 
                                            - रॉड्रिगेज ने विश्व कप के दौरान टीम से बाहर किए जाने के बाद अपनी मां से फोन पर बात कर रूप से खुद को संभाला
- पिछले साल उनके पिता पर अनधिकृत धार्मिक समारोह आयोजित करने के आरोपों के कारण जेमिमा की सदस्यता रद्द कर दी थी
- जेमिमा को 2022 विश्व कप अभियान से बाहर किया गया था, जिससे उन्हें खेल के प्रति नई स्पष्टता और दृढ़ता मिली थी
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की हमेशा खुशमिजाज रहने वालीजेमिमा रोड्रिग्स विश्व कप के दौरान रोज रो रही थीं, क्योंकि बीच टूर्नामेंट में उन्हें टीम से बाहर कर दिया था.इससे वह अपनी मां से फोन पर बात करके खुद को संभालने की कोशिश कर रही थीं.ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बृहस्पतिवार को सेमीफाइनल के दौरान विश्व कप में किसी भारतीय क्रिकेटर द्वारा खेली गई सबसे बेहतरीन पारियों में से एक खेलने के बाद जेमिमा ने नम आंखों से अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बात की. मैच के बाद उनके साक्षात्कारों ने इस बात की झलक दी कि वह वास्तव में किस तरह की इंसान हैं. ऑस्ट्रेलियाई टीम के विश्व कप के रथ को रोकने के लिए बल्ले से अपनी शानदार पारी खेलने के कुछ ही पल बाद उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह इन दिनों कई लोगों द्वारा की जा रही बातों से बिल्कुल अलग था.
1. खुलकर अपनी कमजोरियों पर बोलीं जेमिमा
जेमिमा ने कहा, ‘किसी से मदद मांगना ठीक है. मैं यहां बहुत कमजोर दिखूंगी क्योंकि मुझे पता है कि अगर कोई यह देख रहा है, तो वह भी शायद इसी दौर से गुजर रहा होगा. और यही मेरे कहने का असली मकसद है क्योंकि कोई भी अपनी कमजोरी के बारे में बात करना पसंद नहीं करता.' वहीं पीछे मुड़कर देखें तो विश्व कप के बीच में उसे बाहर करना टीम के लिए सबसे मुश्किल फैसलों में से एक था. लेकिन जेमिमा के लिए यह उनके उतार-चढ़ाव भरे करियर में एक सच्चाई का पल था.
2. पिछले साल रद्द कर दी गई थी क्लब की सदस्यता
पिछले साल उनके क्लब खार जिमखाना ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी क्योंकि उनके पिता इवान रोड्रिग्स के खिलाफ़ क्लब परिसर का इस्तेमाल कथित तौर पर अनधिकृत धार्मिक समारोहों के आयोजन के लिए करने की शिकायत दर्ज की गई थी. अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के चार साल बाद उन्हें न्यूजीलैंड में होने वाले 2022 विश्व कप अभियान से बाहर कर दिया गया था. और यही अहसास उन्हें तब हुआ जब मौजूदा टूर्नामेंट में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में उन्हें नजरअंदाज करने का फैसला हुआ.

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3. इन परिणामों से चिंतित थी जेमिमा
जेमिमा को पता था कि भारतीय टीम को 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ स्वर्ण पदक के मुकाबले और इसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 2023 टी20 विश्व कप सेमीफाइनल में लक्ष्य हासिल करने में नाकामी का सामना करना पड़ा. विश्व कप मेजबान टीम पर बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था. तभी भारत ने इस 25 वर्षीय खिलाड़ी को चुना जो टीम को वापस पटरी पर लाने के लिए दृढ़ थी
4. विश्व कप नॉकआउट में दोनों वर्गों में भारत की सर्वश्रेष्ठ पारी
वीरवार अक्टूबर की रात डीवाई पाटिल स्टेडियम में उनकी उपलब्धि की अहमियत को समझने में समय लग सकता है. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि यह विश्व कप के नॉकआउट चरण में (पुरुष और महिला वर्ग में) में किसी भी भारतीय द्वारा खेली गई सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक थी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जेमिमा की नाबाद 127 रन की पारी अब भारतीय क्रिकेट इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी. यह हरमनप्रीत कौर की 2017 विश्व कप में इसी चरण में इसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेली गई 171 रन की पारी के बराबर होगी.

5. साल 2022 में इस फैसले से टूट गई थीं जेमिमा
जेमिमा के बचपन के कोच प्रशांत शेट्टी ने पीटीआई से कहा, ‘वह बहुत ही तेज-तर्रार खिलाड़ी हैं, लेकिन वह बहुत भावुक भी है. वह खेलने को लेकर बहुत जुनूनी है. वह टीम के लिए जीतना चाहती है। हमेशा उसके दिमाग में यही चलता रहता है.' जेमिमा मुंबई में आगे बढ़ीं और भारत की प्रमुख बल्लेबाजों में शुमार हुईं. लेकिन यह सफर आसान नहीं था. 2022 विश्व कप अभियान से बाहर होना उनके लिए सबसे बुरा दौर था, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण मोड़ भी था क्योंकि इसने उन्हें स्पष्टता दी.
6. इस खामी से परेशान नहीं होती जेमिमा, कोच ने बताया
शेट्टी ने कहा, ‘उसने कई मुश्किलें देखी हैं, लेकिन वह जानती है कि हमें वही करना चाहिए जो हमारे बस में है. जैसे अपनी पूरी क्षमता से तैयारी करना. हमारे पास एक रणनीति होनी चाहिए.' छोटी कद की जेमिमा अपनी कुछ साथियों की तरह गेंद को तेजी से नहीं मार पाने पर परेशान नहीं होतीं, लेकिन वह विकेटों के बीच तेज दौड़ने, स्वीप शॉट खेलने में माहिर होने और लेट कट खेलने पर भरोसा रखती हैं.
7. जश्न का अंदाज भी जुदा है जेमिमा का
शतक पूरा करने के बाद जेमिमा ने ड्रेसिंग रूम में सिर्फ ‘थम्स अप' करके जश्न मनाया जो उनकी परिपक्वता और स्पष्टता को दर्शाता है. बाद में उन्होंने कहा कि वह किसी को या खुद को कुछ साबित करने के लिए बल्लेबाजी नहीं कर रही थीं क्योंकि वह बस भारत को जीतते हुए देखना चाहती थीं. जेमिमा का व्यक्तित्व एक खूबसूरत विरोधाभास है जहां चिंता और आत्मविश्वास एक साथ मौजूद। और इसी तरह संयम और शालीनता भी.
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