नई दिल्ली:
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पहले संस्करण की चैम्पियन राजस्थान रॉयल्स टीम बुधवार को फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेले जाने वाले आईपीएल के वर्तमान संस्करण के एलिमिनेटर मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद के सामने होगी। यह देखना काफी रोचक होगा कि कौन सी टीम विजय के साथ 24 मई को ईडन गार्डन्स स्टेडियम में होने वाले दूसरे क्वालीफायर में खेलने का हक हासिल करती है।
आईपीएल-6 के लीग चरण में राजस्थान की टीम तीसरे और सनराइजर्स चौथे क्रम पर रहे। एलिमिनेटर में जीतने वाली टीम दूसरे क्वालीफायर में हिस्सा लेगी, जबकि हारने वाली टीम को घर का रास्ता देखना होगा। हारने वाली टीम के साथ यह एक तरह की नाइंसाफी है लेकिन यही आईपीएल का नियम है।
राजस्थान और सनराइजर्स ने लीग स्तर पर 16 में से 10-10 मैच जीते हैं और दोनों को 20-20 अंकों के साथ प्लेऑफ दौर में पहुंचने का मौका मिला। राजस्थान ने हालांकि सनराइजर्स की तुलना में दो दिन पहले ही प्लेऑफ की टिकट कटा लिया था, लेकिन सनराइजर्स को अपने अंतिम लीग मैच के 19वें ओवर तक इसके लिए संघर्ष करना पड़ा था।
इस लिहाज से राजस्थान बेहतर स्थिति में है, लेकिन लीग स्तर का प्रदर्शन प्लेऑफ में मायने नहीं रखता। यहां नए सिरे से शुरुआत करनी होती है। सनराइजर्स ने जहां धमाकेदार जीत के साथ प्लेऑफ का टिकट कटाया है, वहीं राजस्थान ने अपने अंतिम मैच में हार के साथ लीग स्तर का समापन किया।
हैदराबाद में 17 मई को सनराइजर्स ने राजस्थान को हराकर प्लेऑफ की संभावनाओं को जिंदा रखा था। स्पॉट फिक्सिंग मामले ने राजस्थान के खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बुरा असर डाला था और इसका असर उनके प्रदर्शन पर साफ दिखा।
आईपीएल-6 में राजस्थान और सनराइजर्स के बीच अब तक बराबरी का मुकाबला हुआ है। राजस्थान ने अपने घर में सनराइजर्स को मात दी थी, जिसका हिसाब सनराइजर्स ने हैदराबाद में चुकता कर लिया था। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि पलड़ा किसका भारी है।
जहां तक कोटला की बात है तो इस साल इन दोनों टीमों ने यहां दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ खेले गए एक-एक मैच जीते हैं। राजस्थान ने छह अप्रैल को इस मैदान पर दिल्ली को नौ विकेट से करारी शिकस्त दी थी जबकि सनराइजर्स ने तीन विकेट से जीत हासिल की थी।
सनराइजर्स टीम बेशक नई है लेकिन उसके कई खिलाड़ी दिल्ली में खेल चुके हैं और कई तो दिल्ली के ही हैं। उसके स्टार बल्लेबाज शिखर धवन को इस पिच का अच्छा ज्ञान है और वह राजस्थान के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। साथ ही ईशांत शर्मा जैसा गेंदबाज सनराइजर्स के पास है, जो दिल्ली का ही निवासी है। स्पिनर अमित मिश्रा भी काफी समय तक दिल्ली के लिए खेल चुके हैं।
राजस्थान के पास दिल्ली के माहौल का सटीक ज्ञान रखने वाला कोई खिलाड़ी नहीं लेकिन इस टीम के पास 2008 में मिली खिताबी जीत का अनुभव है जो उसके काफी काम आएगा, क्योंकि उस वक्त तो राजस्थान को खिताब की दौड़ में गिना भी नहीं जा रहा था। इस बार हालांकि उसके प्रदर्शन को देखते हुए राजस्थान को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
