सुनील गावस्कर ने टाई हुए चेन्नई टेस्ट में 90 रनों की पारी खेली थी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिसबेन में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में संघर्ष का जबर्दस्त जब्जा दिखाया. उनकी टीम पहली पारी में जिस तरह से ढेर हुई थी, उसे देखते हुए किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी. हालांकि मैच का परिणाम उसके पक्ष में नहीं गया और वह 490 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए असद शफीक (Asad Shafiq) के शतक की मदद से 450 रन ही बना पाई और मैच हार गई. साथ ही इतिहास रचने का मौका भी उनके हाथ से चला गया. टेस्ट इतिहास में कई ऐसे मैच रहे हैं, जो रोमांचक मोड़ पर जाकर खत्म हुए हैं, लेकिन हम आपको जिन दो टेस्ट मैचों के बारे में बताने जा रहे हैं, उनकी तो बात ही निराली है. इन्हें टेस्ट क्रिकेट के सबसे रोमांचक मैचों का दर्जा भी दिया जा सकता है.
खास बात यह कि इन दोनों ही अवसरों पर एक टीम ऑस्ट्रेलिया की ही थी, जबकि अन्य टीमें भारत और वेस्टइंडीज की रहीं. हम बात कर रहे हैं टेस्ट के टाई रहे मैचों की, जो इतिहास में केवल दो ही बार हुआ है. चर्चा इसलिए भी बनती है, क्योंकि पहला टाई टेस्ट मैच ब्रिसबेन में ही खेला गया था, जबकि दूसरा 1986 में चेन्नई में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ था, जहां टीम इंडिया इस समय इंग्लैंड के साथ दो-दो हाथ कर रही है.
डीन जॉन्स ने उल्टियां करते हुए लगाया दोहरा शतक
यह टेस्ट मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चेन्नई में 18 से 22 सितंबर, 1986 को खेला गया था. यह भी सीरीज का पहला ही मैच था. ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. उसके मध्यक्रम के धुरंधर बल्लेबाज डीन जॉन्स अस्वस्थ थे और उस दिन लगातार उल्टियां कर रहे थे, फिर भी उन्होंने दोहरा शतक (210) लगा दिया, जबकि ओपनर डेविड बून ने 122 रन और कप्तान एलन बॉर्डर ने भी शतक जड़ा. इस प्रकार ऑस्ट्रेलिया ने 574 रनों का विशाल स्कोर बना दिया. डीन जोन्स ने टाई हुए टेस्ट में जिस प्रकार की पारी खेली थी, उसे भुलाया नहीं जा सकता (फाइल फोटो)
जवाब में टीम इंडिया पहली पारी में 397 रन ही बना सकी. कप्तान कपिल देव ने 119 रनों की पारी खेली. पहली पारी में बड़ी बढ़त के बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी 5 विकेट पर 170 रन पर घोषित कर दी और टीम इंडिया के सामने जीत के लिए 348 रन का लक्ष्य रख दिया.
पांचवें और अंतिम दिन सुबह सबने यही मान लिया था कि या तो मैच ड्रॉ पर समाप्त होगा या ऑस्ट्रेलिया जीत दर्ज कर लेगा. खुद कप्तान बॉर्डर ने कहा था कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि भारत एक दिन में 348 रनों का पीछा कर सकता है, इसलिए वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे और उन्हें भरोसा था कि वह मैच जीत जाएंगे, लेकिन टीम इंडिया ने तो गजब ही कर दिया.
