वीरेंद्र सहवाग (फाइल फोटो)
अपनी आक्रामक बैटिंग से दुनिया के अच्छे से अच्छे बॉलर की लाइन-लेंथ बिगाड़ देने वाले वीरेंद्र सहवाग की बैटिंग को लेकर अपनी ही थ्योरी रही। यदि उनसे यंगस्टर्स को सलाह देने के लिए कहा जाए, तो यही कहते हैं- 'विकेट की बॉल रोक के, बाकी बॉल ठोक के' यानी विकेट की लाइन में आ रही गेंद को सम्मान दें और अन्य गेंदों की दिल खोलकर धुनाई करें। तभी तो संन्यास लेने के बाद उन्होंने उनको सलाह देने वाले एक्सपर्ट्स से माफी मांगते हुए कहा कि वे उनकी सलाह पर अमल नहीं कर सके, क्योंकि वे वही करते हैं, जो उन्हें सही लगता है। वीरू अपनी बेबाक बातों के लिए जाने जाते हैं और यही है 'वीरू स्टाइल'।
बॉल को हिट कर पाना ज्यादा जरूरी
सहवाग का मानना है कि अच्छी बैटिंग के लिए जरूरी है कि आप गेंद को समझकर उसे सही तरीके से हिट कर पाएं। यदि आप ऐसा कर पा रहे हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका फुट मूवमेंट कैसा है, या आपके सिर की पोजिशन क्या है। यानी अंतिम उद्देश्य गेंद को सही अंजाम तक पहुंचाना होना चाहिए, तकनीक मायने नहीं रखती। वीवीएस लक्ष्मण के अनुसार उन्हें अपनी स्ट्रेंथ पता थी, इसीलिए वे बॉलर के लेवल की परवाह किए बिना अपनी इच्छा अनुसार बैटिंग कर पाते थे। फिर चाहे उनके सामने तूफानी शोएब अख्तर, ब्रेट ली हों, या फिरकी के उस्ताद शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन। (पढ़ें, 'सीधी बात नो बकवास' में यकीन रखते आए हैं नज़फगढ़ के नवाब सहवाग)
हॉफ हार्टेड शॉट नहीं खेलना
चाहे बैटिंग का मामला हो, या गेंदबाजी का। सहवाग के अनुसार डरना मना है। वे गेम की एनालिसिस पर ध्यान नहीं देते थे। वे सारे फैसले मैदान पर ही तुरंत लेते थे, और वही करते रहे, जो उन्हें उचित लगा। यहां तक कि कप्तानी के दौरान जब गेंदबाज उनसे सलाह मांगते थे, तो वे तपाक से कहते 'बॉलर तू है मैं'। यानी जिसका काम है, वही तरीके खोजे। उनका एक ही सिद्धांत रहा, जो भी करें बिना डरे और दबंगई के साथ करें यानी हॉफ हार्टेड शॉट नहीं खेलना। (पढ़ें, इधर हम इंग्लैंड के उन 325 रनों को लेकर तनाव में थे, उधर सहवाग सीटी बजा रहे थे : गांगुली)
केयरफ्री बैटिंग, क्षमताओं पर भरोसा
वीरू कई बार अहम मौकों पर घटिया शॉट खेलकर आउट हो जाते थे। इस पर एक्सपर्ट्स उन्हें टिककर खेलने की सलाह देते, उनकी तकनीक की आलोचना करते, लेकिन उन्होंने इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया और अपनी केयरफ्री बैटिंग जारी रखी। उनके अनुसार यदि बॉल मारने लायक है, तो उसे बाउंड्री के बाहर ही होना चाहिए। भले ही चूक होने पर विकेट चला जाए। लक्ष्मण के अनुसार सहवाग को अपनी क्षमताओं पर गजब का भरोसा था। उन्होंने लक्ष्मण से एक बार कहा था कि वे टेस्ट में उनके द्वारा कोलकाता में बनाए गए 281 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे और इंडिया की ओर से तिहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज होंगे। बाद में वीरू ने इसे कर दिखाया और पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में तिहरा शतक लगाकर 'मुल्तान के सुल्तान' बन गए।
शादी का प्रपोजल भी खास अंदाज में
