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This Article is From Oct 22, 2017

खुशी-खुशी चाइनीज खाने गए थे सचिन तेंदुलकर, लेकिन दोस्‍तों के कारण भूखे ही लौटना पड़ा था..

मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर को खाने का बहुत शौक है. मौका मिलने पर वे अपने घर में खाना भी पकाते हैं.

खुशी-खुशी चाइनीज खाने गए थे सचिन तेंदुलकर, लेकिन दोस्‍तों के कारण भूखे ही लौटना पड़ा था..
सचिन तेंदुलकर बचपन में दोस्‍तों के साथ चाइनीज फूड बाहर खाने गए थे (फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
‘चेज योर ड्रीम्स’ नाम की किताब में है इस घटना का जिक्र
यह सचिन की आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ पर आधारित है
मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर को खाने का बहुत शौक है
नई दिल्‍ली: मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर को खाने का बहुत शौक है. मौका मिलने पर वे अपने घर में खाना भी पकाते हैं. एक बार उन्‍होंने दोस्‍तों के साथ चाइनीज फूड खाने की योजना बनाई थी. उनका चाइनीज फूड का मजा लेने का यह पहला अनुभव काफी निराशाजनक रहा था और उन्हें घर भूखे-प्यासे लौटना पड़ा था. तेंदुलकर को अपनी मां के हाथ का खाना बहुत पसंद था, लेकिन ऐसा नौ साल के होने तक ही था क्योंकि इसके बाद उन्होंने पहली बार चीन के खाने का स्वाद चखा था.मुंबई में 1980 के दशक में चाइनीज फूड बहुत लोकप्रिय हो रहा था. इसके बारे में इतना सुनने के बाद उनकी कालोनी के दोस्तों ने एक साथ मिलकर इसे खाने की योजना बनाई थी. सचिन ने एक नई किताब में इस घटना को याद किया है, ‘हम सभी ने 10-10 रुपए का योगदान किया जो उस समय काफी पैसे होते थे. मैं कुछ नया आजमाने के लिये काफी रोमांचित था.’हालांकि वह शाम काफी निराशाजनक साबित हुई क्योंकि उन्हें इस ग्रुप में सबसे छोटा होने का खामियाजा भुगतना पड़ा.

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उन्होंने इसमें कहा, ‘उस रेस्त्रां में हमने चिकन और स्वीट कॉर्न सूप आर्डर किया. हम लंबी टेबल पर बैठे थे और जब सूप दूसरे छोर से मेरे पास आया तो इसमें थोड़ा सा ही बचा था. ग्रुप के बड़े लड़कों ने ज्यादातर सूप खत्म कर दिया था और हम छोटों के लिये बहुत ही कम बचा था.’ लेकिन यह सब यहीं तक सीमित नहीं रहा. उन्होंने कहा, ‘यही चीज फ्राइड राइस और चाउमिन के साथ भी हुई और मुझे दोनों में से केवल दो चम्मच ही खाने को मिली. बड़े लड़कों ने हमारे खर्चे पर पूरा लुत्फ उठाया जिससे में भूखा, प्यास घर लौटा.’ हैचेट इंडिया ने बच्चों के लिये ‘चेज योर ड्रीम्स’ नाम की किताब निकाली है जो तेंदुलकर की आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ पर आधारित है. (इनपुट: एजेंसी)

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