MSD यानि महेंद्र सिंह धोनी, भारतीय क्रिकेट के सबसे सफ़ल कप्तानों में से एक और शायद सबसे सजीव भी।
धोनी के व्यक्तिव की जो बातें उन्हें सबसे अलग बनाती हैं वो है उनका मैदान के भीतर और बाहर का दो अलग रुप। मैदान के भीतर जहां वे बेहद शांत और बैलेंस्ड नज़र आते हैं वहीं मैदान के बाहर उतने ही स्टाइलिश।
उनका हर अंदाज़ अब तक के सभी बड़े क्रिकेटरों और कप्तानों से जुदा है और शायद उनके इसी अनूठेपन ने ही उन्हें इतना सफ़ल बनाया है। अपने अनोख़े माही स्टाईल में उन्होंने सालों से भारतीय दर्शकों का मनोरंजन किया है।
माही की प्रेस कॉफ्रेंस भी काफी चर्चा में रहती हैं क्योंकि वहाँ भी उनकी कम्युनिकेशन स्किल की बानगी देखने को मिलती है।
माही के जन्मदिन के एक दिन बाद आईये नज़र डालते हैं उनके कुछ बेहद रोचक और उन्मुक्त बयानों पर..
माही को गर्व है
‘मेरे जीवन में सबसे ज़्यादा गर्व करने वाला क्षण वो था जब टेरिटोरियल आर्मी की पिपिंग सेरेमनी के दौरान मेरा रैंक पिन-अप किया गया था।’
इसका सीधा मतलब ये निकलता है कि धोनी के जीवन में वर्ल्ड कप जीतने से भी ज्य़ादा महत्व टेरिटोरियल आर्मी के पैराशूट रेजिमेंट का लेफ्टिनेंट कर्नल बनना है।
आर्मी के प्रति धोनी का लगाव जानने के बाद आपको ये भी बता दें कि धोनी को भारत के टेरिटोरियल आर्मी में ऑनररी लेफ़्टिनेंट कर्नल की उपाधि मिली हुई है।
अगर इतने से भी आपका मन नहीं भरा तो भारत के इस महान क्रिकेटर की इस उक्ति पर ध्यान दें, ‘मैं अपने देश से बेहद प्यार करता हूं और मैंने साक्षी से भी कह रख़ा है कि उसकी जगह मेरी ज़िंदगी में मेरे देश और माता-पिता के बाद आती है।’
देश की ड्यूटी
और शायद यही वो वजह है कि जब धोनी की बेटी ‘जीवा’ का जन्म हुआ तब वे ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड कप में भारत की कप्तानी कर रहे थे।
जीवा के जन्म के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं देश की ड्यूटी कर रहा हूँ इसलिए मुझे लगता है कि बाकी हर ज़रूरी चीज़ मेरे लौटने का इंतज़ार कर सकती है।’
लेकिन इससे अपने परिवार के लिए उनका प्यार कम नहीं हो जाता।
पत्नी साक्षी के बारे में बात करते हुए धोनी कहते हैं कि, ‘साक्षी के साथ मेरा ताल्लुक है, वो मेरे जीवन में उस उत्साह का संचार करती है जिसकी कभी-कभी मुझे ज़रुरत पड़ती है, वो प्यारी होने के साथ-साथ प्रेरक भी है।’
जबकि बेटी जीवा को इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि मैं भारत के लिए खेल रहा हूँ या चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए, उसे जब रोना होता है तब वो रोती है और ये मुझे काफी अच्छा लगता है।
खाने-पीने पर किसी का ज़ोर नहीं
खाने को लेकर भी धोनी की अपनी पसंद है।
वो कहते हैं, ‘साक्षी को मछली बहुत पसंद और वो मुझे भी इसे खाने को कहती है लेकिन मुझे पसंद नहीं है तो नहीं है, मैं नहीं खा सकता।’
और शराब के बारे में उनकी राय कुछ ऐसी है, ‘मुझे शराब का स्वाद पसंद नहीं, काफ़ी कड़वा होता है इसलिए नहीं पीता लेकिन इस बात को समझता हूं कि अन्य लोगों को ये पसंद है।’
आज धोनी एक रोल मॉडल हैं, उन्होंने अपनी ज़िंदगी अपने शर्तों पर जी है लेकिन उनके अपने भी कई हीरो हैं।
वे कहते हैं, ‘मैं हमेशा इस बात पर ध्यान देता हूं कि लोग अपनी ज़िंदगी किस तरह से जीते हैं...उनके फ़ैसलों का आधार क्या होता है, वो अपना बेस्ट कैसे देते हैं। यही वो वजह है कि अमिताभ बच्चन, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर मेरे हीरो हैं, मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है।’
और आज भी इन लोगों की सीख़ को वो बड़े ध्यान से फॉलो करते हैं।
धोनी कहते हैं, ‘राहुल द्रविड़ ने मुझे बड़ी ही विनम्रता के साथ न कहना सिखाया है।’
बाइक की दीवानगी...
