यह ख़बर 11 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

पर्थ में सिर्फ तेज गेंदबाजों को खिलाना सफलता की गारंटी नहीं है : क्लार्क

खास बातें

  • ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट श्रृंखला वाका क्रिकेट मैदान पर ही अपनी झोली में डालने की कोशिश में जुटी है और कप्तान माइकल क्लार्क को लगता है कि शुक्रवार को शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट में सिर्फ तेज गेंदबाजों को उतारना ‘सफलता की गांरटी’ न
पर्थ:

ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट श्रृंखला वाका क्रिकेट मैदान पर ही अपनी झोली में डालने की कोशिश में जुटी है और कप्तान माइकल क्लार्क को लगता है कि शुक्रवार को शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट में सिर्फ तेज गेंदबाजों को उतारना ‘सफलता की गांरटी’ नहीं है।

क्लार्क ने ‘न्यूज लिमिटेड न्यूजपेपर्स’ में अपने कालम में लिखा, ‘हमने चार साल पहले पर्थ में भारत के खिलाफ चार तेज गेंदबाजों को उतारा था और हम हार गये थे इसलिये यह सफलता की गारंटी नहीं है, भले ही हालात कितने ही मददगार क्यों न हों।’ कप्तान ने हालांकि कहा कि वे भारत को 4-0 से वाइटवाश करना चाहते हैं, लेकिन साथ ही कहा कि श्रृंखला के परिणाम का फैसला खिलाड़ियों के चयन से ज्यादा उनके जज्बे से होगा।

उन्होंने कहा, ‘मेलबर्न और सिडनी में जीत दर्ज कर श्रृंखला में 2-0 से बढ़त बनाना शानदार था लेकिन अब यह इतिहास हो चुका है। हम भारत के खिलाफ सभी चार टेस्ट जीतना चाहते हैं और अभी हमने आधा रास्ता ही पार किया है।’

क्लार्क ने कहा, ‘श्रृंखला का परिणाम हमारे खिलाड़ियों के चयन से ज्यादा इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका जज्बा कैसा होगा।’ ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि ऑस्ट्रेलियाई टीम पर्थ में चार तेज गेंदबाज उतारेगी क्योंकि पिच तेज गेंदबाजों के लिये मददगार मानी जा रही है।

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उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि हम पर्थ में चार तेज गेंदबाजों के साथ खेलेंगे या नहीं। हम पिच देखने के बाद ही इस पर फैसला करेंगे क्योंकि बिना देखने इसके बारे में फैसला नहीं किया जा सकता कि यह कैसी होगी।’ क्लार्क ने कहा, ‘एक स्पिनर को बाहर करना हमेशा कठिन फैसला होता है । पांच दिन का क्रिकेट काफी होता है और इस दौरान पिच भी काफी तेजी से बदल सकती है।’