मुंबई:
पिछले डेढ़ साल से टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के प्रमुख खिलाड़ियों का लगातार खराब फॉर्म चिंता का सबब बना हुआ है, लिहाजा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी सीरीज के लिए रविवार को टीम चुनना चयनकर्ताओं के लिए आसान काम नहीं होगा।
पिछली तीन शृंखलाएं हारने के बाद समिति के लिए चुनौती विजयी टीम संयोजन चुनने की है। ऐसे में हरभजन सिंह, सुरेश रैना और श्रीसंत जैसे खिलाड़ियों की टेस्ट टीम में वापसी पर विचार किया जा सकता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से उनकी सरजमीं पर हारने वाले भारत ने वेस्ट इंडीज और न्यूजीलैंड जैसी कमजोर टीमों पर जीत दर्ज की।
इंग्लैंड के खिलाफ हालांकि अपनी सरजमीं पर 1-2 से मिली हार के बाद सीनियर खिलाड़ियों के फॉर्म को लेकर चिंता पैदा हो गई है। इनमें वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर शामिल हैं। वैसे प्रभावी विकल्प के अभाव में चयनकर्ता दोनों को बरकरार रख सकते हैं। खासकर चेन्नई में 22 फरवरी से होने वाले पहले टेस्ट के लिए।
सहवाग का टेस्ट रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है, जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में शतक भी बनाया था। वहीं गंभीर का पिछली 16 पारियों में सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 93 रहा है, जो 25 महीने पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बनाया था। दोनों मिलकर भारत को अच्छी शुरुआत नहीं दे सके हैं। इंग्लैंड के खिलाफ रिजर्व सलामी बल्लेबाज मुरली विजय को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। उन्होंने मुंबई के खिलाफ ईरानी कप मैच में शेष भारत के लिए शतक जमाकर फॉर्म जाहिर कर दिया।
चयनकर्ताओं को यदि कोई और विकल्प चाहिए तो अनुभवी वसीम जाफर हैं, जो अपने करियर में पांच टेस्ट शतक लगा चुके हैं। उन्होंने आखिरी टेस्ट 2008 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। घरेलू क्रिकेट में भी उन्होंने काफी रन बनाए हैं। ईरानी कप में शेष भारत के खिलाफ मुंबई के लिए उन्होंने 80 रन की पारी खेली।
मुंबई के लिए खेल रहे सचिन तेंदुलकर का 140 रन बनाकर फॉर्म में लौटना भी चयनकर्ताओं के लिए राहत का सबब रहा होगा। चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली का चयन तय है। मध्यक्रम के दावेदारों में रैना, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा, मनोज तिवारी और युवराज सिंह भी हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की शृंखला में खराब प्रदर्शन के बाद रैना को बाहर कर दिया गया। उन्होंने भी ईरानी कप में शेष भारत के लिए शतक जड़कर अपना दावा मजबूत किया है।
रहाणे ने भी मुंबई के खिलाफ 83 रन बनाए, लेकिन बाकी तीन कुछ नहीं कर सके। रोहित ने अपना विकेट गैर-जिम्मेदाराना ढंग से गंवा दिया। युवराज का तो टीम में चयन ही नहीं हुआ। इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में आखिरी टेस्ट के लिए टीम से उन्हें बाहर करके रवींद्र जडेजा को शामिल किया गया था।
पिछली तीन शृंखलाएं हारने के बाद समिति के लिए चुनौती विजयी टीम संयोजन चुनने की है। ऐसे में हरभजन सिंह, सुरेश रैना और श्रीसंत जैसे खिलाड़ियों की टेस्ट टीम में वापसी पर विचार किया जा सकता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से उनकी सरजमीं पर हारने वाले भारत ने वेस्ट इंडीज और न्यूजीलैंड जैसी कमजोर टीमों पर जीत दर्ज की।
इंग्लैंड के खिलाफ हालांकि अपनी सरजमीं पर 1-2 से मिली हार के बाद सीनियर खिलाड़ियों के फॉर्म को लेकर चिंता पैदा हो गई है। इनमें वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर शामिल हैं। वैसे प्रभावी विकल्प के अभाव में चयनकर्ता दोनों को बरकरार रख सकते हैं। खासकर चेन्नई में 22 फरवरी से होने वाले पहले टेस्ट के लिए।
सहवाग का टेस्ट रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है, जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में शतक भी बनाया था। वहीं गंभीर का पिछली 16 पारियों में सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 93 रहा है, जो 25 महीने पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बनाया था। दोनों मिलकर भारत को अच्छी शुरुआत नहीं दे सके हैं। इंग्लैंड के खिलाफ रिजर्व सलामी बल्लेबाज मुरली विजय को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। उन्होंने मुंबई के खिलाफ ईरानी कप मैच में शेष भारत के लिए शतक जमाकर फॉर्म जाहिर कर दिया।
चयनकर्ताओं को यदि कोई और विकल्प चाहिए तो अनुभवी वसीम जाफर हैं, जो अपने करियर में पांच टेस्ट शतक लगा चुके हैं। उन्होंने आखिरी टेस्ट 2008 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। घरेलू क्रिकेट में भी उन्होंने काफी रन बनाए हैं। ईरानी कप में शेष भारत के खिलाफ मुंबई के लिए उन्होंने 80 रन की पारी खेली।
मुंबई के लिए खेल रहे सचिन तेंदुलकर का 140 रन बनाकर फॉर्म में लौटना भी चयनकर्ताओं के लिए राहत का सबब रहा होगा। चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली का चयन तय है। मध्यक्रम के दावेदारों में रैना, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा, मनोज तिवारी और युवराज सिंह भी हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की शृंखला में खराब प्रदर्शन के बाद रैना को बाहर कर दिया गया। उन्होंने भी ईरानी कप में शेष भारत के लिए शतक जड़कर अपना दावा मजबूत किया है।
रहाणे ने भी मुंबई के खिलाफ 83 रन बनाए, लेकिन बाकी तीन कुछ नहीं कर सके। रोहित ने अपना विकेट गैर-जिम्मेदाराना ढंग से गंवा दिया। युवराज का तो टीम में चयन ही नहीं हुआ। इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में आखिरी टेस्ट के लिए टीम से उन्हें बाहर करके रवींद्र जडेजा को शामिल किया गया था।
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