नई दिल्ली:
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में सुधार के लिए बनाई गई लोढा कमेटी की रिपोर्ट तैयार हो गई है। पूर्व चीफ़ जस्टिस आर.एम. लोढा 4 जनवरी को ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौपंगे। लेकिन बड़ी बात ये है कि रिपोर्ट में ऐसी सिफ़ारिशें की गई हैं जिनसे बीसीसीआई की तस्वीर हमेशा के लिए बदल सकती है।
बीसीसीआई के अहम चेहरे, उनसे जुड़े विवाद और सैकड़ों मुद्दे हमेशा के लिए लिए बदल सकते हैं। मुमकिन है कि नए साल में दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड पहले जैसा ना रहे। कम-से-कम जस्टिस आर.एम. लोढा तो कुछ ऐसा ही चाहते हैं।
लोढा कमिटी ने बोर्ड को सुधारने के लिए ख़ाका तैयार कर लिया है और इसी के मद्देनज़र चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक़ ये रिपोर्ट बोर्ड की मैनेजमेंट और क्रिकेट-जगत में खलबली मचाने की तैयारी कर चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट का ये पैनल जिन बदलावों पर ज़ोर देगा उनमें से कुछ हैं -
- राज्यों के क्रिकेट संघों की कुर्सियों पर बैठे नेताओं और बड़े व्यापारियों को बीसीसीआई से दूर किया जाए।
- बीसीसीआई के रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल में बदलाव हो क्योंकि इससे सिर्फ़ अमीर राज्यों का ही भला होता है।
- एक राज्य को एक ही क्रिकेट एसोसिएशन मिले जिससे टीमों की संख्या भी कम होगी।
लोढा कमिटी के सख़्त रवैये का असर पहले ही आईपीएल पर अपना असर दिखा चुका है। विवादों में घिरी चेन्नई और राजस्थान की टीमों को अब वापसी के लिए 2018 तक का इंतज़ार करना होगा। ऐसे में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अकसर मनमानी करने वाली बीसीसीआई के लिए नया साल ख़तरे की घंटी बजा सकता है।
बीसीसीआई के अहम चेहरे, उनसे जुड़े विवाद और सैकड़ों मुद्दे हमेशा के लिए लिए बदल सकते हैं। मुमकिन है कि नए साल में दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड पहले जैसा ना रहे। कम-से-कम जस्टिस आर.एम. लोढा तो कुछ ऐसा ही चाहते हैं।
लोढा कमिटी ने बोर्ड को सुधारने के लिए ख़ाका तैयार कर लिया है और इसी के मद्देनज़र चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक़ ये रिपोर्ट बोर्ड की मैनेजमेंट और क्रिकेट-जगत में खलबली मचाने की तैयारी कर चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट का ये पैनल जिन बदलावों पर ज़ोर देगा उनमें से कुछ हैं -
- राज्यों के क्रिकेट संघों की कुर्सियों पर बैठे नेताओं और बड़े व्यापारियों को बीसीसीआई से दूर किया जाए।
- बीसीसीआई के रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल में बदलाव हो क्योंकि इससे सिर्फ़ अमीर राज्यों का ही भला होता है।
- एक राज्य को एक ही क्रिकेट एसोसिएशन मिले जिससे टीमों की संख्या भी कम होगी।
लोढा कमिटी के सख़्त रवैये का असर पहले ही आईपीएल पर अपना असर दिखा चुका है। विवादों में घिरी चेन्नई और राजस्थान की टीमों को अब वापसी के लिए 2018 तक का इंतज़ार करना होगा। ऐसे में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अकसर मनमानी करने वाली बीसीसीआई के लिए नया साल ख़तरे की घंटी बजा सकता है।
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