गावस्कर-शास्त्री का आक्रामक अंदाज
आमतौर पर धीमी बल्लेबाजी के लिए मशहूर टीम इंडिया के ओपनर महान सुनील गावस्कर ने मैदान के चारों ओर शॉट लगाने शुरू कर दिए. गावस्कर ने 90 रनों की पारी खेली, जिसमें 12 चौके और एक छक्का लगाया. के श्रीकांत ने 39, तो मोहिंदर अमरनाथ ने 51 रन की तेज पारी खेली. अजहरुद्दीन (42) और चंद्रकांत पंडित (39) ने भी बखूबी बैटिंग की. सुनील गावस्कर ने स्वभाव के विपरीत तेज बल्लेबाजी की और चारों ओर शॉट खेले (फाइल फोटो)
रवि शास्त्री ने एक छोर संभाले रखा था, लेकिन दूसरे छोर से धड़ाधड़ विकेट गिरने शुरू हो गए थे. टीम इंडिया ने 16 रन पर ही 4 विकेट खो दिए. टीम इंडिया का स्कोर 344 रन पर 9 विकेट हो गया और उसे जीत के लिए 4 रन बनाने थे. रवि शास्त्री स्ट्राइक पर थे. उन्होंने दो रन दौड़कर लिए और फिर सिंगल ले लिया, जिससे स्कोर बराबरी पर आ गया. मनिंदर सिंह ने चौथी गेंद को डिफेंड कर दिया. पांचवीं गेंद पर मनिंदर को अंपायर ने पगबाधा आउट दे दिया. गेंदबाज थे ग्रेग मैथ्यूज. फिर क्या जीत के करीब पहुंचकर टीम इंडिया वंचित रह गई और मैच टाई हो गया, जो टेस्ट इतिहास का महज दूसरा टाई मैच रहा. शास्त्री 40 गेंदों में 48 रन बनाकर नाबाद रहे. करीब 140 साल लंबे टेस्ट इतिहास में केवल दो टेस्ट मैच ही टाई हुए हैं और ऑस्ट्रेलियाई टीम दोनों बार रोमांचक क्रिकेट की गवाह रही है.
ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए मैच के अंतिम दिन 233 रन बनाने थे, लेकिन विंडीज टीम कहां हार मानने वाली थी. उसने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी के शीर्ष क्रम को झकझोर दिया. कंगारुओं ने 109 रन पर ही 6 विकेट गंवा दिए. हालांकि कप्तान रिची बेनो और एलन डेविडसन ने मोर्चा संभाले रखा और 134 रनों की साझेदारी करके टीम को मैच में वापस ला दिया. मुकाबला फिर रोमांचक हो गया. कंगारुओं को जीत के लिए केवल 7 रन चाहिए थे, तभी डेविडसन 80 रन पर आउट हो गए. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 6 रन बनाने थे. उसने तीन रन बना भी लिए.
अब दिन के अंतिम ओवर की चार गेंदें बाकी थीं, तभी बेनो (52) भी आउट हो गए. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए आखिरी तीन गेंदों पर 3 रन बनाने थे, लेकिन उसके अंतिम दो विकेट आखिरी की दो गेंदों पर गिर गए और वह भी रनआउट हुए और ऑस्ट्रेलिया ने जीता हुआ मैच गंवा दिया. इस प्रकार यह मैच टेस्ट इतिहास के पहले टाई मैच के रूप में दर्ज हो गया.
खास बात यह कि इन दोनों ही अवसरों पर एक टीम ऑस्ट्रेलिया की ही थी, जबकि अन्य टीमें भारत और वेस्टइंडीज की रहीं. हम बात कर रहे हैं टेस्ट के टाई रहे मैचों की, जो इतिहास में केवल दो ही बार हुआ है. चर्चा इसलिए भी बनती है, क्योंकि पहला टाई टेस्ट मैच ब्रिसबेन में ही खेला गया था, जबकि दूसरा 1986 में चेन्नई में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ था, जहां टीम इंडिया इस समय इंग्लैंड के साथ दो-दो हाथ कर रही है.
India vs Australia, Chennai Test, 1986
सबसे पहले बात टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए ऐतिहासिक टेस्ट मैच की करते हैं. हलांकि यह टेस्ट इतिहास की दृष्टि से टाई हुए महज दो टेस्ट मैचों में से दूसरे नंबर पर है.डीन जॉन्स ने उल्टियां करते हुए लगाया दोहरा शतक
यह टेस्ट मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चेन्नई में 18 से 22 सितंबर, 1986 को खेला गया था. यह भी सीरीज का पहला ही मैच था. ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. उसके मध्यक्रम के धुरंधर बल्लेबाज डीन जॉन्स अस्वस्थ थे और उस दिन लगातार उल्टियां कर रहे थे, फिर भी उन्होंने दोहरा शतक (210) लगा दिया, जबकि ओपनर डेविड बून ने 122 रन और कप्तान एलन बॉर्डर ने भी शतक जड़ा. इस प्रकार ऑस्ट्रेलिया ने 574 रनों का विशाल स्कोर बना दिया.
