- ब्रेट ली ने नौ साल की उम्र से ही 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने का लक्ष्य बनाया था
- उन्होंने अपने तेज गेंदबाजी के जुनून के लिए अपनी मां के आनुवंशिक गुणों को श्रेय दिया था
- ली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 718 विकेट लिए और विश्व के शीर्ष तेज गेंदबाजों में गिने जाते हैं
Brett Lee Australian Cricket Hall of Fame: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज ब्रेट ली तेज गेंदबाजी के प्रति इतने जुनूनी थे कि उन्होंने नौ साल की उम्र में ही 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने का लक्ष्य बना लिया था और जब तक उन्होंने यह जादुई आंकड़ा हासिल नहीं कर लिया तब तक उनके लिए कोई भी व्यक्तिगत उपलब्धि या सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों के विकेट उखाड़ना कोई मायने नहीं रखता था.
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के हॉल ऑफ फेम में शामिल किए गए 49 वर्षीय ली ने कहा कि उन्होंने अपना जीवन अपने इस सपने को साकार करने के लिए समर्पित कर दिया था. इसके लिए उन्होंने अपनी मां हेलेन को श्रेय दिया जो एक फर्राटा धाविका थीं और इस तरह से उनके पास रफ्तार का सौदागर बनने के लिए आवश्यक आनुवंशिक गुण थे.
विकेट से ज्यादा 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार अहम
क्रिकेट डॉट कॉम एयू के अनुसार ली ने कहा,"वह (160 किमी प्रति घंटा) मेरे लिए किसी भी विकेट से कहीं अधिक मायने रखता है. निश्चित तौर पर टीम सर्वोपरि होती है तथा विश्व कप (2003) जीतना, लगातार 16 टेस्ट जीतना. यह सर्वोच्च उपलब्धि है. इसके लिए ही तो खेल खेला जाता है."
उन्होंने कहा,"लेकिन व्यक्तिगत उपलब्धियों की बात करें तो मेरे लिए विकेट लेना उतना महत्वपूर्ण नहीं था, क्योंकि मैंने बहुत कम उम्र में ही 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने और उससे आगे निकलने का लक्ष्य निर्धारित किया था. जब आप किसी चीज को हासिल करने का सपना देखते है. अपना जीवन उसे हासिल करने के लिए समर्पित कर देते हैं. फिर जब वह सपना साकार हो जाता है तो यह बहुत खास होता है."
कैसे जनरेट करते हैं स्पीड
ली ने अपने दो दशक लंबे करियर का अंत सभी प्रारूपों में 718 अंतरराष्ट्रीय विकेटों के साथ किया. उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में गिना जाता है क्योंकि उन्होंने दुनिया भर के शीर्ष बल्लेबाजों में खौफ पैदा किया था. ली ने कहा कि उनकी शारीरिक बनावट और एथलेटिक क्षमता उन्हें तेज गेंदबाज बनने के लिए स्वाभाविक रूप से कुशल बनाती थी.
उन्होंने कहा,"मेरे लिए रन अप सबसे महत्वपूर्ण था. उसके बाद सामने के पैर को मजबूती से जमाए रखना. यह ऐसी चीज है जो आपको जन्म से मिलती है. मुझे यह गुण स्वाभाविक रूप से मिला था और इसलिए इसका मुझे फायदा मिला."
ली ने कहा,"इसके बाद आती है सामने वाली बांह. बायीं बांह का अचानक नीचे आना जिससे मेरी गति बनती थी. मेरी बायीं बांह जितनी तेजी से नीचे आती थी, मेरी दाहिनी बांह भी उतनी ही तेजी से उसका अनुसरण करती थी."
दो बार हासिल की 160 से अधिक की स्पीड
उन्होंने एक बार कहा था कि नौ साल की उम्र से ही वे तेज गेंदबाजी करना चाहते थे. ली ने अपने करियर में दो बार 160 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति हासिल की. पहली बार 2003 में दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप में, जहां उन्होंने सेमीफाइनल में श्रीलंका के मार्वन अटापट्टू को 160.1 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली गेंद से आउट किया था.
ली ने कहा,"उस समय हम पर थोड़ा दबाव था (212 रन का बचाव करते हुए) और मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना था. मेरे लिए यह जरूरी था कि मैं अच्छी लेंथ पर जितनी तेजी से हो सके गेंदबाजी करूं. स्कोरबोर्ड पर जब मैंने देखा कि मेरी गति 160 किमी प्रति घंटा से ऊपर हो गई है तो वह बहुत ही खास पल था."
इसके बाद उन्होंने पांच मार्च 2005 को नेपियर में न्यूजीलैंड के खिलाफ पांचवें वनडे के दौरान 160.8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड बनाया.
उन्होंने कहा,"इसे आप विडंबना ही कह सकते हैं कि मैंने खुद को सबसे फिट तब महसूस किया जब मैंने नेपियर में कीवी टीम के खिलाफ अपनी सबसे तेज गेंद (160.8 किमी प्रति घंटा) फेंकी थी, लेकिन वह एक ऐसा समय था जब मैं टेस्ट टीम से 18 महीने बाहर रहा था."
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