यह ख़बर 31 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

उन्मुक्त का कॉलेज में साल बचाने को धोनी, सिब्बल आए साथ

खास बातें

  • दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र को 33.3 फीसदी उपस्थिति पूरी करनी होती है, लेकिन सेंट स्टीफेंस के छात्र और अंडर-19 टीम के कप्तान उन्मुक्त चंद क्रिकेट की व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं कर पाए।
नई दिल्ली:

भारत को अंडर-19 विश्वकप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय क्रिकेट के उदीयमान सितारे उन्मुक्त चंद का कम उपस्थिति के कारण कॉलेज में एक साल बर्बाद हो सकता है।

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और खेलमंत्री अजय माकन ने उन्मुक्त का पक्ष लिया है। ऐसे में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इस मामले में दिलचस्पी दिखाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह से बात की। पता चला है कि सिब्बल ने कहा कि इस मामले में क्रिकेटर का पक्ष लिया जाना चाहिए।

दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को एक अकादमिक सत्र में सभी तरह की छूट के बाद कम से कम 33.3 फीसदी उपस्थिति पूरी करनी होती है, लेकिन सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्र उन्मुक्त क्रिकेट में अपनी व्यस्तता के कारण यह अर्हता पूरी नहीं कर पाए।

यह मामला अभी दिल्ली हाईकोर्ट में है, लेकिन कॉलेज के प्राचार्य विल्सन थंपू का कहना है कि यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन को करना है, क्योंकि यह विश्वविद्यालय का नियम है। गौरतलब है कि मई में हुई दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में उन्मुक्त को एडमिट कार्ड नहीं दिया गया था, जिसके बाद कोर्ट ने हस्तक्षेप कर कॉलेज से उन्हें अनुमति देने को कहा। हालांकि आदेश आने तक दो विषय की परीक्षा हो जाने के कारण वह दो विषयों की ही परीक्षा दे पाए।

उन्मुक्त ने कहा, मैंने अपने खेल शिक्षक और प्राचार्य से बात की है और वे अगले सेमेस्टर में मेरी मदद करने को तैयार हैं। उन्मुक्त के पिता और एक स्कूल शिक्षक भरत चंद ने कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि उन्मुक्त के साथ ऐसा हो सकता है। यह मामला आपसी सहमति से ही सुलझा लिया जाना चाहिए था।

इससे पहले, खेलमंत्री अजय माकन ने भी कहा, मैं समझता हूं कि यह पूरी तरह से गलत है। विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रबंधन को उन्हें परीक्षा देने से रोकने की बजाय इस तरह के खिलाड़ी के लिए कोई उपाय निकालना चाहिए था। मैं नहीं मानता कि यह सही फैसला है। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय और उनके कॉलेज से इस मसले पर बात करूंगा।

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उन्होंने कहा, केवल खेल कोटे के कारण वे इस तरह के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को अपने कॉलेज या विश्वविद्यालय में लेते हैं, इसलिए यह कहने की बजाय कि हम आपको परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देंगे, उन्हें इस तरह के छात्र के लिए कोई उपाय करना चाहिए था। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा, खेलों के अंकों को कम आंका जा रहा है और अब उपस्थिति महत्वपूर्ण हो गई है। इससे पता चलता है कि भारत में खेलों को कितना महत्व दिया जाता है। यह सुनकर बहुत दुख हुआ।