उन्मुक्त चंद का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
हाल ही में भारतीय टीम ने जैसे ही अंडर-19 विश्व कप जीता, तो उसके बाद से कुछ क्रिकेट पंडितों ने वर्तमान जूनियर कप्तान पृथ्वी शॉ की तुलना साल 2012 के कप्तान उन्मुक्त चंद से करनी शुरू कर दी. ये क्रिकेट पंडित कहने लगे हैं और यह नसीहत देने लगे हैं कि पृथ्वी शॉ और शुबमन गिल जैसे खिलाड़ियों को संभल कर चलने की जरुरत है क्योंकि कहीं वे उन्मुक्त चंद न बन जाएं. बहरहाल आप सोच रहे होंगे कि ये आलोचक अगर ऐसा कह रहे हैं, तो क्यों कह रहे हैं.
चलिए हम आपको इसके लिए साल 2012 में लिए चलते हैं, जब भारतीय अंडर-19 टीम ने टाउंसविले (ऑस्ट्रेलिया ) में 16 अगस्त को खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने मेजबान टीम को 14 गेंद बाकी रहते छह विकेट से हराकर विश्व कप खिताब अपनी झोली में डाल लिया था. और अगर भारत ऐसा करने में कामयाब रहा, तो उसके पीछे बड़ी वजह साबित हुए कप्तान उन्मुक्त चंद.
यह भी पढ़ें : U19Worldcup: इस जूनियर कप्तान ने किया था बड़ा धमाल...आज रणजी टीम में भी जगह के लाले
ध्यान दिला दें कि तब फाइनल में उन्मुक्त ने भारतीय अंडर-19 विश्व कप के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए और पारी की शुरुआत करते हुए नाबाद 111 रन बनाए थे. उन्होंने अपनी पारी में 7 चौके और 6 छक्के लगाए. उनकी इस पारी ने क्रिकेट पंडितों और क्रिकेटप्रेमियों को बाग-बाग करार दिया. उन्हें भविष्य का सहवाग और पता नहीं क्या-क्या कहा जाने लगा, लेकिन वक्त के साथ-साथ उन्मुक्त का 'चांद' खो गया.
आईपीएल में भी उनका बल्ला नहीं बोला, तो हालात यहां तक पहुंच गए कि गुजरे रणजी ट्रॉफी सेशन से उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया, तो आईपीएल नीलामी में 20 लाख के बेस प्राइस वाले उन्मुक्त पर किसी ने बोली नहीं लगाई.लेकिन 24 साल के उन्मुक्त ने बहुत ही लबे समय बाद सोमवार को फिर से यह दिखाने की कोशिश की है कि वह अभी चूके नहीं हैं. सोमवार को उन्मुक्त ने विजय हजारे ट्रॉफी के लीग मुकाबले में उत्तर प्रदेश के खिलाफ शतक जड़कर फिर से यह बताने की कोशिश की है कि वह मुकाबला जारी रखेंगे.
VIDEO : जब साल 2012 में उन्मुक्त का कॉलेज की परीक्षा को लेकर विवाद हो गया था.
विलासपुर में खेले गए इस मैच में उन्मुक्त चंद ने 125 गेंदों पर 12 चौकों और 3 छक्कों से 116 रन बनाए.
Delhi Won by 55 Run(s) #UPvDEL @paytm #OneDay Scorecard:https://t.co/6cgNafPZBy
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) February 5, 2018
चलिए हम आपको इसके लिए साल 2012 में लिए चलते हैं, जब भारतीय अंडर-19 टीम ने टाउंसविले (ऑस्ट्रेलिया ) में 16 अगस्त को खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने मेजबान टीम को 14 गेंद बाकी रहते छह विकेट से हराकर विश्व कप खिताब अपनी झोली में डाल लिया था. और अगर भारत ऐसा करने में कामयाब रहा, तो उसके पीछे बड़ी वजह साबित हुए कप्तान उन्मुक्त चंद.
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ध्यान दिला दें कि तब फाइनल में उन्मुक्त ने भारतीय अंडर-19 विश्व कप के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए और पारी की शुरुआत करते हुए नाबाद 111 रन बनाए थे. उन्होंने अपनी पारी में 7 चौके और 6 छक्के लगाए. उनकी इस पारी ने क्रिकेट पंडितों और क्रिकेटप्रेमियों को बाग-बाग करार दिया. उन्हें भविष्य का सहवाग और पता नहीं क्या-क्या कहा जाने लगा, लेकिन वक्त के साथ-साथ उन्मुक्त का 'चांद' खो गया.
आईपीएल में भी उनका बल्ला नहीं बोला, तो हालात यहां तक पहुंच गए कि गुजरे रणजी ट्रॉफी सेशन से उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया, तो आईपीएल नीलामी में 20 लाख के बेस प्राइस वाले उन्मुक्त पर किसी ने बोली नहीं लगाई.लेकिन 24 साल के उन्मुक्त ने बहुत ही लबे समय बाद सोमवार को फिर से यह दिखाने की कोशिश की है कि वह अभी चूके नहीं हैं. सोमवार को उन्मुक्त ने विजय हजारे ट्रॉफी के लीग मुकाबले में उत्तर प्रदेश के खिलाफ शतक जड़कर फिर से यह बताने की कोशिश की है कि वह मुकाबला जारी रखेंगे.
VIDEO : जब साल 2012 में उन्मुक्त का कॉलेज की परीक्षा को लेकर विवाद हो गया था.
विलासपुर में खेले गए इस मैच में उन्मुक्त चंद ने 125 गेंदों पर 12 चौकों और 3 छक्कों से 116 रन बनाए.
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