माइकल क्लार्क और कुमार संगाकारा (फाइल फोटो)
अमूमन ऐसा नहीं होता कि क्रिकेट जैसे खेल में एक ही दिन दो जीनियस आखिरी बार मैदान में उतरें, लेकिन 20 अगस्त को ऐसा हो रहा है।
कोलंबो में भारत के खिलाफ शुरू होने वाला मुक़ाबला श्रीलंकाई क्रिकेट के दिग्गज कुमार संगाकारा का आखिरी टेस्ट मैच होगा। इसके कुछ ही घंटे बाद हजारों मील की दूरी पर ओवल, लंदन में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ऐशेज़ सीरीज़ में इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर का आखिरी टेस्ट खेलने उतरेंगे।
कुमार संगाकारा और माइकल क्लार्क, दोनों का क्रिकेटीय अंदाज़ जुदा जुदा रहा है। एक बाएं हाथ का नेचुरल फनकार नजर आता रहा तो दूसरा दाएं हाथ से ऐसी बल्लेबाज़ी करता रहा मानो कुंदन की तरह आग में एकदम तपा हुआ हो।
बाएं हाथ के संगाकारा की पहचान हमेशा एक संकोची क्रिकेटर की रही, लेकिन बीते 15 सालों के दौरान मैदान में श्रीलंकाई टीम की ओर से उनका प्रदर्शन हमेशा गरजने वाले क्रिकेटर की रही। वे भले बेहद शांत नजर आते हों, लेकिन विकेटकीपिंग हो या बल्लेबाज़ी या फिर अपनी कप्तानी, वे विपक्षी खेमे में हलचल मचाते रहे।
वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क का क्रिकेट करियर 2004 में शुरू हुआ, लेकिन वे आक्रामक क्रिकेट खेलने के लिए मशहूर ऑस्ट्रेलियाई टीम में बेहद सौम्य स्वभाव के क्रिकेटर के तौर पर उभरे। उनके चेहरे पर दूसरे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की तरह शातिराना भाव नहीं दिखता। गर्व और आत्मबल से उनका चेहरा जरूर दमकता हुआ दिखता था और जब बल्लेबाज़ी की बात होती वे उन एंगल्स से भी बाउंड्री निकालते रहे, जिसके बारे में कई बार सोचना भी मुश्किल होता। कप्तान के तौर पर भी वे उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती ऑस्ट्रेलियाई टीम को ना केवल संभालने में कामयाब रहे, बल्कि ऊंचाई तक ले जाने में सफल रहे।
अगर पीठ की तकलीफ ने माइकल क्लार्क की शारीरिक मुश्किलों को बढ़ाया नहीं होता तो उनका टेस्ट करियर जरूर लंबा हो सकता था, लेकिन अपने स्वभाव और बल्लेबाज़ी के बूते वे लंबे समय तक याद आते रहेंगे।
दोनों की विदाई एक दिन जरूर हो रही है, लेकिन हालात एकदम अलग हैं। जहां एक ओर कुमार संगाकारा ने टेस्ट सीरीज़ से पहले अपने विदाई की घोषणा कर रखी थी, तो दूसरी ओर इंग्लैंड से ऐशेज सीरीज़ में मिली करारी हार और खुद की लचर बल्लेबाज़ी के चलते क्लार्क ने सीरीज़ के दौरान संन्यास की घोषणा की। ये भी क्रिकेट के रोमांच में ही शामिल है। बहरहाल उम्मीद करनी चाहिए कि क्रिकेट के ये दोनों जीनियस अपने आखिरी टेस्ट को यादगार बनाकर विदा होंगे।
कोलंबो में भारत के खिलाफ शुरू होने वाला मुक़ाबला श्रीलंकाई क्रिकेट के दिग्गज कुमार संगाकारा का आखिरी टेस्ट मैच होगा। इसके कुछ ही घंटे बाद हजारों मील की दूरी पर ओवल, लंदन में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ऐशेज़ सीरीज़ में इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर का आखिरी टेस्ट खेलने उतरेंगे।
कुमार संगाकारा और माइकल क्लार्क, दोनों का क्रिकेटीय अंदाज़ जुदा जुदा रहा है। एक बाएं हाथ का नेचुरल फनकार नजर आता रहा तो दूसरा दाएं हाथ से ऐसी बल्लेबाज़ी करता रहा मानो कुंदन की तरह आग में एकदम तपा हुआ हो।
बाएं हाथ के संगाकारा की पहचान हमेशा एक संकोची क्रिकेटर की रही, लेकिन बीते 15 सालों के दौरान मैदान में श्रीलंकाई टीम की ओर से उनका प्रदर्शन हमेशा गरजने वाले क्रिकेटर की रही। वे भले बेहद शांत नजर आते हों, लेकिन विकेटकीपिंग हो या बल्लेबाज़ी या फिर अपनी कप्तानी, वे विपक्षी खेमे में हलचल मचाते रहे।
वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क का क्रिकेट करियर 2004 में शुरू हुआ, लेकिन वे आक्रामक क्रिकेट खेलने के लिए मशहूर ऑस्ट्रेलियाई टीम में बेहद सौम्य स्वभाव के क्रिकेटर के तौर पर उभरे। उनके चेहरे पर दूसरे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की तरह शातिराना भाव नहीं दिखता। गर्व और आत्मबल से उनका चेहरा जरूर दमकता हुआ दिखता था और जब बल्लेबाज़ी की बात होती वे उन एंगल्स से भी बाउंड्री निकालते रहे, जिसके बारे में कई बार सोचना भी मुश्किल होता। कप्तान के तौर पर भी वे उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती ऑस्ट्रेलियाई टीम को ना केवल संभालने में कामयाब रहे, बल्कि ऊंचाई तक ले जाने में सफल रहे।
अगर पीठ की तकलीफ ने माइकल क्लार्क की शारीरिक मुश्किलों को बढ़ाया नहीं होता तो उनका टेस्ट करियर जरूर लंबा हो सकता था, लेकिन अपने स्वभाव और बल्लेबाज़ी के बूते वे लंबे समय तक याद आते रहेंगे।
दोनों की विदाई एक दिन जरूर हो रही है, लेकिन हालात एकदम अलग हैं। जहां एक ओर कुमार संगाकारा ने टेस्ट सीरीज़ से पहले अपने विदाई की घोषणा कर रखी थी, तो दूसरी ओर इंग्लैंड से ऐशेज सीरीज़ में मिली करारी हार और खुद की लचर बल्लेबाज़ी के चलते क्लार्क ने सीरीज़ के दौरान संन्यास की घोषणा की। ये भी क्रिकेट के रोमांच में ही शामिल है। बहरहाल उम्मीद करनी चाहिए कि क्रिकेट के ये दोनों जीनियस अपने आखिरी टेस्ट को यादगार बनाकर विदा होंगे।
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