बेंगलुरू:
न्यूजीलैंड के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर रिचर्ड हैडली का मानना है कि भारत बल्लेबाजी की त्रिमूर्ति सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण को अभी कुछ और समय देना चाहिए।
हैडली ने कहा, ‘आप तेंदुलकर, लक्ष्मण और द्रविड़ के संन्यास की बात नहीं कर सकते। आप एकसाथ इन तीनों खिलाड़ियों को नहीं गंवा सकते। आपको युवा खिलाड़ियों को परखने की जरूरत है।’
इस दिग्गज क्रिकेटर ने हालांकि कहा कि आखिरी फैसला भारतीय चयनकर्ताओं को करना है। उन्होंने साथ ही कहा कि तेंदुलकर अभी कुछ समय और खेल सकते हैं लेकिन माना कि यह स्टार बल्लेबाज अपने 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक के दबाव में है। उन्होंने कहा, ‘जब आप किसी उपलब्धि की दहलीज पर खड़े रहते हो जैसे कि मैं सर्वाधिक टेस्ट विकेट के इयान बाथम के रिकार्ड को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रहा था, तो तब काफी दबाव रहता है। मुझे लगता है कि तेंदुलकर भी ऐसा ही महसूस कर रहा है।’
टेस्ट क्रिकेट में 431 विकेट लेने वाले न्यूजीलैंड के इस क्रिकेटर ने कहा कि एक बार जब तेंदुलकर 100वां शतक लगा देंगे तो वह जल्द ही एक दो और शतक जड़ने में सफल रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘जहां तक भारतीय टीम का सवाल है तो वे भी चाहते हैं कि वह शतक जमाए। इससे वे सहज होकर खेल सकते हैं। मुझे याद है कि लोग 2007 विश्वकप के दौरान तेंदुलकर के संन्यास की बात करने लगे थे लेकिन उन्होंने अगले पांच साल में रनों का अंबार लगाया।’
हैडली ने कहा, ‘आप तेंदुलकर, लक्ष्मण और द्रविड़ के संन्यास की बात नहीं कर सकते। आप एकसाथ इन तीनों खिलाड़ियों को नहीं गंवा सकते। आपको युवा खिलाड़ियों को परखने की जरूरत है।’
इस दिग्गज क्रिकेटर ने हालांकि कहा कि आखिरी फैसला भारतीय चयनकर्ताओं को करना है। उन्होंने साथ ही कहा कि तेंदुलकर अभी कुछ समय और खेल सकते हैं लेकिन माना कि यह स्टार बल्लेबाज अपने 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक के दबाव में है। उन्होंने कहा, ‘जब आप किसी उपलब्धि की दहलीज पर खड़े रहते हो जैसे कि मैं सर्वाधिक टेस्ट विकेट के इयान बाथम के रिकार्ड को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रहा था, तो तब काफी दबाव रहता है। मुझे लगता है कि तेंदुलकर भी ऐसा ही महसूस कर रहा है।’
टेस्ट क्रिकेट में 431 विकेट लेने वाले न्यूजीलैंड के इस क्रिकेटर ने कहा कि एक बार जब तेंदुलकर 100वां शतक लगा देंगे तो वह जल्द ही एक दो और शतक जड़ने में सफल रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘जहां तक भारतीय टीम का सवाल है तो वे भी चाहते हैं कि वह शतक जमाए। इससे वे सहज होकर खेल सकते हैं। मुझे याद है कि लोग 2007 विश्वकप के दौरान तेंदुलकर के संन्यास की बात करने लगे थे लेकिन उन्होंने अगले पांच साल में रनों का अंबार लगाया।’
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