धोनी पर कोई भी कहानी उनकी बाइक के प्रति दीवानगी के बग़ैर पूरी नहीं होती।
धोनी कहते हैं, ‘मैं अपनी सभी बाइक्स से बेहद प्यार करता हूं, फिर चाहे वो सस्ती हो या महंगी, नई या पुरानी- वो A Harley Fat Boy भी हो सकती है या Ducati Pantah भी, अमेरिकी कॉनफेडेरेट मोटरसाईकिल HellCat भी हो सकती है या Ancient Two Stroke Triumphs भी, कुछ नहीं तो वो एक पुरानी बीएसए भी हो सकती है।
और बाइक्स के प्रति धोनी के लगाव के पीछे भी एक कहानी है...
धोनी बताते हैं, ‘जब मैं छोटा था तब मेरे एक सीनियर खिलाड़ी अक्सर अपनी सुंदर बाइक प्ले-ग्राउंड में वहां खड़ी किया करते थे जहां मैं फील्डिंग के लिए खड़ा होता था। उसके बाद वे गेंद को कैच लेने के लिए मेरी तरफ मारा करते थे।
'अगर मैं कोई कैच छोड़ता और वो बाइक पर लगती तो मुझे ही बाइक पर लगे स्क्रैच को ठीक करना पड़ता था और शायद तभी से मैंने कैच मिस नहीं करने की प्रैक्टिस कर ली। उसके बाद मैं दो ही चीज़ करते हुए पाया गया या तो कैच लेते या बाइक के दाग मिटाते।’
माही के इन सभी रोचक किस्सों और उन्मुक्त बयानों से हमें महेंद्र सिंह धोनी के व्यक्तिव के कई पहलुओं के बारे में पता चलता है, लेकिन सबसे मारक ये अंतिम उक्ति है...
‘अगर आप दुनियाभर के लोगों के चेहरों को देखें तो पाएंगे कि वहाँ से हंसी गुम हो चुकी है। अगर क्रिकेट से लोगों के चेहरे में मुस्कान लायी जा सकती है तो समझिए कि हमने अपना काम कर दिया है।’
धोनी के व्यक्तिव की जो बातें उन्हें सबसे अलग बनाती हैं वो है उनका मैदान के भीतर और बाहर का दो अलग रुप। मैदान के भीतर जहां वे बेहद शांत और बैलेंस्ड नज़र आते हैं वहीं मैदान के बाहर उतने ही स्टाइलिश।
उनका हर अंदाज़ अब तक के सभी बड़े क्रिकेटरों और कप्तानों से जुदा है और शायद उनके इसी अनूठेपन ने ही उन्हें इतना सफ़ल बनाया है। अपने अनोख़े माही स्टाईल में उन्होंने सालों से भारतीय दर्शकों का मनोरंजन किया है।
माही की प्रेस कॉफ्रेंस भी काफी चर्चा में रहती हैं क्योंकि वहाँ भी उनकी कम्युनिकेशन स्किल की बानगी देखने को मिलती है।
माही के जन्मदिन के एक दिन बाद आईये नज़र डालते हैं उनके कुछ बेहद रोचक और उन्मुक्त बयानों पर..
