सौरव गांगुली के साथ महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तानों में से एक शामिल सौरव गांगुली बुधवार को 43 साल के हो गए। आज भी क्रिकेट फ़ैन्स के बीच भारत के सफल कप्तानों की जब भी चर्चा होती है, तो गांगुली और एमएस धोनी की तुलना ज़रूर की जाती है।
दोनों में से बेहतर कप्तान कौन है? इस बात पर बहस होती रही है। धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने कई रिकॉर्ड बनाए, तो दो वर्ल्ड कप का ख़िताब भी जीता, लेकिन गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने जीतना सीखा, जो अपने आप में बड़ी जीत है।
क्यों धोनी से बेहतर हैं गांगुली?
फ़िक्सिंग की मार झेल रही टीम इंडिया को सहारा गांगुली ने दिया। मुश्किल समय में उन्हें कप्तानी मिली और उन्होंने बीसीसीआई में बैठे आका और अपने फ़ैन्स को निराश नहीं किया। साल 2000 में दादा ने टीम को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभाई, तो वहीं धोनी को तैयार टीम मिली, जो लड़ना सीख चुकी थी।
टीम इंडिया को बनाने में गांगुली का ख़ास योगदान रहा। दादा ने वीरेंदर सहवाग, युवराज सिंह, ज़हीर ख़ान, हरभजन सिंह, मोहम्मद क़ैफ़ जैसे कई खिलाड़ियों को भविष्य के लिए तैयार किया।
फ़िक्सिंग के दाग़ को साफ़ करने का श्रेय दादा को जाता है। 2001 टेस्ट सीरीज़ में गांगुली ने टॉस के लिए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को इंतज़ार करवया, तो खूब बवाल हुआ। दादा ने विरोधी टीमों से आंख मिलाकर बात करना टीम इंडिया को सिखाया।
विदेशी ज़मीन पर गांगुली का रिकॉर्ड माही से बेहतर है। विदेशी ज़मीन पर धोनी ने 30 में से सिर्फ़ 6 टेस्ट जीते हैं, जबकि गांगुली की कप्तानी में भारत ने 28 में से 11 टेस्ट मैच जीते हैं।
विदेशी ज़मीन पर दादा की बल्लेबाज़ी भी धोनी से बेहतर है। दादा ने 40.23 की औसत से रन बनाए जबकि विदेश में धोनी का औसत 31.85 रहा है।
दोनों में से बेहतर कप्तान कौन है? इस बात पर बहस होती रही है। धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने कई रिकॉर्ड बनाए, तो दो वर्ल्ड कप का ख़िताब भी जीता, लेकिन गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने जीतना सीखा, जो अपने आप में बड़ी जीत है।
क्यों धोनी से बेहतर हैं गांगुली?
फ़िक्सिंग की मार झेल रही टीम इंडिया को सहारा गांगुली ने दिया। मुश्किल समय में उन्हें कप्तानी मिली और उन्होंने बीसीसीआई में बैठे आका और अपने फ़ैन्स को निराश नहीं किया। साल 2000 में दादा ने टीम को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभाई, तो वहीं धोनी को तैयार टीम मिली, जो लड़ना सीख चुकी थी।
टीम इंडिया को बनाने में गांगुली का ख़ास योगदान रहा। दादा ने वीरेंदर सहवाग, युवराज सिंह, ज़हीर ख़ान, हरभजन सिंह, मोहम्मद क़ैफ़ जैसे कई खिलाड़ियों को भविष्य के लिए तैयार किया।
फ़िक्सिंग के दाग़ को साफ़ करने का श्रेय दादा को जाता है। 2001 टेस्ट सीरीज़ में गांगुली ने टॉस के लिए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को इंतज़ार करवया, तो खूब बवाल हुआ। दादा ने विरोधी टीमों से आंख मिलाकर बात करना टीम इंडिया को सिखाया।
विदेशी ज़मीन पर गांगुली का रिकॉर्ड माही से बेहतर है। विदेशी ज़मीन पर धोनी ने 30 में से सिर्फ़ 6 टेस्ट जीते हैं, जबकि गांगुली की कप्तानी में भारत ने 28 में से 11 टेस्ट मैच जीते हैं।
विदेशी ज़मीन पर दादा की बल्लेबाज़ी भी धोनी से बेहतर है। दादा ने 40.23 की औसत से रन बनाए जबकि विदेश में धोनी का औसत 31.85 रहा है।
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