वीरेंद्र सहवाग ने अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते वक्त सलाहकारों से माफी मांगते हुए कहा कि वह अपने हिसाब से यह फैसला लेना चाहते थे। यह लाइन उनकी शख़्सियत के बारे में काफी कुछ कह देती है। वीरू हमेशा से ही अपने दिल की सुनते आए हैं फिर मसला कोई भी क्यों न हो। जैसे बताया जाता है कि उनके घर में सबके पास मारुति कार थी लेकिन उनका दिल सैंट्रो पर आ चुका था, घर वालों के मना करने के बावजूद उन्होंने किया वही जो वह करना चाहते थे।
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सहवाग से जुड़े ऐसी ही न जाने कितने किस्से-कहानी है जो इस बात की तरफ इशारा करते हैं की नज़फगढ़ का यह नवाब ज्यादा सोचने में यकीन नहीं रखते, बस जो दिल कहता है कर देते हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि वरिष्ठ क्रिकेटर होते हुए भी सहवाग लंबी लंबी मीटिंग और विश्लेषण करने में यकीन नहीं रखते थे। एक बार दिल्ली डेयरडेविल्स के पेसर उमेश यादव ने जब वीरू से पूछा कि उन्हें कहां गेंद डालनी चाहिए तो जवाब मिला - 'बॉलर तू है या मैं..?'
'ये भी आउट होना है...'
यही नहीं एक बार पंजाब के रणजी कोच के कहने पर सहवाग ने टीम के लड़कों से मुलाकात करने का फैसला किया। पंजाब टीम के कोच, सहवाग की तारीफ में लंबा चौड़ा भाषण दे रहे थे जिसे सुनकर इस धुआधांर बल्लेबाज़ ने माइक छीनकर लड़कों से कहा 'आप लोगों को मेरा संदेश यकीनन मेरे इस लंबे चौड़े परिचय से तो छोटा ही होगा।'
घुमा फिराकर बात करने के बजाय सहवाग जल्दी से पॉइंट पर आने में यकीन रखते हैं तभी तो उनके कई सहयोगी बताते हैं कि जब वह डिफेंस खेलते हुए आउट होकर ड्रेसिंग रूम में आते थे तो सहवाग का ही एक ही सवाल होता था - आउट ही होना था तो शॉट मारकर होता, यह डिफेंस करके क्या फायदा?'
कई बार तो बड़ी पारी खेलते हुए वे अपने साथी बल्लेबाजों को किशोर कुमार के गाने सुनाया करते थे। वनडे क्रिकेट में अपनी 219 रन की पारी के दौरान सहवाग ने रैना के साथ 140 रन जोड़े थे। इस पारी का जिक्र करते हुए रैना ने बताया, 'सहवाग बिना किसी तनाव के खेल रहे थे, वे किशोर कुमार के गाने गा रहे थे। उनके शॉट ऐसे लग रहे थे कि विपक्षी गेंदबाज असहाय होकर उन्हें देख रहे थे।'
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