एमएस धोनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
DRS वैसे तो डिसीजन रिव्यू सिस्टम होता है, लेकिन अब शायद इसे 'धोनी रिफ्यूज़ल सिस्टम' के नाम से जाना जाए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे मैच में जॉर्ज बेली आउट थे, लेकिन अंपायर यहां चूक कर गए। अगर DRS होता, तो शायद मैच का नतीजा भारत के पक्ष में जा सकता था, लेकिन धोनी को DRS में विश्वास नहीं और मैच के बाद उन्होंने DRS पर अटैक बरकरार रखा।
हालांकि मैच के बाद माही ने कहा " हमें कोशिश करनी होगी कि अंपायर ज्यादा से ज्यादा सही फैसले लें। इस वक्त फिफ्टी-फिफ्टी वाले मामले हमारे पक्ष में नहीं जा रहे हैं, लेकिन DRS पर मुझे अब भी पूरा भरोसा नहीं।"
धोनी से जब सवाल पूछा गया कि क्या उनका कहने का मतलब यह है कि DRS पर हामी न भरने का भारत को खामियाजा उठाना पड़ रहा है, तो माही ने हंसी में ही इशारा कर दिया कि वो ऐसा सोच सकते हैं'।
ये पहला मौका नहीं है जब ऐन मौक़ों पर फैसला टीम इंडिया के पक्ष में नहीं गया है। यही वजह रही है कि हरभजन सिंह औ विराट कोहली जैसे खिलाड़ी रह-रह कर DRS की वकालत करते रहे हैं। वहीं पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर की मानें तो सिस्टम में कोई बुराई नहीं, लेकिन उसे बेहतर ढंग से अमल में लाने की जरूरत है।
गावस्कर का कहना है " किसी भी फैसले में DRS का इस्तेमाल हो या नहीं इसका फैसला कप्तानों को नहीं बल्कि अंपायरों को करना चाहिए। जैसे अगर कोई बल्लेबाज आउट होता है, तो अंपायर खुद चेक करते हैं कि कहीं गेंदबाज ने नो-बॉल तो नहीं फेंकी। इसी तरह बाकी पैसलों को लेने में भी अंपायरों को DRS की मदद लेने की छूट होनी चाहिए।"
धोनी की बात मानने को आईसीसी तैयार नहीं, वहीं मौजूदा रूप में माही या यूं कहें तो बीसीसीआई को DRS स्वीकार नहीं।
हालांकि मैच के बाद माही ने कहा " हमें कोशिश करनी होगी कि अंपायर ज्यादा से ज्यादा सही फैसले लें। इस वक्त फिफ्टी-फिफ्टी वाले मामले हमारे पक्ष में नहीं जा रहे हैं, लेकिन DRS पर मुझे अब भी पूरा भरोसा नहीं।"
धोनी से जब सवाल पूछा गया कि क्या उनका कहने का मतलब यह है कि DRS पर हामी न भरने का भारत को खामियाजा उठाना पड़ रहा है, तो माही ने हंसी में ही इशारा कर दिया कि वो ऐसा सोच सकते हैं'।
ये पहला मौका नहीं है जब ऐन मौक़ों पर फैसला टीम इंडिया के पक्ष में नहीं गया है। यही वजह रही है कि हरभजन सिंह औ विराट कोहली जैसे खिलाड़ी रह-रह कर DRS की वकालत करते रहे हैं। वहीं पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर की मानें तो सिस्टम में कोई बुराई नहीं, लेकिन उसे बेहतर ढंग से अमल में लाने की जरूरत है।
गावस्कर का कहना है " किसी भी फैसले में DRS का इस्तेमाल हो या नहीं इसका फैसला कप्तानों को नहीं बल्कि अंपायरों को करना चाहिए। जैसे अगर कोई बल्लेबाज आउट होता है, तो अंपायर खुद चेक करते हैं कि कहीं गेंदबाज ने नो-बॉल तो नहीं फेंकी। इसी तरह बाकी पैसलों को लेने में भी अंपायरों को DRS की मदद लेने की छूट होनी चाहिए।"
धोनी की बात मानने को आईसीसी तैयार नहीं, वहीं मौजूदा रूप में माही या यूं कहें तो बीसीसीआई को DRS स्वीकार नहीं।
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