राजस्थान के लिए चुनौती अपने मनोबल को वापस पाने का है, क्योंकि अंतिम लीग मैच में हार से निश्चय ही उसका मनोबल गिरा होगा। सनराइजर्स के खिलाफ जीत से वह तालिका में 22 अंकों के साथ शीर्ष पर पहुंच सकते थे और तब उन्हें फाइनल में पहुंचने के लिए सिर्फ एक जीत की जरूरत पड़ती। अब उसे खिताबी मुकाबले तक पहुंचने के लिए हो सकता है कि दो बार जोर लगाना पड़े।
आईपीएल-6 के लीग चरण में राजस्थान की टीम तीसरे और सनराइजर्स चौथे क्रम पर रहे। एलिमिनेटर में जीतने वाली टीम दूसरे क्वालीफायर में हिस्सा लेगी, जबकि हारने वाली टीम को घर का रास्ता देखना होगा। हारने वाली टीम के साथ यह एक तरह की नाइंसाफी है लेकिन यही आईपीएल का नियम है।
राजस्थान और सनराइजर्स ने लीग स्तर पर 16 में से 10-10 मैच जीते हैं और दोनों को 20-20 अंकों के साथ प्लेऑफ दौर में पहुंचने का मौका मिला। राजस्थान ने हालांकि सनराइजर्स की तुलना में दो दिन पहले ही प्लेऑफ की टिकट कटा लिया था, लेकिन सनराइजर्स को अपने अंतिम लीग मैच के 19वें ओवर तक इसके लिए संघर्ष करना पड़ा था।
इस लिहाज से राजस्थान बेहतर स्थिति में है, लेकिन लीग स्तर का प्रदर्शन प्लेऑफ में मायने नहीं रखता। यहां नए सिरे से शुरुआत करनी होती है। सनराइजर्स ने जहां धमाकेदार जीत के साथ प्लेऑफ का टिकट कटाया है, वहीं राजस्थान ने अपने अंतिम मैच में हार के साथ लीग स्तर का समापन किया।
हैदराबाद में 17 मई को सनराइजर्स ने राजस्थान को हराकर प्लेऑफ की संभावनाओं को जिंदा रखा था। स्पॉट फिक्सिंग मामले ने राजस्थान के खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बुरा असर डाला था और इसका असर उनके प्रदर्शन पर साफ दिखा।
आईपीएल-6 में राजस्थान और सनराइजर्स के बीच अब तक बराबरी का मुकाबला हुआ है। राजस्थान ने अपने घर में सनराइजर्स को मात दी थी, जिसका हिसाब सनराइजर्स ने हैदराबाद में चुकता कर लिया था। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि पलड़ा किसका भारी है।
जहां तक कोटला की बात है तो इस साल इन दोनों टीमों ने यहां दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ खेले गए एक-एक मैच जीते हैं। राजस्थान ने छह अप्रैल को इस मैदान पर दिल्ली को नौ विकेट से करारी शिकस्त दी थी जबकि सनराइजर्स ने तीन विकेट से जीत हासिल की थी।
सनराइजर्स टीम बेशक नई है लेकिन उसके कई खिलाड़ी दिल्ली में खेल चुके हैं और कई तो दिल्ली के ही हैं। उसके स्टार बल्लेबाज शिखर धवन को इस पिच का अच्छा ज्ञान है और वह राजस्थान के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। साथ ही ईशांत शर्मा जैसा गेंदबाज सनराइजर्स के पास है, जो दिल्ली का ही निवासी है। स्पिनर अमित मिश्रा भी काफी समय तक दिल्ली के लिए खेल चुके हैं।
राजस्थान के पास दिल्ली के माहौल का सटीक ज्ञान रखने वाला कोई खिलाड़ी नहीं लेकिन इस टीम के पास 2008 में मिली खिताबी जीत का अनुभव है जो उसके काफी काम आएगा, क्योंकि उस वक्त तो राजस्थान को खिताब की दौड़ में गिना भी नहीं जा रहा था। इस बार हालांकि उसके प्रदर्शन को देखते हुए राजस्थान को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
राजस्थान के लिए चुनौती अपने मनोबल को वापस पाने का है, क्योंकि अंतिम लीग मैच में हार से निश्चय ही उसका मनोबल गिरा होगा। सनराइजर्स के खिलाफ जीत से वह तालिका में 22 अंकों के साथ शीर्ष पर पहुंच सकते थे और तब उन्हें फाइनल में पहुंचने के लिए सिर्फ एक जीत की जरूरत पड़ती। अब उसे खिताबी मुकाबले तक पहुंचने के लिए हो सकता है कि दो बार जोर लगाना पड़े।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं