यह ख़बर 10 अक्टूबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कप्तान के रूप में सफलता का स्वाद नहीं चख पाए तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर का फाइल फोटो

नई दिल्ली:

वह 10 अक्तूबर 1996 का दिन था जब सचिन तेंदुलकर पहली बार कप्तान के रूप में टॉस करने के लिए उतरे थे और आज उस घटना के ठीक 17 साल बाद इस महान बल्लेबाज ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया। तेंदुलकर तब 23 साल और 169 दिन के थे जब वह कप्तान के रूप में पहली बार दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में उतरे थे।

विरोधी टीम थी ऑस्ट्रेलिया और भारत यह मैच जीतने में सफल रहा था। लेकिन रिकॉर्डों का बादशाह तेंदुलकर कप्तान के रूप में सफल नहीं रहा। उन्हें दो बार भारतीय टीम की कमान सौंपी गई, लेकिन वह टीम को कभी वैसी सफलता नहीं दिला पाए जैसी कि उनसे उम्मीद की जा रही थी। तेंदुलकर की अगुवाई में भारत ने 25 टेस्ट मैच खेले लेकिन इनमें से भारत केवल चार मैच में जीत दर्ज कर पाया जबकि नौ मैच में उसे हार मिली।

इस बीच खुद तेंदुलकर के प्रदर्शन में कुछ गिरावट देखने को मिली। उन्होंने इन मैचों में 51.35 की औसत से 2054 रन बनाए जिसमें सात शतक शामिल हैं। यदि क्रिकेट के दूसरे प्रारूप एक-दिवसीय क्रिकेट की बात करें तो तेंदुलकर ने 73 मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की, लेकिन वह केवल 23 मैचों में ही जीत का स्वाद चख पाए।

इस बीच भारत ने 43 मैच गंवाए और स्वयं तेंदुलकर ने भी मान लिया कि वह बल्लेबाजी की तरह कप्तानी में सफलता हासिल नहीं कर पाएंगे। तेंदुलकर ने इन 73 वन-डे मैचों में छह शतकों की मदद से 2454 रन बनाए। उनका औसत 37.75 रहा जबकि उनका ओवरआल औसत 44.83 है।

तेंदुलकर पहली बार 1996 में कप्तान बने लेकिन सवा साल तक ही कप्तान रहे और भारतीय टीम की कमान फिर से मोहम्मद अजहरूद्दीन को सौंप दी गई। भारतीय टीम इंग्लैंड में 1999 में खेले गए विश्व कप में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। यह वही समय था जब तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया था और इस स्टार बल्लेबाज को इंग्लैंड से स्वदेश लौटना पड़ा था।

उन्होंने तब वापस इंग्लैंड लौटकर शतक जड़ा था। भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन के कारण हालांकि अजहरूद्दीन की कप्तानी जाती रही और फिर तेंदुलकर को टीम की कमान सौंपी गई। सचिन हालांकि उसके बाद आठ मैचों में ही कप्तानी कर पाए।

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उन्होंने मार्च 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बेंगलूर में आखिरी बार भारतीय टीम की कप्तानी की थी। इसके बाद सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कमान संभाली। गांगुली की अगुवाई में भारत ने निरंतर सफलताएं हासिल की।