- महिला वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर फाइनल में प्रवेश किया.
- जेमिमाह रॉड्रिगेज ने 134 गेंदों में 14 चौकों की मदद से नाबाद शतकीय पारी खेली और मैन ऑफ द मैच चुनी गईं.
- भारत ने 339 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए हरमनप्रीत और जेमिमाह की 167 रनों की साझेदारी से जीत हासिल की.
भारत की खराब शुरुआत
एक बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की शुरुआत खराब रही, जब चोटिल प्रतिका रावल की जगह टीम में शामिल की गईं शेफाली वर्मा (10) दूसरी ही ओवर में आउट हो गईं. और इसके कुछ ही देर बाद जब उप-कप्तान स्मृति मंधाना भी 24 रन बनाकर आउट हो गईं, तो करोड़ों भारतीय फैंस उदास हो गए, लेकिन यहां से कप्तान हरनप्रीत कौर और जेमिमा रॉड्रिगेज ने वह काम कर दिखाया, जो टीम इंडिया की जीत का आधार बन गया.
हरनप्रीत और जेमिमा ने रच दिया इतिहास
स्मृति मंधाना के बाद धूमिल पड़ी उम्मीदों की फिर से जगाने का काम किया कप्तान हरमनप्रीत कौर और जेमिमा ने. जब जरूरत पड़ी, तो जेमिमा न रिवर्स स्वीप लगाने से चूकीं, न ही रिवर्स स्कूप करने से चूकीं. कुछ ऐसा हाल ऐसा ही कप्तान हरमनप्रीत कौर का था. शुरुआत में हरनप्रीत ने शॉट खेलने के लिए गेंद का बल्ले पर आने का इंतजार किया, तो जब भी ढीली गेंद मिली, तो भारतीय कप्तान ने कदमों का इस्तेमाल किया. और जब हरनप्रीत कौर आउट हुईं, तब तक इन दोनों ने मिलकर विश्व कप के नॉकआउट मैचों में किसी भी विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी निभा दी. दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 167 रन की साझेदारी की. औ जरूरी रन औसत को सात के आस-पास बनाए रखते हुए भारत को फाइनल की होड़ में बनाए रखा.
आखिरी ओवर में थी 48 रन की दरकार, जेमिमा ने नहीं मानी हार
जहां एक छोर पर विकेट गिरते रहे, तो रॉड्रिगेज ने हार नहीं मानी. पारी के आखिरी 6 ओवरों में भारत को जीत के लिए 48 रन बनाने थे. लेकिन यहां से रिचा घोष के प्रहारों से भारत ने 45वें ओवर में 14 रन बटोरे, लेकि न घोष 46वें ओवर की आखिरी गेंद पर लौट गईं, तो उम्मीदें फिर धुंधली दिखाई पड़ती दिखीं. खासकर जब इसी ओवर में सिर्फ 5 ही रन बनाए. यहाँ से आखिरी चार ओवरों में भारत को 29 रन बनाने थे. लेकिन रॉड्रिगेज ने हार नहीं मानी और उन्होंने 48वें ओवर में 3 चौकों से 15 रन लिए, तो यहां से भारत का फाइनल का टिकट सुनिश्चित हो गया. नाबाद रहीं अमनजोत कौर ने भी 8 गेंदों प दो चौकों से नाबाद 15 रन बनाकर अच्छा योगदान दिया. और इससे टीम हरमनप्रीत ने 9 गेंद बाकी रहते हुए 48.3 ओवरों में 339 रनों का लक्ष्य हासिल कर तीसरी बार विश्व कप के फाइनल में जगह बना ली.
ऑस्ट्रेलिया ने बनाया था बड़ा स्कोर
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए फोएबे लिचफिल्ड के शतक की मदद से 338 रन बनाए हैं. ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी. क्रांति गौड़ ने एक बार फिर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान का शिकार किया. एलिसा हिली सिर्फ 5 रन बनाकर आउट हो गईं. 25 के स्कोर पर लगे इस पहले झटके से टीम को फोएबे लिचफिल्ड और एल्सी पेरी ने उबारा. दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 133 गेंदों में 155 रनों की साझेदारी की. 180 के स्कोर पर दूसरे विकेट के रूप में लिचफिल्ड आउट हुईं. लिचफिल्ड ने 93 गेंदों पर 3 छक्के और 17 चौकों की मदद से 119 रन की पारी खेली.
भारत की शानदार वापसी
तीसरे विकेट के लिए पेरी और मूनी के बीच 40 रन की साझेदारी हुई. मूनी 220 के स्कोर पर 24 रन बनाकर आउट हुईं. जब मूनी का विकेट गिरा, उस समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 34 ओवर में 3 विकेट पर 220 रन था. यहां भारतीय गेंदबाजों ने वापसी की और अगले 45 रन के अंदर ऑस्ट्रेलिया के 3 विकेट झटके. 41.4 ओवर में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 6 विकेट पर 265 हो गया था. इसमें पेरी का विकेट भी था, जो 77 रन बनाकर आउट हुईं. ऑस्ट्रेलिया 300 के अंदर सिमटती दिख रही थी.
लेकिन छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने आई एश्ले गार्डनर ने 45 गेंद पर 4 छक्के और 4 चौके लगाते हुए 63 रन की पारी खेल टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचा दिया. गार्डनर सातवें विकेट के रूप में जब आउट हुई, ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 48.3 ओवर में 7 विकेट पर 331 था. ऑस्ट्रेलिया ने 49.5 ओवर में सभी विकेट खोकर 338 रन बनाए. भारत के लिए श्री चरणी, दीप्ति शर्मा ने 2-2, क्रांति गौड़, अमनजोत कौर और राधा यादव ने 1-1 विकेट लिए. तीन बल्लेबाज रन आउट हुईं.
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