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'रेंगेगी टीम इंडिया' वाले बयान को लेकर आगबबूला हुए सुनील गावस्कर, साउथ अफ्रीकी कोच को ऐसे दिया करार जवाब

Sunil Gavaskar angry on South Africa Head Coach: रांची में शुरू हुई वनडे सीरीज़ के बाद भी ये विवाद ठंडा नहीं पड़ा है. अब पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने द. अफ़्रीकी कोच शुकरी कोनराड को आड़े हाथों लेते हुए उनकी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की याद दिलाई. 

'रेंगेगी टीम इंडिया' वाले बयान को लेकर आगबबूला हुए सुनील गावस्कर, साउथ अफ्रीकी कोच को ऐसे दिया करार जवाब
Sunil Gavaskar reaction viral on South Africa Head Coach
  • दक्षिण अफ्रीका को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापस लाने में भारतीय क्रिकेट बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है
  • रंगभेद के कारण दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट को साठ के दशक से एक दशक से भी अधिक समय तक मान्यता नहीं मिली थी
  • दक्षिण अफ्रीका की वापसी का पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1991 में भारत के खिलाफ कोलकाता में हुआ था
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Sunil Gavaskar Reacts Strongly To South Africa Head Coach: भारत-द.अफ़्रीका टेस्ट सीरीज़ के दौरान मेहमान टीम के मुख्य कोच शुकरी कोनराड के भारत को ‘घुटनों के बल लाने की चाहत-Grovel' शब्द को लेकर उठा विवाद अभी थमा नहीं है. कोनराड ने ये बयान देकर कि वो भारतीय क्रिकेट को घुटनों के बल लाते देखना चाहते थे, एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था.  रांची में शुरू हुई वनडे सीरीज़ के बाद भी ये विवाद ठंडा नहीं पड़ा है. अब पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने द. अफ़्रीकी कोच शुकरी कोनराड को आड़े हाथों लेते हुए उनकी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की याद दिलाई. 

‘इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी का इतिहास'

ग्रोवेल- ‘Grovel'(घुटनों पर लाना) शब्द को लेकर गावस्कर ने STAR SPORTS पर एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “साउथ अफ़्रीका को इंटरनेशनल क्रिकेट में वापस लाने में भारतीय क्रिकेट बोर्ड का बड़ा हाथ था. उन्होंने ही ICC में प्रस्ताव रखा था कि द.अफ़्रीका को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापस लाया जाए. इसी की वजह से द.अफ़्रीका (खिलाड़ी- कोच) को ये समझदारी होनी चाहिए थी कि आज अगर वो वापस इंटरनेशनल क्रिकेट में हैं तो भारतीय क्रिकेट की वजह से हैं.

कलकत्ता में वापसी, 1991 में पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट

गावस्कर ने याद दिलाया कि कैसे रंगभेद की वजह से द.अफ़्रीकी क्रिकेट को 1961 से 1991 तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में मान्यता ही नहीं हासिल थी. जुलाई 1961 में BCCI यानी बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया की पहल की वजह से प्रोटियाज़ टीम की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी हो पाई. 

1991 के नवंबर महीने में ही क्लाइव राइस की अगुआई में द.अफ़्रीका ने मो. अज़हरुद्दीन की अगुवाई भारतीय टीम के ख़िलाफ़ मैच में सचिन तेदुलकर ने 62 और प्रवीण आमरे ने 55 रनों की पारी खेली थी और प्रोटियाज़ को 3 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. 

गावस्कर ने याद दिलाया, “उनकी भारत का दौरा भी किया था, वापसी में कलकत्ता में मैच खेला था. द. अफ़्रीका की वापसी भारतीय मैदान पर ही हुई थी. मुझे लगता है कि ये सोचकर उनको इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था.” 

द.अफ़्रीकी टी-20 में 6 में से 5 भारतीय फ़्रेंचाइज़ी'

गावस्कर ने मौजूदा दौर में भी द.अफ़्रीकी क्रिकेट को ये याद दिलाया कि उनकी क्रिकेट कितनी ज़्यादा भारत पर आश्रित है. गावस्कर ने कहा, “साउथ अफ़्रीका में जो अभी टी-20 हो रही है ना, उसमें 6 में 6 तो नहीं लेकिन 6 में से 5 मेजॉरिटी फ़्रेंचाइज़ी टीमें भारत की होंगी. तो. साउथ अफ़्रीका के जो खिलाड़ी हैं उन्हें भारत की वजह से रोज़गार मिल रहा है. इसलिए मैं समझता हूं कि उन्हें थोड़ी कृतज्ञता दिखानी चाहिए कि हमारी जो क्रिकेट है वो ये नहीं होता तो कितनी नीचे होती. ”

‘द.अफ़्रीकी कोच से पछतावा उम्मीद'

गावस्कर ने कोच कोनराड से उनके किये पर पछतावा की उम्मीद भी जताई. उन्होंने कहा कि वो टोनी ग्रेग के शब्द उधार लेकर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन टोनी ग्रेग और वेस्ट इंडीज़ के बीच जो हुआ वो बात अलग थी. 40-50 साल पहले की बात थी. उन्हें इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था, ये ग़लत शब्द था. 

गावस्कर कहते हैं, “आशा करता हूं अगली प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आएंगे तो इसकी भरपाई करेंगे. मैं नहीं कहता कि माफ़ी मांगो. लेकिन उन्हें ज़रूर ये एकनॉलेज करना चाहिए कि द.अफ़्रीकी क्रिकेट को वहां से यहां तक लाने में भारतीय क्रिकेट का, भारतीय जनता का कितना बड़ा हाथ है.”

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