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This Article is From Aug 10, 2014

विदेशी सरजमीं पर सबसे नाकाम कप्तान बनने की राह पर हैं धोनी

विदेशी सरजमीं पर सबसे नाकाम कप्तान बनने की राह पर हैं धोनी
नई दिल्ली:

भारत के सफल कप्तानों की सूची में शीर्ष पर काबिज महेंद्र सिंह धोनी अभी तक अपनी नेतृत्वक्षमता का जादुई टच विदेशी सरजमीं पर नहीं दिखा पाए हैं और अब आलम यह है कि वह विदेशों में सबसे असफल कप्तान बनने की राह पर हैं।

इंग्लैंड के खिलाफ कल मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट मैच में पारी और 54 रन से हार भारत की धोनी की कप्तानी में विदेशी सरजमीं पर 13वीं हार है। यह विदेशी धरती पर किसी भी भारतीय कप्तान का सबसे खराब रिकॉर्ड है। यही नहीं इस हार से धोनी विदेशी सरजमीं पर सर्वाधिक टेस्ट मैच हारने वाले कप्तानों की सूची में श्रीलंका के अर्जुन रणतुंगा और दक्षिण अफ्रीका के ग्रीम स्मिथ के साथ संयुक्त तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

धोनी की कप्तानी में भारत ने अभी तक विदेशों में 27 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से केवल छह में उसे जीत मिली जबकि 13 मैचों में हार का सामना करना पड़ा। बाकी आठ मैच ड्रॉ रहे। इस तरह से धोनी का विदेशों में जीत हार का अनुपात 0.46 है। कप्तान के रूप में विदेशों में सबसे अधिक हार का रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग और वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा : दोनों 16 हार : के नाम पर है। इनमें फ्लेमिंग की जीत-हार का अनुपात 0.62 है, जो धोनी से थोड़ा बेहतर है।

धोनी का कप्तानी का ओवरऑल रिकॉर्ड काफी बेहतर है। उनकी अगुवाई में भारत ने जो 57 टेस्ट मैच खेले उनमें से 27 मैचों में उसे जीत मिली और 16 में हार। उनकी जीत-हार का अनुपात 1.68 है, जो किसी भी अन्य भारतीय कप्तान से बेहतर है, लेकिन धोनी अपनी कप्तानी में केवल स्वदेश में ही कमाल दिखा पाये। उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी सरजमीं पर 30 मैचों में से 21 में जीत दर्ज की और केवल तीन में उसे हार मिली।

अगर धोनी की कप्तानी में भारत का विदेशों में रिकॉर्ड नहीं सुधरा तो यह विकेटकीपर बल्लेबाज सबसे अधिक टेस्ट मैच हारने वाला भारतीय कप्तान भी बन सकता है। मंसूर अली खां पटौदी की कप्तानी में भारत ने सर्वाधिक 19 मैच गंवाये थे, जबकि धोनी 16 हार के साथ दूसरे स्थान पर हैं। इनके बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन (14 हार), सौरव गांगुली (13 हार), बिशन सिंह बेदी (11) और सचिन तेंदुलकर (आठ हार) का नंबर आता है।

हालांकि विदेशी सरजमीं पर सर्वाधिक टेस्ट मैच हारने का भारतीय रिकॉर्ड धोनी के नाम पर ही दर्ज है। अजहर, गांगुली और पटौदी की कप्तानी में भारत ने विदेशों में 10-10 मैच गंवाये थे। गांगुली की अगुवाई में हालांकि भारतीय टीम ने विदेशी सरजमीं पर 11 टेस्ट मैचों में जीत भी दर्ज की थी और इसलिए उनका विदेशों में जीत हार का अनुपात 1.10 है।

गांगुली के अलावा केवल राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग की कप्तानी में ही भारत ने विदेश में एक या इससे बेहतर अनुपात हासिल किया। द्रविड़ की कप्तानी में जो 17 मैच विदेश में खेले गए उनमें से पांच में जीत और चार में हार (1.25 अनुपात) और सहवाग की कप्तानी में तीन मैच में एक में जीत और एक में हार (1.00) मिली।

पिछले कुछ समय से भारत का विदेशों में रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। भारतीय टीम ने विदेशों में जो पिछले 16 टेस्ट मैच खेले उनमें से उसे केवल एक में जीत (वर्तमान शृंखला के लॉर्डस टेस्ट मैच में) मिली, जबकि 12 मैचों में टीम को हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा। बाकी तीन मैच ड्रॉ रहे।

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