सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव को पद से हटा दिया था...
नई दिल्ली:
BCCI में सुधारों को लेकर लोढा पैनल की सिफारिशों को लागू करने संबंध सुप्रीम कोर्ट का असर अब बोर्ड पर दिखने लगा है. खबरों के अनुसार जहां 21 राज्य संघों ने लोढा पैनल की सिफारिशों को पूर्णतया लागू करने के बारे में बोर्ड को लिखित में दे दिया है, वहीं अब सीनियर टीम के चयनकर्ताओं पर भी इसका असर नजर आने वाला है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखें, तो दो चयनकर्ता मापदंडों पर खरे नहीं उतरते. ये हैं जतिन परांजपे और गगन खोड़ा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लोढा पैनल की सिफारिशों के अनुसार चयन समिति में केवल तीन चयनकर्ता ही हो सकते हैं, वहीं उनका पर्व टेस्ट खिलाड़ी होना आवश्यक है. इन दोनों मापदंडों को देखते हुए जतिन परांजपे और गगन खोड़ा पर गाज गिरनी तय है.
प्रसाद, सरनदीप, गांधी ने ही खेले हैं टेस्ट
हालांकि प्रशासनिक संकट के बीच बीसीसीआई ने इंग्लैंड श्रृंखला के लिए चयन समिति में परांजपे और खोड़ा सहित पांच सदस्यों को ही शामिल रखा. खोड़ा और परांजपे के पास टेस्ट क्रिकेट का अनुभव नहीं है. ऐसे में एमएसके प्रसाद, देबांग गांधी और सरनदीप सिंह ही अब चयन समिति में बचेंगे.
इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी-20 टीम के चयन के समय लोढा समिति ने इसे अपवाद मानते हुए विशेष प्रावधान के तहत पांच सदस्यों की चयन समिति को मंजूरी दी थी, लेकिन अब बोर्ड को सुप्रीम आदेश का पालन करना होगा. गौरतलब है कि चयन समिति की अगली बैठक अब बांग्लादेश के खिलाफ 8 से 12 फरवरी तक होने वाले एकमात्र टेस्ट के लिए टीम इंडिया के चयन के लिए होनी है.
लोढा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायणन ने शुक्रवार को टीम के चयन से पहले बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को ईमेल से जवाब देते हुए कहा भी था, ‘‘मौजूदा समिति को चयन के लिए अपवाद के तौर पर स्वीकृति दी गई है. भविष्य में यह उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार ही हो.’’
लोढा समिति से मांगी थी लिखित मंजूरी, बैठक में हुई थी देरी
बीसीसीआई ने शुक्रवार को चयन समिति की बैठक के लिए लोढ़ा समिति से लिखित मंजूरी मांगी थी, जिसके चलते तकनीकी कारणों से बैठक में लगभग तीन घंटे विलंब हुआ था. असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई थी, जब पूर्व संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी ने सीईओ राहुल जौहरी से पूछा कि उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के लिए टीम के चयन के लिए होने वाली बैठक के बारे में सूचना क्यों नहीं दी गई. बीसीसीआई के संविधान के तहत वह ही बैठक बुला सकते हैं.
लोढ़ा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायण ने जौहरी को साफ शब्दों में लिखे ई-मेल में कहा कि पूर्व संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी सुप्रीम कोर्ट के दो और तीन जनवरी के फैसले के बाद अयोग्य हैं और बैठक नहीं बुला सकते.
(इनपुट भाषा से भी)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लोढा पैनल की सिफारिशों के अनुसार चयन समिति में केवल तीन चयनकर्ता ही हो सकते हैं, वहीं उनका पर्व टेस्ट खिलाड़ी होना आवश्यक है. इन दोनों मापदंडों को देखते हुए जतिन परांजपे और गगन खोड़ा पर गाज गिरनी तय है.
प्रसाद, सरनदीप, गांधी ने ही खेले हैं टेस्ट
हालांकि प्रशासनिक संकट के बीच बीसीसीआई ने इंग्लैंड श्रृंखला के लिए चयन समिति में परांजपे और खोड़ा सहित पांच सदस्यों को ही शामिल रखा. खोड़ा और परांजपे के पास टेस्ट क्रिकेट का अनुभव नहीं है. ऐसे में एमएसके प्रसाद, देबांग गांधी और सरनदीप सिंह ही अब चयन समिति में बचेंगे.
इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी-20 टीम के चयन के समय लोढा समिति ने इसे अपवाद मानते हुए विशेष प्रावधान के तहत पांच सदस्यों की चयन समिति को मंजूरी दी थी, लेकिन अब बोर्ड को सुप्रीम आदेश का पालन करना होगा. गौरतलब है कि चयन समिति की अगली बैठक अब बांग्लादेश के खिलाफ 8 से 12 फरवरी तक होने वाले एकमात्र टेस्ट के लिए टीम इंडिया के चयन के लिए होनी है.
लोढा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायणन ने शुक्रवार को टीम के चयन से पहले बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को ईमेल से जवाब देते हुए कहा भी था, ‘‘मौजूदा समिति को चयन के लिए अपवाद के तौर पर स्वीकृति दी गई है. भविष्य में यह उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार ही हो.’’
लोढा समिति से मांगी थी लिखित मंजूरी, बैठक में हुई थी देरी
बीसीसीआई ने शुक्रवार को चयन समिति की बैठक के लिए लोढ़ा समिति से लिखित मंजूरी मांगी थी, जिसके चलते तकनीकी कारणों से बैठक में लगभग तीन घंटे विलंब हुआ था. असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई थी, जब पूर्व संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी ने सीईओ राहुल जौहरी से पूछा कि उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के लिए टीम के चयन के लिए होने वाली बैठक के बारे में सूचना क्यों नहीं दी गई. बीसीसीआई के संविधान के तहत वह ही बैठक बुला सकते हैं.
लोढ़ा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायण ने जौहरी को साफ शब्दों में लिखे ई-मेल में कहा कि पूर्व संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी सुप्रीम कोर्ट के दो और तीन जनवरी के फैसले के बाद अयोग्य हैं और बैठक नहीं बुला सकते.
(इनपुट भाषा से भी)
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