
- इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में हार के बाद हनुमान चालीसा और शिव रुद्राष्टकम स्तुति से मनोबल बनाए रखा.
- ऋषभ पंत ने पैर की गंभीर चोट के बावजूद बहादुरी से बल्लेबाजी कर टीम इंडिया को संकट से उबारा.
- पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने मैनचेस्टर प्रदर्शन को गाबा की जीत से बड़ा और गर्व का पल बताया.
टीम इंडिया की इंग्लैंड में ऐतिहासिक कामयाबी की एक नहीं कई वजहें रहीं. मोहम्मद सिराज, कप्तान शुभमन गिल, आकाशदीप, जडेजा, वाशिंगटन सुंदर से लेकर पूरी सीरीज में केएल राहुल, यशस्वी, बुमराह और पूरी टीम का जलवा रहा. लेकिन इस टीम को ओवल की लंका तक पहुंचाने में पहले हनुमान चालीसा और फिर जीत का लक्ष्य हासिल करने से पहले कैसे शिव रुद्राष्टकम स्तुति ने टीम का मनोबल टूटने नहीं दिया ये भी बेहद दिलचस्प, दास्तां है.
भारत के घर-घर में बड़े बुज़ुर्ग कहते हैं, 'जब डर लगे और इम्तिहान बड़ा हो तो हुनमान चालीसा पढ़ लें.' भारत-इंग्लैंड सीरीज के दौरान लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट में जबरदस्त फाइट के बावजूद मिली हार के बाद टीम इंडिया बेकनहैम पहुंची तो उसने अपना घरेलू मंत्र याद रखा.
हर हार की अलग ही फितरत होती है. जब टीम लॉर्ड्स की बेहद क्लोज हार के बाद बेकनहैम पहुंची तो खिलाड़ियों के कंधे झुके हुए थे. लेकिन नेट्स सेशन के दौरान टीम ने अपना मनोबल ऊंचा बनाये रखने के लिए भक्ति और संगीत का साथ लिया. बेकनहैम के ड्रेसिंग रूम में हनुमान चालीसा के पाठ ने ओवल से पहले खिलाड़ियों का हनुमान जगा दिया.
हार की कहानी पीछे छूट चुकी थी. मैनचेस्टर में टीम इंडिया के 358 के जवाब में इंग्लैंड ने 669 का पहाड़ तो खड़ा किया ही. ऋषभ पंत के पैर में लगी गेंद ने टीम इंडिया को संकट में डाल दिया. लेकिन संकटमोचक और ऋषभ की बहादुरी ने इस टेस्ट को मिसाल बना दिया. ऋषभ का एक पांव पर खड़े होकर टीम के लिए बैटिंग करना इस सीरीज के सबसे यादगार लम्हों में से एक बन चुका है.
दिल्ली क्रिकेट संघ DDCA के फिजियो और ट्रेनर दीपक सूर्या ने बताया कि जो चोट ऋषभ पंत को लगी थी उसकी तुलना पिस्टल के बुलेट से की जा सकती है. वो कहते हैं कि उस दर्द के साथ जमीन पर पांव रखना ही बेहद दर्दनाक है. वो ये भी कहते हैं कि अगर कोई गेंद दुबारा चोट की उसी जगह लग जाती तो उनके करियर पर बात आ सकती थी.
टीम इंडिया ने लॉर्ड्स की हार को छोड़कर आगे बढ़ने के लिए वो सब तरीके अपनाये जिससे उनके अंदर का हनुमान जाग जाये. लेकिन मैनचेस्टर में टीम का बड़ा इम्तिहान होता रहा. केएल राहुल ने मैनचेस्टर की दूसरी पारी में 90 रन बनाकर पिच पर अंगद सा पांव जमाये रखा और फिर कप्तान शुभमन गिल, रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर की पारियों ने मैच को हार के मुंह से छीनकर ड्रॉ का रास्ता दिखाया. कई मायनों में इस ड्रॉ को किसी बड़ी जीत सा ही आंका गया.
मैनचेस्टर की जीत के बाद पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने SONY SPORTS Network पर कहा, 'मुझे इस टीम पर गर्व है. उन्होंने जो कर दिखाया है मुझे उसपर फख्र है.'
मैनचेस्टर के प्रदर्शन ने ओवल के लिए टीम में जोश भर दिया. एकबार फिर ओवल पर यशस्वी, आकाशदीप, ध्रवु जुरेल, जडेजा और वाशिंगटन जैसे जांबाज जीत के गीत लिख रहे थे तो मो. सिराज करिश्माई गेंदबाज़ी कर जीत के नायक बन गए. ये नई टीम इंडिया है. नया अंदाज़ है ... डटकर कर्म करती है और अपने विश्वास पर डटे रहकर इतिहास बनाती है.
मीडिया रिपोर्ट्स से मुताबिक ओवल पर पांचों दिन टीम इंडिया ने अपने कामयाबी के फॉर्मूले को जाया नहीं होने दिया. ओवल पर पांचों ही दिन शिव रुद्राष्टकम स्त्रोत और स्तुति टीम के मनोबल के साथ रही. मैदान पर योद्धा आखिर तक अपने विश्वास के साथ डटे रहे तो शिव स्तुति ने इन योद्धाओं के लिए जीत का मार्ग प्रशस्त किये रखा.
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने इसे टीम इंडिया की 2021 में गाबा (ब्रिसबेन) में मिली जीत से बड़ी बताया तो सचिन ने सुपर उत्साहित होकर X पर ट्वीट किया, "टेस्ट क्रिकेट.. खालिस रोमांच. सीरीज. 2-2. परफोरमेंस 10/10! भारत का सुपरमैन कारनामा!
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