सहवाग (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अनुभवी सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने खुलासा किया है कि वह खेल के शीर्ष पर रहते हुए संन्यास लेना चाहते थे, लेकिन महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने 2007 में उन्हें उस समय संन्यास लेने से रोक दिया था जब इस स्टार क्रिकेटर को टीम इंडिया से बाहर किया गया था। सहवाग ने बाद में 20 अक्टूबर को 2015 को अपने 37वें जन्मदिन के मौके पर इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा। उन्होंने राष्ट्रीय टीम की ओर से अपना पिछला मैच ढाई साल से भी अधिक समय पहले खेला था।
सचिन ने तब मुझे संन्यास लेने से रोक दिया था
सहवाग ने एक टीवी चैनल से चर्चा में कहा, ' हर खिलाड़ी चाहता है कि वह उस समय संन्यास ले जब वह इंटरनेशनल क्रिकेट में शीर्ष पर हो। अगर मैं भी इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते हुए संन्यास लेता तो मुझे भी विदाई भाषण देने का मौका मिल सकता था। लेकिन भाग्य ने मेरे लिए कुछ और ही लिखा था।' उन्होंने कहा, 'जब मुझे 2007 में टीम से बाहर किया गया था तब मैं संन्यास की सोच रहा था लेकिन तेंदुलकर ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया।' सहवाग ने अपना आखिरी टेस्ट आस्ट्रेलिया के खिलाफ मार्च 2013 में खेला जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और वह कभी वापसी नहीं कर पाए।
सिलेक्टर्स ने भावी योजनाओं के बारे में नहीं पूछा
वीरू को इस बात का मलाल है कि चयनकर्ताओं ने उन्हें पर्याप्त मौके नहीं दिए और कुछ विफलताओं के बाद ही टीम से बाहर कर दिया। उन्होंने कहा, 'चयनकर्ताओं ने 2013 में आस्ट्रेलिया सीरीज के समय मुझे बाहर करने के दौरान मेरी भविष्य की योजनाओं के बारे में नहीं पूछा। अगर चयनकर्ता मुझे अपने फैसले के बारे में बताते तो मैं उस सीरीज के दौरान संन्यास की घोषणा करने की सोच सकता था।' सहवाग को हालांकि फिरोजशाह कोटला पर विदाई भाषण देने का मौका मिल सकता है क्योंकि बीसीसीआई दिल्ली में तीन से सात दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट के दौरान उन्हें औपचारिक विदाई देने पर विचार कर रहा है।
संन्यास से मेरे दोनों बेटे निराश हैं
पाकिस्तान में 2004 में तिहरा शतक जड़ने के बाद 'मुल्तान का सुल्तान' नाम से मशहूर हुए सहवाग ने स्वीकार किया कि परिवार उनके संन्यास से खुश नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरे दोनों बेटे निराश हैं। लेकिन यह मेरे लिए कोई मुद्दा नहीं है।' सहवाग जिन कप्तानों के साथ खेले उनमें उन्होंने अनिल कुंबले को सर्वश्रेष्ठ करार दिया। उन्होंने कहा, 'जिन कप्तानों के साथ खेला उनमें अनिल कुंबले सर्वश्रेष्ठ था। वह हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता था।'
कमेंट्री से जुड़ सकते हैं
भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछने पर सहवाग ने कहा, 'मैं हमेशा खेल से जुड़ा रहूंगा। अगर मुझे बीसीसीआई से कोई पेशकश या कमेंट्री की पेशकश मिली तो मैं इस पर विचार करूंगा। मेरी कमेंट्री मेरी बल्लेबाजी की तरह सीधी सटीक होगी।'
सचिन ने तब मुझे संन्यास लेने से रोक दिया था
सहवाग ने एक टीवी चैनल से चर्चा में कहा, ' हर खिलाड़ी चाहता है कि वह उस समय संन्यास ले जब वह इंटरनेशनल क्रिकेट में शीर्ष पर हो। अगर मैं भी इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते हुए संन्यास लेता तो मुझे भी विदाई भाषण देने का मौका मिल सकता था। लेकिन भाग्य ने मेरे लिए कुछ और ही लिखा था।' उन्होंने कहा, 'जब मुझे 2007 में टीम से बाहर किया गया था तब मैं संन्यास की सोच रहा था लेकिन तेंदुलकर ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया।' सहवाग ने अपना आखिरी टेस्ट आस्ट्रेलिया के खिलाफ मार्च 2013 में खेला जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और वह कभी वापसी नहीं कर पाए।
सिलेक्टर्स ने भावी योजनाओं के बारे में नहीं पूछा
वीरू को इस बात का मलाल है कि चयनकर्ताओं ने उन्हें पर्याप्त मौके नहीं दिए और कुछ विफलताओं के बाद ही टीम से बाहर कर दिया। उन्होंने कहा, 'चयनकर्ताओं ने 2013 में आस्ट्रेलिया सीरीज के समय मुझे बाहर करने के दौरान मेरी भविष्य की योजनाओं के बारे में नहीं पूछा। अगर चयनकर्ता मुझे अपने फैसले के बारे में बताते तो मैं उस सीरीज के दौरान संन्यास की घोषणा करने की सोच सकता था।' सहवाग को हालांकि फिरोजशाह कोटला पर विदाई भाषण देने का मौका मिल सकता है क्योंकि बीसीसीआई दिल्ली में तीन से सात दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट के दौरान उन्हें औपचारिक विदाई देने पर विचार कर रहा है।
संन्यास से मेरे दोनों बेटे निराश हैं
पाकिस्तान में 2004 में तिहरा शतक जड़ने के बाद 'मुल्तान का सुल्तान' नाम से मशहूर हुए सहवाग ने स्वीकार किया कि परिवार उनके संन्यास से खुश नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरे दोनों बेटे निराश हैं। लेकिन यह मेरे लिए कोई मुद्दा नहीं है।' सहवाग जिन कप्तानों के साथ खेले उनमें उन्होंने अनिल कुंबले को सर्वश्रेष्ठ करार दिया। उन्होंने कहा, 'जिन कप्तानों के साथ खेला उनमें अनिल कुंबले सर्वश्रेष्ठ था। वह हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता था।'
कमेंट्री से जुड़ सकते हैं
भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछने पर सहवाग ने कहा, 'मैं हमेशा खेल से जुड़ा रहूंगा। अगर मुझे बीसीसीआई से कोई पेशकश या कमेंट्री की पेशकश मिली तो मैं इस पर विचार करूंगा। मेरी कमेंट्री मेरी बल्लेबाजी की तरह सीधी सटीक होगी।'
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