वीरेंद्र सहवाग की शादी उनकी बचपन की दोस्त आरती से हुई है। अपने अनूठे अंदाज और हमेशा हंसी-मजाक के मूड में रहने वाले के लिए सहवाग ने शादी के लिए भी मजाकिया अंदाज में प्रपोज किया था। आरती ने इस मजाक को वास्तविक प्रपोजल समझकर तुरंत हां भी कर दिया। हालांकि वीरू ने आरती के हां करने के बावजूद शादी करने में 3 साल लगा दिए। उनकी शादी करीब 14 साल की दोस्ती के बाद अप्रैल, 2004 में हुई थी। इस बात का खुलासा खुद वीरेंद्र सहवाग ने किया था।
बेबाकी से रखते अपनी बात
वीरू हमेशा अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, बिल्कुल अपने क्रिकेटिंग शॉट की तरह। चाहे फिर क्रिकेटरों को सलाह देना हो या मंच पर अपनी बात रखनी हो। एक इवेंट के दौरान जब बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान ने वीरेंद्र सहवाग से पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच में शोएब अख्तर द्वारा बार-बार परेशान किए जाने वाली घटना के बारे में पूछा, तो उन्होंने पूरा मामला बताया। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में एक मैच के दौरान शोएब अख्तर बाउंसर फेंकता और पास आकर मुझसे बोलता हुक मारकर दिखा। जब ये बात उसने कई बार रिपीट की, तो मैंने कहा- वो तेरा बाप (सचिन) खड़ा है, नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर, उसको बोल, वो मारकर दिखाएगा। शोएब ने अगले ओवर में सचिन को बाउंसर फेंका तो उन्होंने हुक करते हुए सिक्स लगा दिया। तब मैं अख्तर के पास गया और कहा- बेटा-बेटा होता है और बाप-बाप होता है।"
हालांकि कमेंटेटर या कोच के रूप में वीरू को हम अब भी देख सकेंगे। जैसा कि उन्होंने कहा है, लेकिन अपनी विशेषताओं के कारण क्रिकेट के मैदान पर बैट्समैन वीरू हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी कमी खलेगी। जब भी कोई ओपनर असफल होगा या तेज शुरुआत की जरूरत होगी, तो हमें वीरू याद आएंगे। वैसे भी वर्तमान दौर में टीम इंडिया में उनके जैसा कोई नहीं। तभी तो वीरू हैं 'यूनिक'...एक लीजेंड।
बॉल को हिट कर पाना ज्यादा जरूरी
सहवाग का मानना है कि अच्छी बैटिंग के लिए जरूरी है कि आप गेंद को समझकर उसे सही तरीके से हिट कर पाएं। यदि आप ऐसा कर पा रहे हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका फुट मूवमेंट कैसा है, या आपके सिर की पोजिशन क्या है। यानी अंतिम उद्देश्य गेंद को सही अंजाम तक पहुंचाना होना चाहिए, तकनीक मायने नहीं रखती। वीवीएस लक्ष्मण के अनुसार उन्हें अपनी स्ट्रेंथ पता थी, इसीलिए वे बॉलर के लेवल की परवाह किए बिना अपनी इच्छा अनुसार बैटिंग कर पाते थे। फिर चाहे उनके सामने तूफानी शोएब अख्तर, ब्रेट ली हों, या फिरकी के उस्ताद शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन। (पढ़ें, 'सीधी बात नो बकवास' में यकीन रखते आए हैं नज़फगढ़ के नवाब सहवाग)
हॉफ हार्टेड शॉट नहीं खेलना
चाहे बैटिंग का मामला हो, या गेंदबाजी का। सहवाग के अनुसार डरना मना है। वे गेम की एनालिसिस पर ध्यान नहीं देते थे। वे सारे फैसले मैदान पर ही तुरंत लेते थे, और वही करते रहे, जो उन्हें उचित लगा। यहां तक कि कप्तानी के दौरान जब गेंदबाज उनसे सलाह मांगते थे, तो वे तपाक से कहते 'बॉलर तू है मैं'। यानी जिसका काम है, वही तरीके खोजे। उनका एक ही सिद्धांत रहा, जो भी करें बिना डरे और दबंगई के साथ करें यानी हॉफ हार्टेड शॉट नहीं खेलना। (पढ़ें, इधर हम इंग्लैंड के उन 325 रनों को लेकर तनाव में थे, उधर सहवाग सीटी बजा रहे थे : गांगुली)
