नई दिल्ली:
देश की सबसे बड़ी रीयल्टी कंपनी डीएलएफ ने क्रिकेट प्रतियोगिता इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से अपना पांच साल पुराना नाता तोड़ने की घोषणा की है। कंपनी आईपीएल की टाइटल प्रायोजक है और उसने प्रायोजक के रूप में अपने करार का नवीकरण नहीं किया है। कंपनी को करार का नवीकरण पिछले महीने करना था।
डीएलएफ ने कहा है कि वह अब अन्य खेलों को बढ़ावा देगी। पिछले सप्ताह कंपनी ने हरियाणा के चार ओलिंपिक पदक विजेताओं को स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन ‘ऑडी-5’ भेंट किया है।
डीएलएफ समूह के कार्यकारी निदेशक राजीव तलवार ने कहा, हमने आईपीएल से नाता तोड़ने का फैसला किया है। पांच साल तक आईपीएल का प्रायोजक बनना एक रणनीतिक फैसला था, क्योंकि देशभर में हम अपने ब्रांड की पहचान कायम करना चाहते थे। तलवार ने कहा कि कंपनी को अनुबंध का नवीकरण 28 जुलाई तक करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कंपनी के पास ट्वेंटी-20 लीग के प्रायोजन के लिए पहले इनकार का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने पिछले पांच साल में आईपीएल पर 250 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कंपनी खेलों को बढ़ावा देने में जुटी रहेगी। उन्होंने कहा, हम देश में एक बड़े प्लेटफार्म की तलाश में हैं। हम विभिन्न प्रकार के खेलों को प्रोत्साहन देना चाहते हैं।
डीएलएफ ने कहा है कि वह अब अन्य खेलों को बढ़ावा देगी। पिछले सप्ताह कंपनी ने हरियाणा के चार ओलिंपिक पदक विजेताओं को स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन ‘ऑडी-5’ भेंट किया है।
डीएलएफ समूह के कार्यकारी निदेशक राजीव तलवार ने कहा, हमने आईपीएल से नाता तोड़ने का फैसला किया है। पांच साल तक आईपीएल का प्रायोजक बनना एक रणनीतिक फैसला था, क्योंकि देशभर में हम अपने ब्रांड की पहचान कायम करना चाहते थे। तलवार ने कहा कि कंपनी को अनुबंध का नवीकरण 28 जुलाई तक करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कंपनी के पास ट्वेंटी-20 लीग के प्रायोजन के लिए पहले इनकार का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने पिछले पांच साल में आईपीएल पर 250 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कंपनी खेलों को बढ़ावा देने में जुटी रहेगी। उन्होंने कहा, हम देश में एक बड़े प्लेटफार्म की तलाश में हैं। हम विभिन्न प्रकार के खेलों को प्रोत्साहन देना चाहते हैं।
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