ब्रिसबेन:
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रविवार को टीम की शीर्ष क्रम में रोटेशन प्रणाली का समर्थन करते हुए कहा कि शीर्ष तीन बल्लेबाज प्रत्येक मैच इसलिये नहीं खेल रहे हैं क्योंकि वे मैदान पर धीमे हैं।
भारतीय टीम गाबा में ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया से त्रिकोणीय श्रृंखला का मैच 110 रन से गंवा बैठी। इसके बाद धोनी ने वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर के एक साथ सभी मैच नहीं खेलने का कारण स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा हो सकता है (कि वे ऐसा साथ खेलें लेकिन), इससे हमारे क्षेत्ररक्षण पर काफी असर पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि ये तीन ही बल्कि टीम के कुछ अन्य खिलाड़ी भी मैदान पर काफी धीमे हैं। अगर आप कुल मिलाकर देखो तो टीम में दो या तीन ही अच्छे क्षेत्ररक्षक मौजूद हैं।’
उन्होंने कहा, ‘ये क्षेत्ररक्षक इतने खराब नहीं हैं लेकिन इतने बड़े मैदानों पर वे थोड़े धीमे हो गये हैं। इनकी थ्रोइंग और डाइविंग अच्छी होनी चाहिए।’
धोनी ने कहा, ‘वे धीमी पिच पर अच्छे क्षेत्ररक्षक हैं। दबाव उन पर होगा। उन्हें ऐसी पोजीशन से भी थ्रो करना होगा जहां से उन पर दबाव पड़ सकता है। उनकी मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘बल्लेबाजी और गेंदबाजी ऐसे हैं जिसमें उतार चढ़ाव हो सकता है लेकिन क्षेत्ररक्षण ऐसा विभाग है जिसमें आपको हमेशा अच्छा करना होता है। इससे टीम का मनोबल ऊंचा रहता है।’ धोनी इस बात से काफी निराश थे कि तीसरे अंपायर ने पहले माइक हस्सी को आउट दे दिया और फिर मैदानी अंपायर को सूचित किया कि गलत बटन दब गया था।
उन्होंने कहा, ‘मैंने दोनों अंपायरों से कहा कि अगर आप मैदान पर हों तो अंपायर बनना मुश्किल होता है। लेकिन तब आप एसी कमरे में बैठे हों और आप रिप्ले भी देख सकते तो आपको सही बटन दबाने में एक अतिरिक्त मिनट लग सकता है।’
धोनी ने कहा, ‘आप खुश हो रहे होते हो कि बल्लेबाज आउट हो गया। लेकिन बाद में पता चलता है कि गलत बटन दब गया था। यह मजाक नहीं है। अगर आप एसी कमरे में बैठे हो तो आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप सही बटन दबायें।’
भारतीय टीम गाबा में ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया से त्रिकोणीय श्रृंखला का मैच 110 रन से गंवा बैठी। इसके बाद धोनी ने वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर के एक साथ सभी मैच नहीं खेलने का कारण स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा हो सकता है (कि वे ऐसा साथ खेलें लेकिन), इससे हमारे क्षेत्ररक्षण पर काफी असर पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि ये तीन ही बल्कि टीम के कुछ अन्य खिलाड़ी भी मैदान पर काफी धीमे हैं। अगर आप कुल मिलाकर देखो तो टीम में दो या तीन ही अच्छे क्षेत्ररक्षक मौजूद हैं।’
उन्होंने कहा, ‘ये क्षेत्ररक्षक इतने खराब नहीं हैं लेकिन इतने बड़े मैदानों पर वे थोड़े धीमे हो गये हैं। इनकी थ्रोइंग और डाइविंग अच्छी होनी चाहिए।’
धोनी ने कहा, ‘वे धीमी पिच पर अच्छे क्षेत्ररक्षक हैं। दबाव उन पर होगा। उन्हें ऐसी पोजीशन से भी थ्रो करना होगा जहां से उन पर दबाव पड़ सकता है। उनकी मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘बल्लेबाजी और गेंदबाजी ऐसे हैं जिसमें उतार चढ़ाव हो सकता है लेकिन क्षेत्ररक्षण ऐसा विभाग है जिसमें आपको हमेशा अच्छा करना होता है। इससे टीम का मनोबल ऊंचा रहता है।’ धोनी इस बात से काफी निराश थे कि तीसरे अंपायर ने पहले माइक हस्सी को आउट दे दिया और फिर मैदानी अंपायर को सूचित किया कि गलत बटन दब गया था।
उन्होंने कहा, ‘मैंने दोनों अंपायरों से कहा कि अगर आप मैदान पर हों तो अंपायर बनना मुश्किल होता है। लेकिन तब आप एसी कमरे में बैठे हों और आप रिप्ले भी देख सकते तो आपको सही बटन दबाने में एक अतिरिक्त मिनट लग सकता है।’
धोनी ने कहा, ‘आप खुश हो रहे होते हो कि बल्लेबाज आउट हो गया। लेकिन बाद में पता चलता है कि गलत बटन दब गया था। यह मजाक नहीं है। अगर आप एसी कमरे में बैठे हो तो आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप सही बटन दबायें।’
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