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This Article is From Dec 05, 2016

INDvsENG: मुरली विजय की इस 'खेल भावना' से पहले विश्‍वनाथ ऐसी मिसाल पेश कर चुके हैं जो थी सबसे अलग...

INDvsENG: मुरली विजय की इस 'खेल भावना' से पहले विश्‍वनाथ ऐसी मिसाल पेश कर चुके हैं जो थी सबसे अलग...
सचिन तेंदुलकर, सुनील गावसकर और अमिताभ बच्‍चन के साथ गुंडप्‍पा विश्‍वनाथ (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: 'जेंटलमैन गेम' कहे जाने वाले क्रिकेट में इंग्‍लैंड के खिलाफ मोहाली टेस्‍ट में टीम इंडिया के मुरली विजय अपनी खेल भावना के कारण इन दिनों चर्चा के केंद्र हैं. टीम इंडिया की पहली पारी के दौरान विजय को जब महसूस किया तो उन्‍होंने अंपायर के फैसले का इंतजार किए बिना पैवेलियन लौटने का फैसला किया. विजय की खेल भावना की इस मामले में तारीफ की जानी चाहिए क्‍योंकि ग्राउंड अंपायर की ओर से गेंदबाज बेन स्‍टोक्‍स और इंग्‍लैंड टीम की अपील नकारे जाने के बावजूद उन्‍होंने लौटने का फैसला किया. वाकया मोहाली में हुए सीरीज के तीसरे टेस्‍ट मैच का है. इंग्लैंड के 283 रनों के जवाब में भारतीय पारी की शुरुआत में मुरली विजय 'आउट ऑफ टच' दिखे. जब वह 12 रन पर खेल रहे थे, तभी स्टोक्स की ऑफ स्‍टंप से बाहर निकलती गेंद पर बल्ला चला बैठे और विकेट के पीछे जॉनी बेयरस्टॉ ने गेंद को लपक लिया. इंग्लैंड ने जोरदार अपील की, लेकिन अंपायर जैफने ने इसे नकार दिया. लेकिन विजय पैवेलियन की ओर चल दिए. उन्हें लगा कि वह आउट हैं, तो उन्होंने खुद ही लौटने का फैसला कर लिया.

विजय ने खेल के मैदान पर ऐसी मिसाल पेश की जो आज के प्रतिस्‍पर्धात्‍मक क्रिकेट में कम ही देखने को मिलती है. आज के समय तो साफ आउट होने के बाद भी ज्‍यादातर बल्‍लेबाज इस उम्‍मीद में क्रीज पर ही खड़े रहते हैं कि अंपायर के फैसले में गफलत की स्थिति में उन्‍हें लाभ मिल सके. वैसे विजय के पहले देश के महान ओपनर सुनील गावसकर भी ऐसी ही खेल भावना दिखाने के लिए मशहूर थे. सनी को जब अहसास हो जाता था कि वे आउट हैं तो वे अंपायर के फैसले का इंतजार नहीं करते थे और अपनी खास स्‍टाइल में बल्‍ला कंधे के नीचे दबाकर पैवेलियन की लौट वापस चल पड़ते थे.
 
विजय ने अंपायर के फैसले का इंतजार किए बिना लौटकर खेल भावना की मिसाल पेश की थी

वैसे, मुरली विजय और सुनील गावसकर की इस 'स्‍पोर्ट्समैन स्प्रिट' से कहीं बड़ी मिसाल मैदान पर टीम इंडिया के महान बल्‍लेबाज रहे गुंडप्‍पा विश्‍वनाथ पेश कर चुके हैं. रिश्‍ते में सुनील गावस्‍कर के बहनोई विश्‍वनाथ ने इंग्‍लैंड के विकेटकीपर बल्‍लेबाज बॉब टेलर को अंपायर द्वारा आउट करार दिए जाने के बाद भी बल्‍लेबाजी के लिए बुलाया था. विश्‍वनाथ इस मैच में भारतीय टीम की कप्‍तानी कर रहे थे. हालांकि टेलर को बल्‍लेबाजी के लिए वापस बुलाने का फैसला भारतीय टीम को भारी पड़ा था और उसे यह टेस्‍ट 10 विकेट से गंवाना पड़ा था, लेकिन क्रिकेट जगत में 'विशी' के इस फैसले को मील का पत्‍थर माना जाता है और इसे उस समय भरपूर सराहना मिली थी. उस समय इस घटना का जिक्र करते हुए कई अखबारों ने हैडलाइन दिया था, 'शाबास विश्‍वनाथ....'

यह घटना फरवरी 1980 में भारत और इंग्‍लैंड के बीच खेले गए टेस्‍ट मैच की है. मुंबई (तब बंबई) के वानखेड़े स्‍टेडियम में खेले गए इस गोल्‍डन जुबली टेस्‍ट में पहले बैटिंग करते हुए भारतीय टीम पहली पारी में महज 242 रनों पर आउट हो गई थी. जवाब में भारतीय तेज गेंदबाजों की तिकड़ी, कपिलदेव, करसन घावरी और रॉजर बिन्‍नी ने इंग्‍लैंड की भी शुरुआत बिगाड़ दी थी. एक समय इंग्‍लैंड के पांच बल्‍लेबाज 58 रन पर आउट हो गए थे. इस समय हरफनमौला इयान बॉथम और विकेटकीपर बल्‍लेबाज बॉब टेलर साझेदारी कर इंग्‍लैंड टीम को संवारने की कोशिश में जुटे टेलर जब 43 रनों पर खेल रहे थे तभी कपिल देव की गेंदबाजी पर भारतीय टीम ने विकेट के पीछे कैच की अपील की और अंपायर ने उन्हें आउट करार दे दिया. अंपायर के फैसले के बावजूद  बॉब टेलर खुद को आउट नहीं मानते हुए क्रीज पर खड़े रहे.

विश्वनाथ इस हालात को देखकर, टेलर के पास गए और उनसे पूछा कि क्‍या आपके बल्‍ले का किनारा लगा है, टेलर ने इंकार कर दिया तब विशी ने अंपायर के पास जाकर फैसला बदलने की अपील की. विश्‍वनाथ की इस महान पहल पर बॉब टेलर को फिर से बल्‍लेबाजी का मौका मिला. वैसे, यह अलग बात है कि बॉथम-टेलर की जोड़ी ने छठे विकेट के लिए 171 रन की साझेदारी कर मैच की तस्‍वीर बदल दी. बॉथम ने इस मैच मेंमें 114 और टेलर ने 43 रन बनाए. इंग्‍लैंड की पहली पारी 296 रन पर समाप्‍त हुई और उसे 54 रन की बढ़त मिली. दूसरी पारी में भारतीय टीम इंग्‍लैंड के तेज गेंदबाज इयान बॉथम (48 रन देकर सात विकेट) के आगे महज 149 रन पर ढेर हो गई थी. मैच में इंग्‍लैंड को जीत के लिए 96 रन का टारगेट मिला था जो उसने बिना कोई विकेट खोए हासिल कर लिया था. बेशक यह टेस्‍ट मैच मैच इंग्‍लैंड की टीम ने 10 विकेट से जीता था, लेकिन मैच में विजेता तो भारतीय कप्‍तान विश्‍वनाथ ही रहे थे क्‍योंकि उन्‍होंने खेल भावना की बेहतरीन मिसाल पेश कर खेल प्रेमियों के दिल जीते थे...

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