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This Article is From Nov 05, 2013

'सुपरमैन' जैसी उम्मीदों का दबाव लेकर मैदान पर उतरेंगे सचिन...

'सुपरमैन' जैसी उम्मीदों का दबाव लेकर मैदान पर उतरेंगे सचिन...
नई दिल्ली:

क्रिकेट के समूचे इतिहास में इस बेइंतहा दबाव के साथ शायद ही कभी कोई खिलाड़ी मैदान पर उतरा हो... वैसे तो सचिन तेंदुलकर को इस दबाव और जिम्मेदारी को उठाने का तजुर्बा सबसे ज़्यादा है, और पिछले 24 साल से वह इसे बखूबी बिना किसी शिकन के उठाते रहे हैं, लेकिन अब उनकी आखिरी पारियों में न सिर्फ उनके चाहने वाले, बल्कि बड़े−बड़े जानकार भी उनसे कुछ 'सुपरमैन' सरीखे कारनामे की उम्मीद कर रहे हैं...

वैसे, यह भी तय है कि सचिन तेंदुलकर इन चार पारियों में कुछ भी करें, क्रिकेट जगत में उनका कद हमेशा ऊंचा ही रहेगा... याद रखें, सर डॉन ब्रैडमैन, सर विवियन रिचर्ड्स, रिकी पॉन्टिन्ग, एलन बॉर्डर, जावेद मियांदाद, इंज़माम-उल-हक, सर गैरी सोबर्स में से कोई भी अपनी आखिरी पारी के लिए याद नहीं किए जाते, लेकिन सचिन तेंदुलकर की कई पारियां उम्दा पारियों के तौर पर हमेशा याद की जाती रहेंगी...

क्रिकेट के सबसे बड़े नाम कहे जाने वाले सर डॉन ब्रैडमैन की आखिरी पारी बेहद फीकी रही, और वह सिर्फ दो गेंदों का सामना कर और इंग्लैंड के लेग-स्पिनर एरिक हॉलिज़ की गेंद पर शून्य पर आउट हो गए था... लेकिन इस बात की चर्चा शायद ही कभी होती है कि उससे सिर्फ एक टेस्ट मैच पहले उन्होंने अपने 51वें टेस्ट मैच में लीड्स पर नाबाद 173 रनों की पारी खेली थी...

कभी सचिन तेंदुलकर के रोल मॉडल रहे सुनील गावस्कर ने जिस शानदार अंदाज़ से अपने करियर की शुरुआत की, उन्होंने अपनी आखिरी पारी भी उसी शान से खेली... सुनील गावस्कर ने अपना आखिरी टेस्ट मैच बेंगलुरु में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था, जिसमें वह अपना 35वां टेस्ट शतक पूरा करने से सिर्फ चार रनों से चूक गए थे, लेकिन उससे पहले अपने 124वें टेस्ट मैच में उन्होंने 63 रनों की पारी खेली थी...

टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी (नाबाद 400 रन) का रिकॉर्ड बनाने वाले वेस्ट इंडीज़ के ब्रायन लारा अपने 131वें टेस्ट की आखिरी दो पारियों में 0 और 49 रन बना पाए, लेकिन उससे ठीक पहले अपने 130वें टेस्ट मैच में लारा ने मुल्तान में दोहरा शतक ठोककर फैन्स का दिल जीत लिया था...

वर्ष 2004 में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ की विदाई की यादें आज भी ताज़ा हैं... स्टीव वॉ ने अपनी आखिरी दो पारियों में 40 और 80 रन बनाए थे और उन्हें यादगार बना दिया... इत्तफाक है कि सिडनी में खेले गए उसी टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर ने भी 241 रनों की नाबाद पारी खेली थी, जिसे कई जानकार बेमिसाल मानते हैं...

पिछले ढाई दशक से सचिन तेंदुलकर के प्रशंसक उनसे 'और ज़्यादा' की ख़्वाहिश करते गए और वह अपने फैन्स की प्यास बुझाते और बढ़ाते रहे... अब ईडन गार्डन्स और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले जाने वाले उनके करियर के आखिरी 199वें और 200वें टेस्ट मैच में सचिन के चाहने वाले उनसे 'सुपरमैन' जैसी उम्मीदें लगा रहे हैं, और लगातार सुनाई दे रहे हैं 'यह दिल मांगे मोर...' के नारे...

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