अनिल कुंबले के साथ रामचंद्र गुहा. गुहा ने भारतीय क्रिकेट में विराट के बराबर सिर्फ कुंबले को बताया है.
नई दिल्ली:
भारत के दिग्गज पद्मश्री इतिहासकारों में से एक और करीब चार महीने तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीसीआई के क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी (सीएसी) का हिस्सा रहे लेखक रामचंद्र गुहा ने भारतीय कप्तान विराट कोहली और बीसीसीआई दोनों पर ही बड़ा वार किया है. उन्होंने विराट कोहली को भारतीय क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज करार दिया है, लेकिन अपने एक लेख में भारतीय कप्तान पर कई सवाल भी उठा दिए हैं. रामचंद्र गुहा ने कहा है बीसीसीआई की संस्था विराट कोहली के आगे बौनी पड़ रही है. उन्होंने कहा, वह विराट कोहली को अपनी सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम का कप्तान बनते देखना चाहते, लेकिन उन्हें बतौर कप्तान अपने अधिकार और अहंकार दोनों में ही विन्रमता लानी पड़ेगी. चलिए हम आपको रामगुहा के छोड़े गए प्रमुख तीरों के बारे में बताते हैं:-
1. मैंने बीसीसीआई में अपने चार माह के कार्यकाल के दौरान विराट कोहली के बीसीसीआई में दबदबे को देखा. बोर्ड के अधिकारी केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की मोदी द्वारा की जाने वाली से भी ज्यादा 'पूजा' विराट कोहली की करते हैं.
2. बोर्ड अधिकारी उन मुद्दों को भी विराट कोहली के पाले में डाल देते हैं, जो भारतीय कप्तान के दायरे में नहीं आते. जब फ्यूचर टूर प्रोग्राम (एफटीपी) तैयार करने पर विमर्श होना था, तो बोर्ड के कानूनी सलाहकार ने कहा कि विराट की सहमति हर हाल में ली जानी चाहिए. जब बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रबंधन का मामला हमारे समक्ष आया, तो बोर्ड के सीईओ ने सुझाव देते हुएकि विराट कोहली के शब्द पहले और आखिरी होने चाहिएं कि नेशनल अकादमी कैसे चलाई जानी चाहिए.
3. भारतीय क्रिकेट इतिहास में 'संपूर्णता' में विराट कोहली की बराबरी वाले एकमात्र अनिल कुंबले की जगह ऐसे व्यक्ति को कोच क्यों बनाया गया, जो विराट की तुलना में व्यक्तित्व और मैदानी उपलब्धियों के आगे 'आश्चर्यजनक रूप से तुच्छ' है. वहीं इस शख्स को कोचिंग का अनुभव भी नहीं था.
यह भी पढ़ें : नाराज रामचंद्र गुहा की चिट्ठी- क्रिकेट में 'सुपरस्टार कल्चर' और कोहली, धोनी, द्रविड़, गावस्कर पर उठाए सवाल
4. सीएसी के चेयरमैन विनोद राय ने विराट कोहली के व्यक्तित्व के आगे अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता को समर्पित कर दिया. कुछ ऐसा ही क्रिकेट कमेटी ने भी किया. सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, विनोद राय और लक्ष्मण ने टॉम मूडी (और अन्य दावेदार) की अनदेखी कर रवि शास्त्री को चुना क्योंकि ये दिग्गज विराट कोहली से घबरा गए और इन्होंने संस्था को व्यक्ति विशेष के अधीन कर दिया.
5. वर्तमान में कोचिंग स्टॉफ, चयन समति और प्रशासक सभी के सभी कप्तान विराट कोहली के आगे बौने हैं.
अपने लंबे लेख में रामचंद्र गुहा ने और भी कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. लेकिन सबसे बड़ा हमला उन्होंने यही बोला है कि बीसीसीआई संस्था विराट कोहली के आगे बौनी पड़ रही है.
VIDEO : जब पिछले साल रामचंद्र गुहा ने धोनी और द्रविड़ के ऊपर आरोप लगाए.
वास्तव में कद्दावर इतिहासकार के विचारों को न ही अनदेखा किया जा सकता है और न ही खारिज. अब देखने की बात यह होगी कि रामचंद्र गुहा के इस बड़े वार पर बीसीसीआई अपनी क्या प्रतिक्रिया देता है.
1. मैंने बीसीसीआई में अपने चार माह के कार्यकाल के दौरान विराट कोहली के बीसीसीआई में दबदबे को देखा. बोर्ड के अधिकारी केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की मोदी द्वारा की जाने वाली से भी ज्यादा 'पूजा' विराट कोहली की करते हैं.
2. बोर्ड अधिकारी उन मुद्दों को भी विराट कोहली के पाले में डाल देते हैं, जो भारतीय कप्तान के दायरे में नहीं आते. जब फ्यूचर टूर प्रोग्राम (एफटीपी) तैयार करने पर विमर्श होना था, तो बोर्ड के कानूनी सलाहकार ने कहा कि विराट की सहमति हर हाल में ली जानी चाहिए. जब बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रबंधन का मामला हमारे समक्ष आया, तो बोर्ड के सीईओ ने सुझाव देते हुएकि विराट कोहली के शब्द पहले और आखिरी होने चाहिएं कि नेशनल अकादमी कैसे चलाई जानी चाहिए.
3. भारतीय क्रिकेट इतिहास में 'संपूर्णता' में विराट कोहली की बराबरी वाले एकमात्र अनिल कुंबले की जगह ऐसे व्यक्ति को कोच क्यों बनाया गया, जो विराट की तुलना में व्यक्तित्व और मैदानी उपलब्धियों के आगे 'आश्चर्यजनक रूप से तुच्छ' है. वहीं इस शख्स को कोचिंग का अनुभव भी नहीं था.
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4. सीएसी के चेयरमैन विनोद राय ने विराट कोहली के व्यक्तित्व के आगे अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता को समर्पित कर दिया. कुछ ऐसा ही क्रिकेट कमेटी ने भी किया. सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, विनोद राय और लक्ष्मण ने टॉम मूडी (और अन्य दावेदार) की अनदेखी कर रवि शास्त्री को चुना क्योंकि ये दिग्गज विराट कोहली से घबरा गए और इन्होंने संस्था को व्यक्ति विशेष के अधीन कर दिया.
5. वर्तमान में कोचिंग स्टॉफ, चयन समति और प्रशासक सभी के सभी कप्तान विराट कोहली के आगे बौने हैं.
अपने लंबे लेख में रामचंद्र गुहा ने और भी कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. लेकिन सबसे बड़ा हमला उन्होंने यही बोला है कि बीसीसीआई संस्था विराट कोहली के आगे बौनी पड़ रही है.
VIDEO : जब पिछले साल रामचंद्र गुहा ने धोनी और द्रविड़ के ऊपर आरोप लगाए.
वास्तव में कद्दावर इतिहासकार के विचारों को न ही अनदेखा किया जा सकता है और न ही खारिज. अब देखने की बात यह होगी कि रामचंद्र गुहा के इस बड़े वार पर बीसीसीआई अपनी क्या प्रतिक्रिया देता है.
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