टीम इंडिया की बल्लेबाजी टी20 सीरीज में कप्तान कोहली के लिए चिंता का विषय रही है (फाइल फोटो)
भारत और इंग्लैंड के बीच टी20 सीरीज निर्णायक मोड़ पर है. दोनों ही टीमें 1-1 मैच जीतकर बराबरी हैं, ऐसे में बेंगलुरू में खेला जाने वाला आखिरी टी20 मैच का परिणाम यह तय करेगा कि 'मीर' कौन बनने वाला है. टीम इंडिया ने यह मैच जीता तो वह टेस्ट, वनडे के बाद टी20 सीरीज भी अपने नाम कर लेगी, वहीं इंग्लैंड के लिए बेंगलुरू की जीत एक तरह से एक हद तक सम्मान बचाने का मौका उपलब्ध कराएगी. स्वाभाविक है कि टेस्ट और वनडे सीरीज हारने के बाद इंग्लिश टीम इस मैच में जीत हासिल कर सीरीज जीतने में एड़ी चोटी का जोर लगा देगी.
इयोन मार्गन की इंग्लैंड टीम ने कानपुर में पहला टी20 मैच सात विकेट से जीतकर विराट कोहली ब्रिगेड पर दबाव बनाया था, लेकिन रोमांचक उतार-चढ़ाव और जसप्रीत बुमराह के करिश्माई अंतिम ओवर से भारत ने नागपुर में फतह हासिल कर मामला बराबर कर दिया था. सीरीज के बराबरी पर आने के बावजूद इस बात को स्वीकार करना होगा कि टीम इंडिया का अब तक के दो मैचों में प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है. नागपुर टी20 मैच में ही इंग्लैंड टीम ने ज्यादातर समय तक अपनी पकड़ बनाकर रखी थी, अंतिम ओवर में अम्पायर का एक फैसला टीम इंडिया के पक्ष में गया और उसके बाद बुमराह ने अपनी जादुई गेंदबाजी परिणाम भारत के पक्ष में मोड़ दिया. सीरीज बराबर करने के बाद टीम इंडिया की नजर अब बेंगलुरू में जीत हासिल कर सीरीज पर कब्जा जमाने पर है, लेकिन कप्तान विराट कोहली (Virat kohli) और टीम मैनेजमेंट को अब तक साबित हो रही इन कमजोर कड़ियों को नए सिरे से कसना होगा.
कोहली देखें, टी20 के लिहाज से प्लेइंग इलेवन में कौन फिट
दोनों मैचों में अब तक बल्लेबाजी ने अब तक टीम इंडिया को निराश किया है. ऐसे में विराट कोहली को इस बात को देखना होगा कि टी20 के नेचर के हिसाब से प्लेइंग इलेवन में उनके खांचे में कौन से खिलाड़ी फिट बैठते हैं. मनीष पांडे ने अब तक दोनों मैचों में निराश किया है. पहले मैच में वे पांच गेंदों पर तीन रन बनाकर आउट हुए, वहीं दूसरे वनडे में जरूरत के समय रन औसत को ऊंचाई नहीं दे पाए. उन्होंने 26 गेंदों पर 30 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 115.38 का रहा, जो टी20 के लिहाज से साधारण ही माना जा सकता है. वैसे भी मनीष का आठ टी20 मैचों का स्ट्राइक रेट 112.35 के आसपास है. इसी तरह की बात युवराज सिंह के साथ है. युवी की बल्लेबाजी क्षमता विवाद से परे है और उनके ताकतवर स्ट्रोक विपक्षी टीम को दहलाने का काम करते हैं, लेकिन वनडे सीरीज में अच्छे प्रदर्शन के बाद दोनों टी20 मैचों में वे नाकाम रहे हैं. पहले मैच में उन्होंने 13 गेंदों पर 12 और दूसरे मैच में 12 गेंद पर सिर्फ चार रन बनाए. युवराज एक समय टीम इंडिया के चुस्त क्षेत्ररक्षक थे, लेकिन उम्र के साथ उनकी फिटनेस भी प्रभावित हुई है. न युवराज की रनिंग विटवीन द विकेट अब पहले जैसी रह गई है और न ही वे पहले जैसे चुस्त क्षेत्ररक्षक रह गए हैं. ऐसे में टीम मैनेजमेंट को अपने प्लेइंग 11 को लेकर काफी गंभीरता से फैसला करना होगा.