जवाब में टीम इंडिया पहली पारी में 397 रन ही बना सकी. कप्तान कपिल देव ने 119 रनों की पारी खेली. पहली पारी में बड़ी बढ़त के बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी 5 विकेट पर 170 रन पर घोषित कर दी और टीम इंडिया के सामने जीत के लिए 348 रन का लक्ष्य रख दिया.
टीम इंडिया के ऑलराउंडर कपिल देव ने भी शानदार शतक लगाया था (फाइल फोटो)
पांचवें और अंतिम दिन सुबह सबने यही मान लिया था कि या तो मैच ड्रॉ पर समाप्त होगा या ऑस्ट्रेलिया जीत दर्ज कर लेगा. खुद कप्तान बॉर्डर ने कहा था कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि भारत एक दिन में 348 रनों का पीछा कर सकता है, इसलिए वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे और उन्हें भरोसा था कि वह मैच जीत जाएंगे, लेकिन टीम इंडिया ने तो गजब ही कर दिया.
गावस्कर-शास्त्री का आक्रामक अंदाज
आमतौर पर धीमी बल्लेबाजी के लिए मशहूर टीम इंडिया के ओपनर महान सुनील गावस्कर ने मैदान के चारों ओर शॉट लगाने शुरू कर दिए. गावस्कर ने 90 रनों की पारी खेली, जिसमें 12 चौके और एक छक्का लगाया. के श्रीकांत ने 39, तो मोहिंदर अमरनाथ ने 51 रन की तेज पारी खेली. अजहरुद्दीन (42) और चंद्रकांत पंडित (39) ने भी बखूबी बैटिंग की.
रवि शास्त्री ने एक छोर संभाले रखा था, लेकिन दूसरे छोर से धड़ाधड़ विकेट गिरने शुरू हो गए थे. टीम इंडिया ने 16 रन पर ही 4 विकेट खो दिए. टीम इंडिया का स्कोर 344 रन पर 9 विकेट हो गया और उसे जीत के लिए 4 रन बनाने थे. रवि शास्त्री स्ट्राइक पर थे. उन्होंने दो रन दौड़कर लिए और फिर सिंगल ले लिया, जिससे स्कोर बराबरी पर आ गया. मनिंदर सिंह ने चौथी गेंद को डिफेंड कर दिया. पांचवीं गेंद पर मनिंदर को अंपायर ने पगबाधा आउट दे दिया. गेंदबाज थे ग्रेग मैथ्यूज. फिर क्या जीत के करीब पहुंचकर टीम इंडिया वंचित रह गई और मैच टाई हो गया, जो टेस्ट इतिहास का महज दूसरा टाई मैच रहा. शास्त्री 40 गेंदों में 48 रन बनाकर नाबाद रहे. करीब 140 साल लंबे टेस्ट इतिहास में केवल दो टेस्ट मैच ही टाई हुए हैं और ऑस्ट्रेलियाई टीम दोनों बार रोमांचक क्रिकेट की गवाह रही है.
