आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मुंबई में रविवार को आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बेहद अहम बैठक होनी है। सुप्रीम कोर्ट की लोढा कमेटी ने आईपीएल के दोषियों को सज़ा सुना दी है। लेकिन इसके साथ ही बीसीसीआई के सामने कम से कम दस बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।
लोढा कमेटी के फ़ैसले आईपीएल और गवर्निंग काउंसिल के सामने बड़े सवालों की तरह खड़े हैं। गवर्निंग काउंसिल की बैठक में ये अधिकारी ब्रैंड आईपीएल पर लग रहे दाग और उससे होने वाले कारोबारी नुकसान को बचाने की कोशिश करेंगे।
ये सवाल हैं:
1. आईपीएल में 8 टीमों को कैसे बरक़रार रखा जाए?
2. क्या दो नई टीमें शामिल की जाएं?
3. क्या बीसीसीआई का इन टीमों पर कंट्रोल हो?
4. राजस्थान और चेन्नई के खिलाड़ियों के हितों की रक्षा कैसे हो?
5. कोच्चि, पुणे टीम को मौक़ा दिया जाए?
6. नए शहर जैसे अहमदाबाद की टीमों के लिए दरवाज़ा खोला जाए?
7. लोढा कमेटी के सुधार के उपाय से पहले क्रिकेट तंत्र में क्या सुधार लाए जाएं?
8. क्या चेन्नई और राजस्थान की टीमों को टर्मिनेट कर दिया जाए?
9. बीसीसीआई के सीईओ सुंदररमन को लेकर क्या फ़ैसला हो?
10. IPL का कारोबारी नुकसान कैसे बचे?
इन मसलों को लेकर मंथन पहले ही शुरू हो चुका है। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर कहते हैं, 'बीसीसीआई के पास लोढा कमेटी को नहीं मानने का कोई विकल्प नहीं है। मुद्गल कमेटी के लिए उन्हें खुद ही जांच करवानी चाहिए।'
राजस्थान रॉयल्स के मेंटॉर और पूर्व भारतीय कप्तान राहुल दविड़ की फ़िक्र इस बात का इशारा है कि भारत में क्रिकेट की साफ़ छवि के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। दविड़ की फ़िक्र फ़िलहाल खिलाड़ियों को लेकर ज़्यादा है।
द्रविड़ कहते हैं, 'ये बेहद निराशाजनक है कि कभी-कभी एक दो लोगों की हरकतों का ख़ामियाज़ा कई लोगों को उठाना पड़ता है। इस तरह की स्थिति में सबसे ज़्यादा नुकसान पिरामिड में सबसे नीचे के लोगों को उठाना पड़ता है। आमतौर पर टॉप खिलाड़ियों और कोच को किसी ने किसी टीम में जगह मिल जाएगी, लेकिन युवा और नए खिलाड़ियों को मुश्किल होगी।'
IPL reforms की प्रक्रिया जटिल तो है मगर नीयत हो तो मुश्किल नहीं। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को बैठक में लिए गए फ़ैसलों को बीसीसीआई की वर्किंग कमेटी से पास करवाने की ज़रूरत होगी।
लोढा कमेटी के फ़ैसले आईपीएल और गवर्निंग काउंसिल के सामने बड़े सवालों की तरह खड़े हैं। गवर्निंग काउंसिल की बैठक में ये अधिकारी ब्रैंड आईपीएल पर लग रहे दाग और उससे होने वाले कारोबारी नुकसान को बचाने की कोशिश करेंगे।
ये सवाल हैं:
1. आईपीएल में 8 टीमों को कैसे बरक़रार रखा जाए?
2. क्या दो नई टीमें शामिल की जाएं?
3. क्या बीसीसीआई का इन टीमों पर कंट्रोल हो?
4. राजस्थान और चेन्नई के खिलाड़ियों के हितों की रक्षा कैसे हो?
5. कोच्चि, पुणे टीम को मौक़ा दिया जाए?
6. नए शहर जैसे अहमदाबाद की टीमों के लिए दरवाज़ा खोला जाए?
7. लोढा कमेटी के सुधार के उपाय से पहले क्रिकेट तंत्र में क्या सुधार लाए जाएं?
8. क्या चेन्नई और राजस्थान की टीमों को टर्मिनेट कर दिया जाए?
9. बीसीसीआई के सीईओ सुंदररमन को लेकर क्या फ़ैसला हो?
10. IPL का कारोबारी नुकसान कैसे बचे?
इन मसलों को लेकर मंथन पहले ही शुरू हो चुका है। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर कहते हैं, 'बीसीसीआई के पास लोढा कमेटी को नहीं मानने का कोई विकल्प नहीं है। मुद्गल कमेटी के लिए उन्हें खुद ही जांच करवानी चाहिए।'
राजस्थान रॉयल्स के मेंटॉर और पूर्व भारतीय कप्तान राहुल दविड़ की फ़िक्र इस बात का इशारा है कि भारत में क्रिकेट की साफ़ छवि के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। दविड़ की फ़िक्र फ़िलहाल खिलाड़ियों को लेकर ज़्यादा है।
द्रविड़ कहते हैं, 'ये बेहद निराशाजनक है कि कभी-कभी एक दो लोगों की हरकतों का ख़ामियाज़ा कई लोगों को उठाना पड़ता है। इस तरह की स्थिति में सबसे ज़्यादा नुकसान पिरामिड में सबसे नीचे के लोगों को उठाना पड़ता है। आमतौर पर टॉप खिलाड़ियों और कोच को किसी ने किसी टीम में जगह मिल जाएगी, लेकिन युवा और नए खिलाड़ियों को मुश्किल होगी।'
IPL reforms की प्रक्रिया जटिल तो है मगर नीयत हो तो मुश्किल नहीं। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को बैठक में लिए गए फ़ैसलों को बीसीसीआई की वर्किंग कमेटी से पास करवाने की ज़रूरत होगी।
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