ओपनिंग के फैसले पर पुनर्विचार करें विराट
रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में विराट कोहली ने दोनों टी20 मैचों में ओपनिंग की है. हालांकि इन दौरान उन्होंनें बल्लेबाजी तो अच्छी की, लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल सके. कोहली का दोनों मैचों का बैटिंग का प्रदर्शन उनके विराट कद के अनुरूप नहीं रहा. वैसे भी विराट पिछले तीन-चार वर्षों से बल्लेबाजी में भारतीय मध्य क्रम के आधार रहे हैं. ओपनिंग के दौरान उनके आउट होते ही मध्य क्रम दबाव में आ रहा है, शुरुआती दोनों मैचों में यह दिखा. हालांकि विराट कह चुके हैं कि रोहित के फिट होने तक वे पारी शुरू करते रहेंगे, लेकिन टीम के बल्लेबाजी प्रदर्शन को देखते हुए बेहतर यही होगा कि वे अपने ओपनिंग के फैसले पर पुनर्विचार करें. कई समीक्षकों की राय में बेहतर यही होगा कि लोकेश राहुल के साथ ओपनिंग का जिम्मा ऋषभ पंत या मनदीप सिंह जैसे युवा ओपनर को दिया जाए और विराट मध्यक्रम में ही बल्लेबाजी करें. शायद इससे टीम की बल्लेबाजी में 'जान' आ जाए.
कम से कम दो बल्लेबाज खेलें बड़ी पारी
टीम इंडिया को यदि जीत हासिल करनी हैं तो उसके कम से कम दो बल्लेबाजों को बड़ी पारी खेलनी होगी. दोनों मैचों में अब तक टीम की ओर से केवल एक अर्धशतक (नागपुर में लोकश राहुल के 71रन ) ही लग पाया है. रैना, धोनी और खुद कप्तान विराट कोहली की ओर से बड़ी पारी से फिलहाल प्रतीक्षा हो रही है. दोनों मैचों में विराट और कानपुर में सुरेश रैना पूरी लय में दिखे लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल पाए . मध्यक्रम के विकेट लगातार गिरते रहने से बल्लेबाजी पर दबाव बढ़ा. बेंगलुर में भारत को इस कमजोरी से उबरना होगा. भारत के विकेटों पर 200 रन के स्कोर के आसपास पहुंचना ही एक तरह से सफलता का मंत्र होता है.
इंग्लैंड के आक्रामक बल्लेबाजों को रोकना होगा
मौजूदा इंग्लैंड टीम में जेसन रॉय, सैम बिलिंग्स, इयोन मोर्गन, जोश बटलर और बेन स्टोक्स जैसे आक्रामक बल्लेबाज हैं. इनके विकेट जल्दी लेना टीम इंडिया के लिए महत्वपूर्ण होगा. पहले मैच में यजुवेंद्र चहल ने शुरुआती दो विकेट झटककर यह काम किया था लेकिन अन्य गेंदबाजों की न चल पाने के कारण इंग्लैंड को हार मिली थी. दूसरे मैच में यह काम आशीष नेहरा ने किया लेकिन बीच के ओवरों में टीम लगातार विकेट के लिए तरसती नजर आई. इसे भारत की किस्मत (और जुझारू प्रदर्शन ही) ही कहा जाएगा कि विपक्षी टीम के छह विकेट गिराने के बावजूद टीम जीत गई. इसमें से अंतिम तीन विकेट तो आखिर के चार ओवरों में ही गिरे. ऐसी स्थिति हर मैच में नहीं आने वाली...
इयोन मार्गन की इंग्लैंड टीम ने कानपुर में पहला टी20 मैच सात विकेट से जीतकर विराट कोहली ब्रिगेड पर दबाव बनाया था, लेकिन रोमांचक उतार-चढ़ाव और जसप्रीत बुमराह के करिश्माई अंतिम ओवर से भारत ने नागपुर में फतह हासिल कर मामला बराबर कर दिया था. सीरीज के बराबरी पर आने के बावजूद इस बात को स्वीकार करना होगा कि टीम इंडिया का अब तक के दो मैचों में प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है. नागपुर टी20 मैच में ही इंग्लैंड टीम ने ज्यादातर समय तक अपनी पकड़ बनाकर रखी थी, अंतिम ओवर में अम्पायर का एक फैसला टीम इंडिया के पक्ष में गया और उसके बाद बुमराह ने अपनी जादुई गेंदबाजी परिणाम भारत के पक्ष में मोड़ दिया. सीरीज बराबर करने के बाद टीम इंडिया की नजर अब बेंगलुरू में जीत हासिल कर सीरीज पर कब्जा जमाने पर है, लेकिन कप्तान विराट कोहली (Virat kohli) और टीम मैनेजमेंट को अब तक साबित हो रही इन कमजोर कड़ियों को नए सिरे से कसना होगा.
