विज्ञापन
This Article is From Jul 04, 2012

आने वाले 10 साल टेस्ट क्रिकेट के लिए बेहद मुश्किल : द्रविड़

आने वाले 10 साल टेस्ट क्रिकेट के लिए बेहद मुश्किल : द्रविड़
मुंबई: राहुल द्रविड़ ने बुधवार को आगाह किया कि अगले एक दशक में टेस्ट क्रिकेट को अपना वजूद बचाए रखने के लिये काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि बच्चे इस खेल के पारंपरिक स्वरूप के बजाय ट्वेंटी-20 क्रिकेट को तरजीह दे सकते हैं।

द्रविड़ ने मुंबई में एक किताब के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि आज के युवा खिलाड़ी जैसे रोहित शर्मा, सुरेश रैना, मनोज तिवारी टेस्ट क्रिकेट को देखकर और उस तरह की क्रिकेट खेलने की प्रेरणा लेकर बड़े हुए हैं। मेरे बेटे के उम्र के बच्चे जो ट्वेंटी-20 और आईपीएल देखकर बड़े हो रहे हैं और ये बच्चे क्या चाहते हैं, यह दस वर्षों में काफी चुनौतीपूर्ण होगा।’’

टेस्ट क्रिकेट में नंबर तीन पर भारतीय दीवार रहे इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘मैं इसे अभी किसी समस्या के तौर पर नहीं देखता। मैं इसे लंबी अवधि का मसला मानता हूं। यह चुनौती दस साल में पैदा हो सकती है और हमें इस समस्या का अभी समाधान निकालना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कामर्स में डिग्री ली थी और उसमें बहुत सफल नहीं रहा। इसलिए मैं जानता था कि मेरे पास एकमात्र विकल्प तब सफल टेस्ट क्रिकेटर बनना था। आज कई विकल्प हैं। लोगों के पास टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलने के बावजूद इस खेल से पैसा बनाने का विकल्प है। बच्चों को इस विकल्प का चुनाव करने के लिये किसे दोषी माना जाएगा।’’

द्रविड़ ने कहा, ‘‘मैं बच्चों से कहना चाहूंगा कि आपको सबसे अधिक संतुष्टि दुनिया के बेहतरीन स्टेडियमों में टेस्ट क्रिकेट खेलकर मिलेगी। इसलिए खुद को छोटे प्रारूपों के लिये मत बेचना।’’

ग्रेग चैपल के समय भारतीय टीम की कप्तानी संभालने वाले द्रविड़ ने कहा कि टीम पर हमेशा उनका नियंत्रण था। भले ही तब यह माना जाता था पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान का टीम पर नियंत्रण था।

द्रविड़ ने कहा, ‘‘वह हमेशा मेरी टीम थी। इसमें कोई संदेह नहीं। क्योंकि ग्रेग मजबूत व्यक्तित्व के धनी और स्वयं महान क्रिकेटर थे तो लगता था कि वह उनकी टीम थी। वह (चैपल) अपने मजबूत व्यक्तित्व से टीम को एकजुट कर सकते थे लेकिन मेरा हमेशा यही मानना था कि यह मेरी टीम है। मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि जब हमारे बीच सहमति नहीं रही हो तो उन्होंने कड़ा रवैया अपनाया।’’

द्रविड़ ने स्वीकार किया कि उन्होंने बड़े उत्साह के साथ कप्तानी संभाली थी लेकिन बाद में उन्हें यह बोझ लगने लगी थी। ऐसा अत्याधिक क्रिकेट और खराब परिणामों के कारण हुआ जिसमें भारत का 2007 विश्व कप के पहले दौर में बाहर होना भी शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने बड़े उत्साह, ऊर्जा, जुनून और इच्छा के साथ कप्तानी संभाली। जब मैंने कप्तानी छोड़ी तो तब मैंने महसूस किया कि वह इच्छा चली गयी है क्योंकि हमने बहुत अधिक क्रिकेट खेली और हमें कुछ अच्छे परिणाम भी नहीं मिले।’’

द्रविड़ ने भविष्य में राष्ट्रीय टीम को कोचिंग देने संबंधी सवालों को नकार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आप इस पद की पेशकश कर रहे हो। मैं नहीं जानता। अभी मेरे सामने कोई पेशकश नहीं की गयी है। कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं हालांकि खेल के साथ जुड़ा रहना पसंद करूंगा। यह खेल मेरे लिये बहुत बड़ा है और इसने मुझे जो कुछ दिया मैं उसे कुछ वापस देना चाहता हूं।’’

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Test Cricket, Danger, Rahul Dravid, राहुल द्रविड़, टेस्ट क्रिकेट पर खतरा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com