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This Article is From Dec 02, 2016

लोढ़ा कमेटी vs बीसीसीआई : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अपने रुख पर अडिग

लोढ़ा कमेटी vs बीसीसीआई : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अपने रुख पर अडिग
नई दिल्‍ली: दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड, बीसीसीआई के अधिकारियों की आमतौर पर पांच सितारा होटल में होने वाली बैठक दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में हुई. मीटिंग का स्थान बदला लेकिन बीसीसीआई के रुख़ में कोई बदलाव नहीं आया. इस बैठक में बीसीसीआई के 30 राज्य संघों में से 27 सदस्यों ने हिस्सा लिया. त्रिपुरा, हैदराबाद और विदर्भ के सदस्य इस बैठक का हिस्सा नहीं बने. इन्होंने कहा कि कोहरे की वजह से इनका इस बैठक में शामिल होना मुमकिन नहीं. वैसे इन तीनों ने ही लोढ़ा की सिफ़ारिशों पर अमल करने की बात मान भी ली है.

इन सबको लोढ़ा समिति की ख़ासकर तीन सिफ़ारिशों से ऐतराज़ रहा है. इन तीन मुद्दों पर गतिरोध भी जस का तस है...

- अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा
- बोर्ड में अधिकारियों की कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा
- एक राज्य, एक वोट जैसे मुद्दों पर अब भी बोर्ड का रुख़ पहले की तरह ही है.


इंडिया हैबिटैट सेंटर में क़रीब पौने घंटे तक चली बैठक के बाद ज़्यादातर सदस्यों ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से परहेज किया. वैसे अनाधिकारिक तौर पर सबने ये कहा कि उनके रवैये में पहले से बदलाव नहीं आया है.बीसीसीआई के सचिव अजय शिर्के ने कहा, "हमारी बैठक में सभी सदस्यों ने फिर से अपने स्टैंड पर कायम होने की बात दोहराई. हम ज़्यादातर मुद्दों को मानते हैं लेकिन जिन बातों पर ऐतराज़ है उस पर सभी सदस्य पहले जैसा ही रुख़ रखते हैं."

लोढ़ा कमेटी की सिफ़ारिशों को मानने की डेडलाइन सर पर है. 5 दिसंबर को बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट को जवाब देना है. इस बीच लोढ़ा कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि बीसीसीआई के अधिकारियों की जगह पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लै को निरीक्षक (ऑब्ज़र्वर) नियुक्त किया जाए.  सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई को इन सिफ़ारिशों को लागू करने के लिए काफ़ी वक्त दे चुका है. बीसीसीआई अब तक हर बार कोई पैंतरे अपनाकर खुद को बड़े संकट में डालने से बचता रहा है. लेकिन अगले हफ़्ते भी बीसीसीआई का रवैया इन सबके लिए कारगर हो सकेगा, ये कह पाना मुश्किल है.

बीसीसीआई अपने रुख़ पर कायम है. इसका मतलब है कि लोढ़ा कमेटी और बीसीसीआई के बीच जिन बातों को लेकर तक़रार थी वो मुद्दे अब भी बने हुए हैं. ऐसे में अगले हफ़्ते बहुत मुमकिन है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद भारत में क्रिकेट की दिशा और दशा में बड़ा बदलाव नज़र आए.

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