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This Article is From Nov 17, 2023

Special Stories World Cup 2023 : वर्ल्ड कप फाइनल का इतिहास, कब और किस टीम ने जीता है खिताब, जानें पूरी लिस्ट

World Cup Final History: पहला विश्व कप जो 1975 में खेला गया था तब से लेकर अब तक क्रिकेट के इस खेल और इसके स्वरूप में काफी बदलाव हो चुका है. जिन टीमों की इस खेल में तूती बोलती थी वे अब कहीं भी नजर नहीं आ रही है

Special Stories World Cup 2023 : वर्ल्ड कप फाइनल का इतिहास, कब और किस टीम ने जीता है खिताब, जानें पूरी लिस्ट
World Cup 2023 Winner history: कब और किस टीम ने जीता है विश्व कप का खिताब

World Cup Final History: वर्ल्ड कप को क्रिकेट के महाकुंभ के रूप में पहचाना जाता है. फर्क इतना है कि क्रिकेट का ये महाकुंभ 12 नहीं बल्कि 4 साल में एक बार आता है. इस दौरान पूरी दुनिया में क्रिकेट प्रेमियों में इस खेल की दीवानगी सिर चढ़कर बोलती है. पहला विश्व कप जो 1975 में खेला गया था तब से लेकर अब तक क्रिकेट के इस खेल और इसके स्वरूप में काफी बदलाव हो चुका है. जिन टीमों की इस खेल में तूती बोलती थी वे अब कहीं भी नजर नहीं आ रही है. आइए जानते हैं कैसा रहा है विश्वकप क्रिकेट का इतिहास और कब किस टीम को मिली है खिताबी जीत. 

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पहला विश्व कप- 1975
ये वो दौर था जब वनडे क्रिकेट में 50 नहीं बल्कि 60 ओवर के मैच हुआ करते थे. वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया की शक्तिशाली टीमें इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचीं थी. क्लाइव लॉयड के नेतृत्व वाली वेस्टइंडीज ने इयान चैपल के नेतृत्व वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम को 17 रनों से हराकर विश्व कप का पहला खिताब उठाया था. क्लाइव लॉयड शानदार शतक बनाकर प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे.

दूसरा विश्व कप- 1979
इस विश्व कप में कैरेबियन गेंदबाजों को खौफ पूरी दुनिया में छाया हुआ था. इस बार फाइनल में वेस्टइंडीज के सामने इंग्लैंड की टीम थी. इंग्लैंड की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग और जोएल गार्नर जैसे खतरनाक तेज गेंदबाजों के सामने 208 रनों पर सिमट गई. जवाब में वेस्टइंडीज ने यह लक्ष्य महज 2 विकेट खोकर प्राप्त कर लिया. इस वर्ल्ड कप फाइनल को बेस्ट ऑफ थ्री फॉर्मूले के तहत खेला जाना था. वेस्ट इंडीज ने पहले दोनों फाइनल जीत लिए लिहाजा तीसरे की जरूरत ही नहीं पड़ी.

तीसरा विश्व कप-1983
यह विश्व कप भारतीय टीम के शानदार उलटफेर के लिए जाना जाता है. टूर्नामेंट से पहले काफी कम आंकी जा रही इंडियन क्रिकेट टीम ने इस विश्वकप में कपिल देव के नेतृत्व में इतिहास रच डाला. फाइनल मैच काफी लो स्कोरिंग रहा था, भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 183 रन बनाए थे. लेकिन भारतीय टीम ने शानदार गेंदबाजी करते हुए दो बार की चैम्पियन वेस्टइंडीज को महज 140 रनों पर समेट दिया था. 

चौथा विश्व कप- 1987
इस विश्व कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से की थी. भारत इस विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा था. लेकिन सेमीफाइनल में उसे इंग्लैंड के हाथों हार झेलनी पड़ी. फाइनल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हुआ. ऑस्ट्रेलिया के 254 रनों के जवाब में इंग्लैंड 246 रन ही बना सकी. इस तरह से एलन बॉर्डर के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया पहली बार विश्व चैम्पियन बना. 

पांचवां विश्व कप- 1992
यह विश्व कप पाकिस्तान और उसके कप्तान इमरान खान के नाम रहा था. फाइनल मैच पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच खेला गया. पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 249 रनों का लक्ष्य रखा. जिसके जवाब में इंग्लिश टीम 227 रनों पर बिखर गई. इस तरह से पाकिस्तान पहली बार विश्व चैंपियन बना और क्रिकेट का जन्मदाता इंग्लैड एक बार फिर खिताब से एक कदम दूर रह गया. 

