ललित मोदी की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
आखिरकार ललित कुमार मोदी पर बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बीसीसीआई की स्पेशल जनरल मीटिंग को रोकने की गुहार लगाई थी।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया। याचिका ख़ारिज होने के पांच मिनट के अंदर चेन्नई में बीसीसीआई की स्पेशल जनरल मीटिंग में उन पर बैन का फ़ैसला ले लिया गया।
एक समय आईपीएल के ज़ार कहे जाने वाले 49 साल के ललित मोदी बीसीसीआई के कद्दावर अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से मात खा गए हैं।
घमंड ने डुबाया
एक जमाने में क्रिकेट की दुनिया में ललित कुमार मोदी की तूती बोलती थी। आईपीएल उन्हीं की सोच थी। ग्लैमर और चकाचौंध के तड़के के बीच पैसा इतना बरसा कि दुनिया देखती ही रह गई।
हर खेल इस मॉडल को अपनाने की कोशिश में लग गया। 2008 से 2010 तक पहले तीन सीज़न तक वह आईपीएल के चेयरमैन और कमिश्नर रहे।
शोहरत और कामयाबी जल्दी आ जाए तो कई बार संभालनी मुश्किल हो जाती है। ललित मोदी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। सफ़लता सर चढ़ कर बोलने लगी। दंभ इतना कि मंत्रियों तक को चुनौती दे डाली। घमंड इतना कि चयनकर्ता को भी उनकी औकात समझाने लगे।
मोदी पर आठ आरोप
जितनी तेज़ी से कामयाबी मिली उतनी ही तेज़ी से दुश्मन बढ़ने शुरू हुए। मोदी पर आठ आरोप लगाए गए जिनमें पैसे की हेराफेरी और दो नई टीमों की नीलामी में गलत तौर-तरीके अपनाना शामिल थे। आईपीएल 2010 फ़ाइनल के बाद उन्हें बीसीसीआई से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
उन पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यों की अनुशासन समिति बनाई गई जिनमें शामिल थे अरुण जेटली, चिरायू अमीन और ज्योतिरादित्य सिंधिया।
बाद में अमीन इससे अलग हो गए थे। इस समिति ने 400 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की। 2011 में प्रवर्तन निदेशालय ने भी उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की थी। तो वे इंग्लैंड खिसक गए….तब से वे लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया। याचिका ख़ारिज होने के पांच मिनट के अंदर चेन्नई में बीसीसीआई की स्पेशल जनरल मीटिंग में उन पर बैन का फ़ैसला ले लिया गया।
एक समय आईपीएल के ज़ार कहे जाने वाले 49 साल के ललित मोदी बीसीसीआई के कद्दावर अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से मात खा गए हैं।
घमंड ने डुबाया
एक जमाने में क्रिकेट की दुनिया में ललित कुमार मोदी की तूती बोलती थी। आईपीएल उन्हीं की सोच थी। ग्लैमर और चकाचौंध के तड़के के बीच पैसा इतना बरसा कि दुनिया देखती ही रह गई।
हर खेल इस मॉडल को अपनाने की कोशिश में लग गया। 2008 से 2010 तक पहले तीन सीज़न तक वह आईपीएल के चेयरमैन और कमिश्नर रहे।
शोहरत और कामयाबी जल्दी आ जाए तो कई बार संभालनी मुश्किल हो जाती है। ललित मोदी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। सफ़लता सर चढ़ कर बोलने लगी। दंभ इतना कि मंत्रियों तक को चुनौती दे डाली। घमंड इतना कि चयनकर्ता को भी उनकी औकात समझाने लगे।
मोदी पर आठ आरोप
जितनी तेज़ी से कामयाबी मिली उतनी ही तेज़ी से दुश्मन बढ़ने शुरू हुए। मोदी पर आठ आरोप लगाए गए जिनमें पैसे की हेराफेरी और दो नई टीमों की नीलामी में गलत तौर-तरीके अपनाना शामिल थे। आईपीएल 2010 फ़ाइनल के बाद उन्हें बीसीसीआई से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
उन पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यों की अनुशासन समिति बनाई गई जिनमें शामिल थे अरुण जेटली, चिरायू अमीन और ज्योतिरादित्य सिंधिया।
बाद में अमीन इससे अलग हो गए थे। इस समिति ने 400 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की। 2011 में प्रवर्तन निदेशालय ने भी उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की थी। तो वे इंग्लैंड खिसक गए….तब से वे लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
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