कोहली देखें, टी20 के लिहाज से प्लेइंग इलेवन में कौन फिट
दोनों मैचों में अब तक बल्लेबाजी ने अब तक टीम इंडिया को निराश किया है. ऐसे में विराट कोहली को इस बात को देखना होगा कि टी20 के नेचर के हिसाब से प्लेइंग इलेवन में उनके खांचे में कौन से खिलाड़ी फिट बैठते हैं. मनीष पांडे ने अब तक दोनों मैचों में निराश किया है. पहले मैच में वे पांच गेंदों पर तीन रन बनाकर आउट हुए, वहीं दूसरे वनडे में जरूरत के समय रन औसत को ऊंचाई नहीं दे पाए. उन्होंने 26 गेंदों पर 30 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 115.38 का रहा, जो टी20 के लिहाज से साधारण ही माना जा सकता है. वैसे भी मनीष का आठ टी20 मैचों का स्ट्राइक रेट 112.35 के आसपास है. इसी तरह की बात युवराज सिंह के साथ है. युवी की बल्लेबाजी क्षमता विवाद से परे है और उनके ताकतवर स्ट्रोक विपक्षी टीम को दहलाने का काम करते हैं, लेकिन वनडे सीरीज में अच्छे प्रदर्शन के बाद दोनों टी20 मैचों में वे नाकाम रहे हैं. पहले मैच में उन्होंने 13 गेंदों पर 12 और दूसरे मैच में 12 गेंद पर सिर्फ चार रन बनाए. युवराज एक समय टीम इंडिया के चुस्त क्षेत्ररक्षक थे, लेकिन उम्र के साथ उनकी फिटनेस भी प्रभावित हुई है. न युवराज की रनिंग विटवीन द विकेट अब पहले जैसी रह गई है और न ही वे पहले जैसे चुस्त क्षेत्ररक्षक रह गए हैं. ऐसे में टीम मैनेजमेंट को अपने प्लेइंग 11 को लेकर काफी गंभीरता से फैसला करना होगा.
ओपनिंग के फैसले पर पुनर्विचार करें विराट
रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में विराट कोहली ने दोनों टी20 मैचों में ओपनिंग की है. हालांकि इन दौरान उन्होंनें बल्लेबाजी तो अच्छी की, लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल सके. कोहली का दोनों मैचों का बैटिंग का प्रदर्शन उनके विराट कद के अनुरूप नहीं रहा. वैसे भी विराट पिछले तीन-चार वर्षों से बल्लेबाजी में भारतीय मध्य क्रम के आधार रहे हैं. ओपनिंग के दौरान उनके आउट होते ही मध्य क्रम दबाव में आ रहा है, शुरुआती दोनों मैचों में यह दिखा. हालांकि विराट कह चुके हैं कि रोहित के फिट होने तक वे पारी शुरू करते रहेंगे, लेकिन टीम के बल्लेबाजी प्रदर्शन को देखते हुए बेहतर यही होगा कि वे अपने ओपनिंग के फैसले पर पुनर्विचार करें. कई समीक्षकों की राय में बेहतर यही होगा कि लोकेश राहुल के साथ ओपनिंग का जिम्मा ऋषभ पंत या मनदीप सिंह जैसे युवा ओपनर को दिया जाए और विराट मध्यक्रम में ही बल्लेबाजी करें. शायद इससे टीम की बल्लेबाजी में 'जान' आ जाए.
कम से कम दो बल्लेबाज खेलें बड़ी पारी
टीम इंडिया को यदि जीत हासिल करनी हैं तो उसके कम से कम दो बल्लेबाजों को बड़ी पारी खेलनी होगी. दोनों मैचों में अब तक टीम की ओर से केवल एक अर्धशतक (नागपुर में लोकश राहुल के 71रन ) ही लग पाया है. रैना, धोनी और खुद कप्तान विराट कोहली की ओर से बड़ी पारी से फिलहाल प्रतीक्षा हो रही है. दोनों मैचों में विराट और कानपुर में सुरेश रैना पूरी लय में दिखे लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल पाए . मध्यक्रम के विकेट लगातार गिरते रहने से बल्लेबाजी पर दबाव बढ़ा. बेंगलुर में भारत को इस कमजोरी से उबरना होगा. भारत के विकेटों पर 200 रन के स्कोर के आसपास पहुंचना ही एक तरह से सफलता का मंत्र होता है.
इंग्लैंड के आक्रामक बल्लेबाजों को रोकना होगा
मौजूदा इंग्लैंड टीम में जेसन रॉय, सैम बिलिंग्स, इयोन मोर्गन, जोश बटलर और बेन स्टोक्स जैसे आक्रामक बल्लेबाज हैं. इनके विकेट जल्दी लेना टीम इंडिया के लिए महत्वपूर्ण होगा. पहले मैच में यजुवेंद्र चहल ने शुरुआती दो विकेट झटककर यह काम किया था लेकिन अन्य गेंदबाजों की न चल पाने के कारण इंग्लैंड को हार मिली थी. दूसरे मैच में यह काम आशीष नेहरा ने किया लेकिन बीच के ओवरों में टीम लगातार विकेट के लिए तरसती नजर आई. इसे भारत की किस्मत (और जुझारू प्रदर्शन ही) ही कहा जाएगा कि विपक्षी टीम के छह विकेट गिराने के बावजूद टीम जीत गई. इसमें से अंतिम तीन विकेट तो आखिर के चार ओवरों में ही गिरे. ऐसी स्थिति हर मैच में नहीं आने वाली...
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