Australia vs West indies, Birsbane Test, 1960
पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सोमवार को ब्रिसबेन के ऐतिहासिक मैदान पर खत्म हुए रोमांचक मैच से पहले भी इस पर सांसे थमा देने वाले कई मैच हो चुके हैं. यह मैदान टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पहले टाई मैच का भी गवाह रहा है. यह मैच 9-14 दिसंबर, 1960 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच हुआ था. विंडीज टीम की कप्तानी फ्रैंक वॉरेल कर रहे थे, तो ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिची बेनो (रिची बेनॉड) थे. उन दिनों विंडीज टीम बहुच मजबूत मानी जाती थी और उसने खेल भी कुछ ऐसा ही दिखाया. पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने 453 रन बनाए, जिसमें महान ऑलराउंडर सर गैरी सोबर्स की 132 रनों की तूफानी पारी का अहम योगदान रहा, लेकिन कंगारुओं ने संघर्ष का जज्बा दिखाते हुए अपनी धरती पर खेले जा रहे इस टेस्ट में विंडीज को तगड़ा जवाब दिया और पहली पारी में 505 रन बना दिए, जिसमें नॉर्म ऑनिल ने बड़ी शतकीय पारी (181 रन) खेली. इस प्रकार कंगारुओं को 52 रनों की अहम बढ़त हासिल हो गई, लेकिन दूसरी पारी में विंडीज बल्लेबाजी लड़खड़ा गई और 284 रन पर ही सिमट गई. ऐसे में लगने लगा कि ऑस्ट्रेलिया मैच को कब्जे में कर सकता है, लेकिन असली क्रिकेट का खेल तो अभी बाकी था.
पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सोमवार को ब्रिसबेन के ऐतिहासिक मैदान पर खत्म हुए रोमांचक मैच से पहले भी इस पर सांसे थमा देने वाले कई मैच हो चुके हैं. यह मैदान टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पहले टाई मैच का भी गवाह रहा है. यह मैच 9-14 दिसंबर, 1960 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच हुआ था. विंडीज टीम की कप्तानी फ्रैंक वॉरेल कर रहे थे, तो ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिची बेनो (रिची बेनॉड) थे. उन दिनों विंडीज टीम बहुच मजबूत मानी जाती थी और उसने खेल भी कुछ ऐसा ही दिखाया. पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने 453 रन बनाए, जिसमें महान ऑलराउंडर सर गैरी सोबर्स की 132 रनों की तूफानी पारी का अहम योगदान रहा, लेकिन कंगारुओं ने संघर्ष का जज्बा दिखाते हुए अपनी धरती पर खेले जा रहे इस टेस्ट में विंडीज को तगड़ा जवाब दिया और पहली पारी में 505 रन बना दिए, जिसमें नॉर्म ऑनिल ने बड़ी शतकीय पारी (181 रन) खेली. इस प्रकार कंगारुओं को 52 रनों की अहम बढ़त हासिल हो गई, लेकिन दूसरी पारी में विंडीज बल्लेबाजी लड़खड़ा गई और 284 रन पर ही सिमट गई. ऐसे में लगने लगा कि ऑस्ट्रेलिया मैच को कब्जे में कर सकता है, लेकिन असली क्रिकेट का खेल तो अभी बाकी था.
गैरी सोबर्स (बाएं) ने शानदार शतकीय पारी खेली थी (फाइल फोटो)
ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए मैच के अंतिम दिन 233 रन बनाने थे, लेकिन विंडीज टीम कहां हार मानने वाली थी. उसने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी के शीर्ष क्रम को झकझोर दिया. कंगारुओं ने 109 रन पर ही 6 विकेट गंवा दिए. हालांकि कप्तान रिची बेनो और एलन डेविडसन ने मोर्चा संभाले रखा और 134 रनों की साझेदारी करके टीम को मैच में वापस ला दिया. मुकाबला फिर रोमांचक हो गया. कंगारुओं को जीत के लिए केवल 7 रन चाहिए थे, तभी डेविडसन 80 रन पर आउट हो गए. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 6 रन बनाने थे. उसने तीन रन बना भी लिए.
अब दिन के अंतिम ओवर की चार गेंदें बाकी थीं, तभी बेनो (52) भी आउट हो गए. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए आखिरी तीन गेंदों पर 3 रन बनाने थे, लेकिन उसके अंतिम दो विकेट आखिरी की दो गेंदों पर गिर गए और वह भी रनआउट हुए और ऑस्ट्रेलिया ने जीता हुआ मैच गंवा दिया. इस प्रकार यह मैच टेस्ट इतिहास के पहले टाई मैच के रूप में दर्ज हो गया.
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