गाैतम गंभीर ने दूसरी पारी में शानदार अर्धशतक जमाया (फाइल फोटो)
इंदौर टेस्ट के प्रारंभिक तीन दिन गौतम गंभीर के लिए खास नहीं रहे थे. कोलकाता टेस्ट में शिखर धवन के चोटग्रस्त होने के बाद उन्हें प्लेइंग इलेवन में स्थान दिया गया था. जाहिर है कि गंभीर को इस मैच में बहुत कुछ साबित करना था.
दिल्ली के इस बल्लेबाज को न सिर्फ अच्छी पारी खेलकर टीम में स्थान पक्का करना था बल्कि यह भी दिखाना था कि करीब 35 वर्ष की उम्र होने में भी वे विराट कोहली के नेतृत्व वाली 'यूथ ब्रिगेड' के खांचे में फिट बैठते हैं. गंभीर ने अपना पिछला टेस्ट करीब दो वर्ष पहले अगस्त 2014 में खेला था. वनडे की टीम से बाहर हुए तो उन्हें तीन वर्ष से अधिक समय बीत चुका है. चुनौतियां उनके सामने कई थीं. गौतम को दिखाना था कि इंटरनेशनल क्रिकेट में रन बनाने की उनकी भूख खत्म नहीं हुई है. दूसरी पारी में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करके उन्होंने इसकी बानगी पेश कर दी.
टीम इंडिया की पहली पारी के दौरान ही 'गौती' गेंद को बेहतरीन तरीके से टाइम कर रहे थे. कुछ चौके और छक्के जड़ते हुए उन्होंने बल्ले का मुंह खोला ही था कि 29 रन पर तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट का शिकार बन गए. इस सुनहरे मौके को भुना नहीं पाने की निराशा उनके चेहरे पर साफ पढ़ी जा सकती थी. गंभीर की परेशानियां अभी खत्म नहीं हुई थीं, न्यूजीलैंड की पारी के दौरान फील्डिंग करते हुए वे दायां कंधा चोटिल कर बैठे थे. रविवार को भारत की दूसरी पारी के दौरान भी रन दौड़ते समय उन्हें डाइव लगानी पड़ी. नतीजा फिर उसी कंधे पर चोट. मैदान पर फिजियो को बुलाया गया लेकिन गौतम अपने इस कंधे को ठीक से घुमा नहीं पा रहे थे. उन्हें रिटायर होना पड़ा.
गंभीर की चोट जिस तरह की थी, उसे देखते हुए मैच के चौथे दिन उनके बैटिंग के लिए उतरने की संभावना नहीं के बराबर थी. लगा कि चीजें तेजी से उनके हाथ से निकलती जा रही हैं, लेकिन स्वभाव से बेहद आक्रामक गंभीर के इरादे अलग ही थे. मुरली विजय के रूप में भारत का पहला विकेट गिरने के बाद वे फिर बैटिंग के लिए उतरे तो दर्शकों में खुशी की लहर दौड़ गई. भारत की दूसरी पारी में टीम इंडिया को तेजी से रन बनाने की जरूरत थी और उन्होंने यही किया. 56 गेंदों पर खेली गई 50 रन (स्ट्राइक रेट 89.28) की पारी में उन्होंने छह चौके जड़े. इस पारी से गंभीर ने नियमित ओपनर के तौर पर टीम में स्थान बनाने की 'गंभीर' चुनौती पेश कर दी है...
दिल्ली के इस बल्लेबाज को न सिर्फ अच्छी पारी खेलकर टीम में स्थान पक्का करना था बल्कि यह भी दिखाना था कि करीब 35 वर्ष की उम्र होने में भी वे विराट कोहली के नेतृत्व वाली 'यूथ ब्रिगेड' के खांचे में फिट बैठते हैं. गंभीर ने अपना पिछला टेस्ट करीब दो वर्ष पहले अगस्त 2014 में खेला था. वनडे की टीम से बाहर हुए तो उन्हें तीन वर्ष से अधिक समय बीत चुका है. चुनौतियां उनके सामने कई थीं. गौतम को दिखाना था कि इंटरनेशनल क्रिकेट में रन बनाने की उनकी भूख खत्म नहीं हुई है. दूसरी पारी में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करके उन्होंने इसकी बानगी पेश कर दी.
टीम इंडिया की पहली पारी के दौरान ही 'गौती' गेंद को बेहतरीन तरीके से टाइम कर रहे थे. कुछ चौके और छक्के जड़ते हुए उन्होंने बल्ले का मुंह खोला ही था कि 29 रन पर तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट का शिकार बन गए. इस सुनहरे मौके को भुना नहीं पाने की निराशा उनके चेहरे पर साफ पढ़ी जा सकती थी. गंभीर की परेशानियां अभी खत्म नहीं हुई थीं, न्यूजीलैंड की पारी के दौरान फील्डिंग करते हुए वे दायां कंधा चोटिल कर बैठे थे. रविवार को भारत की दूसरी पारी के दौरान भी रन दौड़ते समय उन्हें डाइव लगानी पड़ी. नतीजा फिर उसी कंधे पर चोट. मैदान पर फिजियो को बुलाया गया लेकिन गौतम अपने इस कंधे को ठीक से घुमा नहीं पा रहे थे. उन्हें रिटायर होना पड़ा.
गंभीर की चोट जिस तरह की थी, उसे देखते हुए मैच के चौथे दिन उनके बैटिंग के लिए उतरने की संभावना नहीं के बराबर थी. लगा कि चीजें तेजी से उनके हाथ से निकलती जा रही हैं, लेकिन स्वभाव से बेहद आक्रामक गंभीर के इरादे अलग ही थे. मुरली विजय के रूप में भारत का पहला विकेट गिरने के बाद वे फिर बैटिंग के लिए उतरे तो दर्शकों में खुशी की लहर दौड़ गई. भारत की दूसरी पारी में टीम इंडिया को तेजी से रन बनाने की जरूरत थी और उन्होंने यही किया. 56 गेंदों पर खेली गई 50 रन (स्ट्राइक रेट 89.28) की पारी में उन्होंने छह चौके जड़े. इस पारी से गंभीर ने नियमित ओपनर के तौर पर टीम में स्थान बनाने की 'गंभीर' चुनौती पेश कर दी है...
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