
RanjiTrophyFinal: सौराष्ट्र ने शुक्रवार को फाइनल में बंगाल को पहली पारी में हासिल की गई बढ़त के आधार पर पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया है. सौराष्ट्र ने अपनी पहली पारी में 425 रन बनाए थे, जवाब में बंगाल अपनी पहली पारी में सिर्फ 381 रनों पर ढ़ेर हो गई थी. दूसरी पारी में वो 44 रनों की बढ़त के साथ उतरी थी. मैच के आखिरी और पांचवें दिन का सौराष्ट्र ने चार विकेट के नुकसान पर 105 रन बना अपनी बढ़त को और मजबूत कर लिया और अंतत: पहली बार रणजी ट्रॉफी विजेता (RanjiTrophy) की ट्रॉफी उठाई। इस पूरे टूर्नामेंट में सौराष्ट्र कप्तान जयदेव उनादकट (Jaydev Unadkat) ने शानदार परफॉर्मेंस किया. उन्होंने इस रणजी सीजन में कुल 67 विकेट लेने का कमाल कर दिखाया. फाइनल मैच जीतकर जहां सौराष्ट्र टीम ने इतिहास रचा तो वहीं मैच में कप्तान जयदेव ने अपनी गेंदबाजी के दौरान कुछ ऐसा किया जिसे देखकर फैन्स को धोनी (Dhoni) की याद आ गई. बंगाल की पारी के 153वें ओवर में बल्लेबाज आकाशदीप को उनादकट ने अपनी चालाकी से रन आउट कर दिया. हुआ ये था कि 153वें ओवर की आखिरी गेंद पर आकाशदीप चकमा खा गए और गेंद विकेटकीपर साहा के पास चली गई.
जिस समय आकाशदीप गेंद को खेलने से चूके उस समय उनका पैर क्रीज से बाहर ही था. वैसे तो साहा ने गेंद को पकड़कर विकेट पर मारा लेकिन स्टंप पर गेंद नहीं लगी जिससे आकाशदीप रन आउट होने से बाल- बाल बच गए. लेकिन साहा के द्वारा फेंकी गई गेंद सीधे गेंदबाज के पास चली गई. ऐसे में जयदेव ने अकलमंदी दिखाई और गेंद को पकड़कर बिना समय गंवाए स्टंप पर दे मारी. गेंदबाज के द्वारा थ्रो फेंके जाने तक भी आकाशदीप का पैर क्रीज से बाहर ही था. ऐसे में जयदेव की इस चालाकी के कारण आकाशदीप रन आउट हो गए.
Presence of mind
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) March 13, 2020
Direct hit
Wicket
Watch how Saurashtra skipper Jaydev Unadkat ran out Akash Deep in the @paytm #RanjiTrophy 2019-20 #Final.
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बता दें कि सौराष्ट्र तीन बार पहले भी फाइनल में पहुंची थी लेकिन एक भी बार खिताब नहीं जीत सकी थी। सौराष्ट्र को 2012-13 में मुंबई ने , 2015-16 में मुंबई ने ही और पिछले सीजन विदर्भ ने रणजी ट्रॉफी विजेता बनने से रोक दिया था। इसी के साथ बंगाल का 30 साल बाद रणजी ट्रॉफी जीतने का सपना भी टूट गया। बंगाल ने आखिरी बार 1989-90 में खिताब जीता था। इसके बाद वो 1993-94, 2005-06, 2006-07 में भी फाइनल में पहुंची थी लेकिन खिताब नहीं जीत सकी थी। इस बार एक बार फिर वह खिताब के करीब आकर महरूम रह गई।
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