केयरफ्री बैटिंग, क्षमताओं पर भरोसा
वीरू कई बार अहम मौकों पर घटिया शॉट खेलकर आउट हो जाते थे। इस पर एक्सपर्ट्स उन्हें टिककर खेलने की सलाह देते, उनकी तकनीक की आलोचना करते, लेकिन उन्होंने इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया और अपनी केयरफ्री बैटिंग जारी रखी। उनके अनुसार यदि बॉल मारने लायक है, तो उसे बाउंड्री के बाहर ही होना चाहिए। भले ही चूक होने पर विकेट चला जाए। लक्ष्मण के अनुसार सहवाग को अपनी क्षमताओं पर गजब का भरोसा था। उन्होंने लक्ष्मण से एक बार कहा था कि वे टेस्ट में उनके द्वारा कोलकाता में बनाए गए 281 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे और इंडिया की ओर से तिहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज होंगे। बाद में वीरू ने इसे कर दिखाया और पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में तिहरा शतक लगाकर 'मुल्तान के सुल्तान' बन गए।
शादी का प्रपोजल भी खास अंदाज में
वीरेंद्र सहवाग की शादी उनकी बचपन की दोस्त आरती से हुई है। अपने अनूठे अंदाज और हमेशा हंसी-मजाक के मूड में रहने वाले के लिए सहवाग ने शादी के लिए भी मजाकिया अंदाज में प्रपोज किया था। आरती ने इस मजाक को वास्तविक प्रपोजल समझकर तुरंत हां भी कर दिया। हालांकि वीरू ने आरती के हां करने के बावजूद शादी करने में 3 साल लगा दिए। उनकी शादी करीब 14 साल की दोस्ती के बाद अप्रैल, 2004 में हुई थी। इस बात का खुलासा खुद वीरेंद्र सहवाग ने किया था।
बेबाकी से रखते अपनी बात
वीरू हमेशा अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, बिल्कुल अपने क्रिकेटिंग शॉट की तरह। चाहे फिर क्रिकेटरों को सलाह देना हो या मंच पर अपनी बात रखनी हो। एक इवेंट के दौरान जब बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान ने वीरेंद्र सहवाग से पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच में शोएब अख्तर द्वारा बार-बार परेशान किए जाने वाली घटना के बारे में पूछा, तो उन्होंने पूरा मामला बताया। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में एक मैच के दौरान शोएब अख्तर बाउंसर फेंकता और पास आकर मुझसे बोलता हुक मारकर दिखा। जब ये बात उसने कई बार रिपीट की, तो मैंने कहा- वो तेरा बाप (सचिन) खड़ा है, नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर, उसको बोल, वो मारकर दिखाएगा। शोएब ने अगले ओवर में सचिन को बाउंसर फेंका तो उन्होंने हुक करते हुए सिक्स लगा दिया। तब मैं अख्तर के पास गया और कहा- बेटा-बेटा होता है और बाप-बाप होता है।"
हालांकि कमेंटेटर या कोच के रूप में वीरू को हम अब भी देख सकेंगे। जैसा कि उन्होंने कहा है, लेकिन अपनी विशेषताओं के कारण क्रिकेट के मैदान पर बैट्समैन वीरू हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी कमी खलेगी। जब भी कोई ओपनर असफल होगा या तेज शुरुआत की जरूरत होगी, तो हमें वीरू याद आएंगे। वैसे भी वर्तमान दौर में टीम इंडिया में उनके जैसा कोई नहीं। तभी तो वीरू हैं 'यूनिक'...एक लीजेंड।
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