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IND vs ENG, Semifinal: इन 3 बड़ी वजहों से कोहली अभी तक साबित हुए एकदम फिस्स, इंग्लैंड के खिलाफ भी नहीं चले

Virat Kohli: कोहली के करोड़ों चाहने वालों को बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि कुछ दिन पहले ही आईपीएल के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर को यह एकदम से क्या हो गया

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IND vs ENG, Semifinal: इन 3 बड़ी वजहों से कोहली अभी तक साबित हुए एकदम फिस्स, इंग्लैंड के खिलाफ भी नहीं चले
नई दिल्ली:

जारी टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2024) में वीरवार को गयाना के प्रोविडेंस स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल (Ind vs Eng SemiFinal) में भारतीय पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) एक बार फिर से फ्लॉप होकर अपने करोड़ों फैंस को निराश कर गए. किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है कि चंद दिन पहले ही इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2024) में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले कोहली को यह एकदम क्या हो गया कि सात मैचों के बाद उनका औसत 11 से भी नीचे सिमट कर रह गया. बता दें कि कोहली सबसे आखिरी में विश्व कप टीम से जुड़े थे. और वह अभ्यास मैच नहीं  खेले थे. बहरहाल, यह तो साफ है कि कुछ ऐसा जरूर हुआ है, जिससे कोहली के बल्ले को एकदम से जंग लग गया. चलिए आपका ऐसी ही 3 बड़ी वजहों से परिचय कराते हैं

1. आईपीएल (भारतीय पिच) जैसी एप्रोच नुकसानदेह रही

कोहली ने इंग्लैंड में कई नेट सेशन में हिस्सा लिया. यह भी सही है कि कोहली के पास आईपीएल में जमा किए रनों का कॉन्फिडेंस था. और जब टीम प्रबंधन ने आक्रामक एप्रोच अख्तियार करने का फैसला किया, तो विराट जरुरत से ज्यादा आक्रामक रवैया धारण करते दिखाई पड़े. कोहली की एप्रोच ऐसी रही मानो वह भारत की आईपीएल की पिचों पर खेल रहे रहे हों. कोहली फ्लॉप दर फ्लॉप होते रहे, लेकिन उन्होंने एप्रोच से समझौता नहीं किया, लेकिन इस जरुरत से ज्यादा आक्रामक एप्रोच से भला नहीं हुआ

2. जरूरी धैर्य का अभाव

न्यूयार्क और विंडीज में आईपीएल की तुलना में कहीं ज्यादा गेंद रुक कर आ रही थी. यहां पर टाइमिंग हासिल करने के लिए शुरुआती ओवरों में अमल में लाई गई एप्रोच की तुलना में थोड़ा धैर्य भी दिखाए जाने की जरुरत थी. इसके तहत एक छोर (रोहित) पर अटैक और दूसरे छोर पर कोहली कम आक्रमकता का सहारा ले सकते थे, लेकिन दोनों छोरों से अटैक करने की नीति रही, तो कोहली को शुरुआती ही ओवरों में पिच के हिसाब से जो थोड़ा धैर्य रखना था, वैसा नहीं हुआ और इससे उनके शॉट चयन को भी प्रभावित किया.

3. शॉट चयन पर पड़ा गहरा असर

ऐसा नहीं था कि कोहली की तकनीक में कोई खामी रही. तकनीकी रूप से कोहली हमेशा की तरह ही अपने संदर्भ में चुस्त-दुरुतस्त हैं, लेकिन अति आक्रामकता का असर उनके धैर्य पर पड़ा, तो इसने शॉट चयन को भी प्रभावित किया. अमेरिका के शुरुआती चरण में कोहली ने बहुत ज्यादा ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर जाकर खेलने की कोशिश की, तो कभी वह बिना टाइमिंग हासिल किए शॉट खेलने चले गए. इंग्लैंड के खिलाफ कोहली की आक्रामकता एक और स्तर पर दिखी, जब वह नई गेंद के खिलाफ कदमों का इस्तेमाल करते हुए टॉप्ली के खिलाफ शॉट खेलने गए, लेकिन गेंद उनकी एप्रोच से कहीं तेज निकली और बड़े मौके पर उनसे लगी उम्मीदें स्वाहा हो गई. कोहली ने रूम (जगह) बनाकर उड़ाने की कोशिश की, लेकिन यह उनके अनुमान और पोजीशन से कहीं तेज निकली.


 

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