा किस काम से खुशी मिलती है।
सचिन ने कहा, "अपने जन्मदिन के मौके पर मैंने बच्चों से वादा किया था कि उनके साथ मैं क्रिकेट खेलूंगा, जो मैंने सुबह 8.30 बजे से किया। इन कैंसर पीड़ित बच्चों को लेकर उनके माता-पिता भारी तनाव में रहते हैं। मेरा कहने का मतलब है आप उनके चेहरे को देखें कोई भी इस स्थिति में नहीं रहना चाहता, हम शायद खुशकिस्मत हैं कि उनकी मदद कर सकते हैं।'
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