माही को गर्व है
‘मेरे जीवन में सबसे ज़्यादा गर्व करने वाला क्षण वो था जब टेरिटोरियल आर्मी की पिपिंग सेरेमनी के दौरान मेरा रैंक पिन-अप किया गया था।’
इसका सीधा मतलब ये निकलता है कि धोनी के जीवन में वर्ल्ड कप जीतने से भी ज्य़ादा महत्व टेरिटोरियल आर्मी के पैराशूट रेजिमेंट का लेफ्टिनेंट कर्नल बनना है।
आर्मी के प्रति धोनी का लगाव जानने के बाद आपको ये भी बता दें कि धोनी को भारत के टेरिटोरियल आर्मी में ऑनररी लेफ़्टिनेंट कर्नल की उपाधि मिली हुई है।
अगर इतने से भी आपका मन नहीं भरा तो भारत के इस महान क्रिकेटर की इस उक्ति पर ध्यान दें, ‘मैं अपने देश से बेहद प्यार करता हूं और मैंने साक्षी से भी कह रख़ा है कि उसकी जगह मेरी ज़िंदगी में मेरे देश और माता-पिता के बाद आती है।’
देश की ड्यूटी
और शायद यही वो वजह है कि जब धोनी की बेटी ‘जीवा’ का जन्म हुआ तब वे ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड कप में भारत की कप्तानी कर रहे थे।
जीवा के जन्म के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं देश की ड्यूटी कर रहा हूँ इसलिए मुझे लगता है कि बाकी हर ज़रूरी चीज़ मेरे लौटने का इंतज़ार कर सकती है।’
लेकिन इससे अपने परिवार के लिए उनका प्यार कम नहीं हो जाता।
पत्नी साक्षी के बारे में बात करते हुए धोनी कहते हैं कि, ‘साक्षी के साथ मेरा ताल्लुक है, वो मेरे जीवन में उस उत्साह का संचार करती है जिसकी कभी-कभी मुझे ज़रुरत पड़ती है, वो प्यारी होने के साथ-साथ प्रेरक भी है।’
जबकि बेटी जीवा को इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि मैं भारत के लिए खेल रहा हूँ या चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए, उसे जब रोना होता है तब वो रोती है और ये मुझे काफी अच्छा लगता है।
खाने-पीने पर किसी का ज़ोर नहीं
खाने को लेकर भी धोनी की अपनी पसंद है।
वो कहते हैं, ‘साक्षी को मछली बहुत पसंद और वो मुझे भी इसे खाने को कहती है लेकिन मुझे पसंद नहीं है तो नहीं है, मैं नहीं खा सकता।’
और शराब के बारे में उनकी राय कुछ ऐसी है, ‘मुझे शराब का स्वाद पसंद नहीं, काफ़ी कड़वा होता है इसलिए नहीं पीता लेकिन इस बात को समझता हूं कि अन्य लोगों को ये पसंद है।’
आज धोनी एक रोल मॉडल हैं, उन्होंने अपनी ज़िंदगी अपने शर्तों पर जी है लेकिन उनके अपने भी कई हीरो हैं।
वे कहते हैं, ‘मैं हमेशा इस बात पर ध्यान देता हूं कि लोग अपनी ज़िंदगी किस तरह से जीते हैं...उनके फ़ैसलों का आधार क्या होता है, वो अपना बेस्ट कैसे देते हैं। यही वो वजह है कि अमिताभ बच्चन, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर मेरे हीरो हैं, मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है।’
और आज भी इन लोगों की सीख़ को वो बड़े ध्यान से फॉलो करते हैं।
धोनी कहते हैं, ‘राहुल द्रविड़ ने मुझे बड़ी ही विनम्रता के साथ न कहना सिखाया है।’
बाइक की दीवानगी...
धोनी पर कोई भी कहानी उनकी बाइक के प्रति दीवानगी के बग़ैर पूरी नहीं होती।
धोनी कहते हैं, ‘मैं अपनी सभी बाइक्स से बेहद प्यार करता हूं, फिर चाहे वो सस्ती हो या महंगी, नई या पुरानी- वो A Harley Fat Boy भी हो सकती है या Ducati Pantah भी, अमेरिकी कॉनफेडेरेट मोटरसाईकिल HellCat भी हो सकती है या Ancient Two Stroke Triumphs भी, कुछ नहीं तो वो एक पुरानी बीएसए भी हो सकती है।
और बाइक्स के प्रति धोनी के लगाव के पीछे भी एक कहानी है...
धोनी बताते हैं, ‘जब मैं छोटा था तब मेरे एक सीनियर खिलाड़ी अक्सर अपनी सुंदर बाइक प्ले-ग्राउंड में वहां खड़ी किया करते थे जहां मैं फील्डिंग के लिए खड़ा होता था। उसके बाद वे गेंद को कैच लेने के लिए मेरी तरफ मारा करते थे।
'अगर मैं कोई कैच छोड़ता और वो बाइक पर लगती तो मुझे ही बाइक पर लगे स्क्रैच को ठीक करना पड़ता था और शायद तभी से मैंने कैच मिस नहीं करने की प्रैक्टिस कर ली। उसके बाद मैं दो ही चीज़ करते हुए पाया गया या तो कैच लेते या बाइक के दाग मिटाते।’
माही के इन सभी रोचक किस्सों और उन्मुक्त बयानों से हमें महेंद्र सिंह धोनी के व्यक्तिव के कई पहलुओं के बारे में पता चलता है, लेकिन सबसे मारक ये अंतिम उक्ति है...
‘अगर आप दुनियाभर के लोगों के चेहरों को देखें तो पाएंगे कि वहाँ से हंसी गुम हो चुकी है। अगर क्रिकेट से लोगों के चेहरे में मुस्कान लायी जा सकती है तो समझिए कि हमने अपना काम कर दिया है।’
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