छठा विश्व कप-1996
इस टूर्नामेंट में श्रीलंका की टीम एक अलग ही अंदाज में दिखाई दी. पूरे टूर्नामेंट में सनत जयसूर्या अपने शबाब पर नजर आए और विरोधी गेंदबाजों के धुर्रे बिखेर दिए. फाइनल में श्रीलंका का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से था. ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका के सामने 242 रनों का लक्ष्य रखा जिसे श्रीलंका ने 47 वें ओवर में महज 3 विकेट खोकर हासिल कर लिया. अरविंद डीसिल्वा ने 107 रनों की नाबाद शतकीय पारी खेली. अर्जुन रणतुंगा के नेतृत्व में पहली बार श्रीलंका ने खिताब पर कब्जा किया. डिसिल्वा प्लेयर ऑफ द मैच और जयसूर्या प्लेयर ऑफ द सीरीज घोषित किए गए. 

सातवां विश्व कप- 1999
ऑस्ट्रेलिया की टीम इस वक्त तक क्रिकेट की दुनिया की सिरमौर बन चुकी थी, लिहाजा उसका फाइनल में पहुंचना कोई ताज्जुब की बात नहीं थी. फाइनल मुकाबला पाकिस्तान के खिलाफ था. शेन वॉर्न की फिरकी में उलझकर पाक टीम महज 132 रन पर सिमट गई. ऑस्ट्रेलिया ने इस लक्ष्य को केवल 20.1 ओवर में महज दो विकेट खोकर हासिल कर लिया. शेन वॉर्न प्लेयर ऑफ द मैच रहे. 

आठवां विश्व कप- 2003
सौरव गांगुली की नेतृत्व में इस विश्व कप से भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को बहुत आशाएं थी. टीम इंडिया ने भी अपने फैन्स को निराश नहीं किया और फाइनल में अपनी जगह बनाई. लेकिन फाइनल में भारतीय गेंदबाज कंगारूओं पर अंकुश नहीं लगा सके. रिकी पोटिंग के शानदार 140 रनों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 359 रनों का पहाड़ खड़ा किया. जिसके जवाब में भारत 234 रनों पर धराशाई हो गया. रिकी पोंटिंग प्लेयर ऑफ द मैच रहे, जबकि प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का का सम्मान सचिन तेंदुलकर के खाते में गया. 

नौवां विश्व कप- 2007
ऑस्ट्रेलिया का दबदबा विश्व क्रिकेट पर छाया हुआ था. फाइनल मुकाबले में उसके सामने 1996 की चैंपियन श्रीलंका की टीम थी. एडम गिलक्रिस्ट ने पारी की शुरुआत करते हुए श्रीलंकाई गेंदबाजों के धुर्रे बिखेर दिया. गिलक्रिस्ट की तूफानी 149 रनों की पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 281 रन बनाए, जिसके जवाब में श्रीलंका 215 रन ही बना सकी. गिलक्रिस्ट प्लेयर ऑफ द मैच और ग्लेन मैकग्रा प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे. 

दसवां विश्व कप-2011
कैप्टन कूल महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में अपने परंपरागत प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को सेमीफाइनल में हराकर भारत फाइनल में पहुंचा. यहां उसका मुकाबला श्रीलंका से था. श्रीलंका ने भारत के सामने 275 रनों का बड़ा लक्ष्य रखा. लेकिन गौतम गंभीर और कप्तानी धोनी की बेहतरीन पारियों की बदौलत भारत ने इस मैच को जीतकर दूसरी बार खिताब को अपनी झोली में डाल लिया. धोनी प्लेयर ऑफ द मैच और युवराज सिंह प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे. 

ग्यारहवां विश्व कप- 2015
मेलबर्न में खेले गए विश्वकप फाइनल मुकाबले में चिर परिचित प्रतिद्वंदी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आमने-सामने थे. न्यूजीलैंड की टीम पहले बैटिंग करते हुए केवल 183 रनों पर ढेर हो गई. जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने केवल 3 विकेट खोकर 101 गेदों के शेष रहते आसानी से लक्ष्य हासिल कर लिया. 

बारहवां विश्व कप- 2019
इस विश्व कप के फाइनल में दो ऐसी टीमें थी जिन्होंने इससे पहले कभी विश्व कप नहीं जीता था. यानि दोनों के लिए पहली बार खिताब जीतने का मौका था. क्रिकेट का जन्मदाता इंग्लैड खुद इससे पहले कभी विश्वकप नहीं जीत सका था, लेकिन 2019 में उसका इंतजार खत्म हुआ. फाइनल मुकाबले को विश्व कप इतिहास का सबसे रोमांचक मैच कहा जाए तो गलत नहीं होगा. टाई होने के बाद बात सुपर ओवर तक गई, लेकिन वहां भी मामला बराबरी पर रहा. फिर आईसीसी के एक अनोखे नियम के तहत ज्यादा बाउंड्री लगाने के आधार पर इंग्लैड को विजयी घोषित किया गया. न्यूजीलैंड को लगातार दूसरी बार निराशा झेलनी पड़ी।

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