विशाखापट्टम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के आखिरी करो या मरो और निर्णायक मुकाबले में पिछले 20 मैचों से चला आ रहा टॉस का बनवास आखिरकार खत्म हो ही गई. पता नहीं पिछले 20 मैचों में सिक्का दाएं हाथ से उछाला था, या बाएं हाथ से, लेकिन विशाखापट्टम में बाएं हाथ की उछाल काम कर गई! और टीम इंडिया वनडे में लगातार 21वें टॉस हार से बच गई, जो मैच दर मैच गुजरने के साथ ही एक नया मानक स्थापित कर रहा था. बहरहाल, यह अनचाहा रिकॉर्ड हमेशा करोड़ों भारतीयों के ज़हन में बसा रहेगा. बहरहाल, अच्छी बात यह है कि जितना यह देखने (हार) में लगता है, परिणाम में यह टीम इंडिया को उतना भारी नहीं पड़ा.
लगातार 20 टॉस हार में भी जीत अच्छी हैं!
भारत ने विशाखापट्टम से पहले आखिरी टॉस 15 नवंबर को भारत में खेले गए विश्व कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में जीता था. लेकिन यहां से भारत के टॉस लक पर ग्रहण लग गया और अगले लगातार 20 मैचों में सिक्के की उछाल उसके पक्ष में नहीं रही. इस समयावधि में टीम इंडिया ने 20 मैच खेले. इनमें भारत ने 12 मुकाबले जीते, जबकि 7 में उसे हार मिली और मैच टाई छूटा. लगातार टॉस हारने पर जैसा अनचाहा रिकॉर्ड बना, यह परिणाम में उतना प्रदर्शित नहीं हुआ. लगातार 20 टॉस हारने के बावजूद इसमें 12 मैच जीतना अच्छा रिकॉर्ड कहा जाएगा.
फर्स्ट क्लास नंबर से पास हुई टीम इंडिया!
भारत के इन आंकड़ों को जीत-हार प्रतिशत में तब्दील करने पर टीम इंडिया का यह आंकड़ा फर्स्ड डिवीजन के नंबर को पार कर जाता है. पिछले करीब दो साल से थोड़ा ज्यादा समय के भीतर भारत की जीत का प्रतिशत 62.5 प्रतिशत (%) रहा है और यह एक अच्छा आंकड़ा है. कहा जा जा सकता है कि लगातार 20 टॉस हारने के बाद भी टीम इंडिया फर्स्ट क्लास नंबर से पास हुई है.
काम कर गया यह टोटका!
भारत के टॉस जीतने के बाद ही फैंस और कमेंटेटर्स के बीच बहुत ही उत्साही प्रतिक्रिया थी. जाहिर है कि ऐसा होना ही था. अब पता नहीं कि विशाखापट्टनम से पहले पिछले लगातार 20 मैचों में रहे कप्तानों ने कौन से हाथ से सिक्का उछाला था. बाएं से उछाला था कि दाएं से, लेकिन आखिरी वनडे में केएल ने उल्टे हाथ का सहारा लिया, तो सिक्के की उछाल मनचाही हो गई. और जैसे ही फैंस के बीच बाएं हाथ की बात पहुंची, तो बातें बहुत देर तक ऐसी होती रहीं, 'केएल का टोटका काम कर गया भाई', 'ग्रहण हट गया भाई', काम हो गया भाई..वगैरह..वगैरह.
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