कोलकाता के ईडन गार्डन में खेले मैच में वीवीएस लक्ष्मण ने 281 रन बनाए थे. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वीवीएस लक्ष्मण, जब इस खिलाड़ी का नाम लिया जाता है तो सबसे पहले वह एक पारी याद की जाती है जो उन्होंने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईडन गार्डन में खेली थी. इस पारी ने लक्ष्मण को एक नई पहचान दी थी. अगर लक्ष्मण ने यह पारी नहीं खेली होती तो शायद वह अधिक समय तक क्रिकेट नहीं खेल पाते. क्योंकि इस पारी से पहले तक लक्ष्मण कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस टेस्ट मैच के शुरू होने से पहले तक लक्ष्मण के नाम सिर्फ एक शतक था। उनके चयन को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे थे.
सचिन के सामने सभी बल्लेबाज फीके नज़र आ रहे थे:
उस वक्त भारत के किसी एक खिलाड़ी को अगर लोग बल्लेबाजी करते हुए देखने चाहते थे तो वह थे सचिन तेंदुलकर। तेंदुलकर के बल्ले से निकला हर शॉट ताली बटोरता था. जब तेंदुलकर आउट हो जाया करते थे तो स्टेडियम में महौल शांत हो जाया करता था. उनके आउट होने के बाद लोग धीरे-धीरे स्टेडियम छोड़कर चले जाते थे। कोलकाता के ईडन गार्डन में 2001 में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के दौरान दूसरी पारी में जब सचिन जल्दी आउट हो गए तब लोग स्टेडियम छोड़कर जाने लगे. लेकिन अगले दिन बड़ी संख्या में लोग वापस स्टेडियम पहुंचे, लोगों की यह वापसी सचिन के लिए नहीं बल्कि वीवीएस लक्ष्मण के लिए थी।
जब लक्ष्मण ने सोचा था कि वह यह मैच नहीं खेल पाएंगे:
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच शुरू होने के तीन दिन पहले तक वीवीएस लक्ष्मण पूरी तरह फिट नहीं थे, प्रैक्टिस के दौरान स्टिफनेस के वजह से वह काफी तकलीफ़ में थे. उन्होंने सोच लिया था कि वह यह मैच नहीं खेल पाएंगे लेकिन फिज़ियोथैरेपिस्ट के सही इलाज़ के वजह से मैच से पहले लक्ष्मण पूरी तरह फिट हो गए और टीम में उन्हें जगह मिली। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुम्बई में खेला पहला टेस्ट मैच टीम बुरी तरह हार गई थी, इस वजह टीम काफी दवाब में थी. कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच को कम से कम ड्रा करवाकर टीम को अपनी लाज बचानी थी.
जब वीवीएस लक्ष्मण को कोच ने तीसरे स्थान पर बल्लेबाजी करने के लिए कहा:
फिर 11 मार्च 2001 को दोनों टीमों के बीच सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ। ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी के 445 रन की जवाब में भारत सिर्फ 171 रन बना पाया। भारत की तरफ से छठे स्थान पर बल्लेबाजी करने आए वीवीएस लक्ष्मण ने सबसे ज्यादा 59 रन बनाए थे और आखिरी खिलाड़ी के रूप में आउट हुए थे। अब भारत को फॉलोऑन खेलना था। लक्ष्मण ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था पहली पारी में आउट होने के बाद जब वह अपना लेग पैड उतार रहे थे तब कोच जॉन राइट उनके पास आए और पैड बांधे रखने के लिए कहा। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि दूसरी पारी में वह तीसरे स्थान पर बल्लेबाजी करेंगे। अब लक्ष्मण के ऊपर काफी दवाब था. भारत पहले पारी के तहत 274 रन की पीछे थी और लक्ष्मण थक भी गए थे. लेकिन लक्ष्मण के साथ सबसे अच्छी बात यह थी कि तीसरे स्थान पर बल्लेबाज के रूप में उनका काफी अनुभव था। साउथजोन के लिए खेलते हुए वह सिर्फ तीसरे या चौथे स्थान पर बल्लेबाजी करते थे.
सचिन जल्दी आउट हो गए, भारत पर बढ़ा दबाव:
पहले विकेट के रूप में एस रमेश के सिर्फ 30 रन बनाकर आउट होने के बाद वीवीएस लक्ष्मण बल्लेबाजी करने आए. क्रिकेट प्रेमियों को यह समझ नहीं आ रहा था कि द्रविड़, तेंदुलकर और गांगुली से पहले लक्ष्मण को बल्लेबाजी करने क्यों भेजा गया. लेकिन कुछ देर के बाद लोगों की भ्रम दूर हुआ। संभल कर खेलते हुए लक्ष्मण पारी को आगे ले गए। विकेट के एक छोर पर लक्ष्मण डटे हुए थे जबकि दूसरे छोर पर एक के बाद एक विकेट गिरते जा रहे थे. रमेश के बाद शिव सुन्दर दास सिर्फ 39 रन बनाकर आउट हो गए। चौथे स्थान पर बल्लेबाजी करने आए सचिन तेंदुलकर भी कुछ खास नहीं कर पाए. जब सिर्फ 10 रन बनाकर सचिन पवेलियन लौटे तब भारत का स्कोर सिर्फ 115 था. सचिन के आउट हो जाने के बाद भारत के ऊपर दवाब बढ़ गया। ऐसा लग रहा था कि टीम इंडिया यह मैच हार जाएगी। सचिन के बाद कप्तान सौरव गांगुली बल्लेबाजी करने आए और लक्ष्मण का साथ देते हुए पारी को आगे ले गए। लक्ष्मण और गांगुली के बीच 117 रन की साझेदारी हुई. गांगुली 48 रन बनाकर आउट हुए।
लक्ष्मण और द्रविड़ के बीच साझेदारी जो हमेशा याद किया जाएगा:
गांगुली के आउट होने के बाद राहुल द्रविड़ बल्लेबाजी करने आए। राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण के सबसे अच्छे दोस्त के साथ-साथ पसंदीदा खिलाड़ी भी थे. वीवीएस लक्ष्मण ने एक इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया था की वह द्रविड़ के जैसे एक अच्छे बल्लेबाज बनना चाहते थे। फिर ईडन गार्डन में जो कुछ देखने को मिला शायद ही वह आगे कभी देखने को मिले। साउथ जोन के लिए एक साथ खेलने वाले दोनों बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धुलाई करते हुए नजर आए. इस जोड़ी के सामने ऑस्ट्रेलिया के सभी गेंदबाज़ विफल साबित हुए।
दोनों के बीच 376 रनों की साझेदारी हुई। द्रविड़ 180 रन बनाकर आउट हुए जबकि लक्ष्मण ने 281 रन बनाए। भारत ने अपनी दूसरी पारी की घोषणा 657 रनों पर कर दी. इस तरह ऑस्ट्रेलिया के सामने 383 रन का लक्ष्य था. लक्ष्मण और द्रविड़ के बाद हरभजन सिंह ने अपना कमल दिखाया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के छह विकेट लेने में कामयाबी हासिल की और ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम सिर्फ 212 रन पर ऑल आउट हो गयी. इस तरह भारत ने इस मैच को 171 रन से जीत लिया था.
इस जीत ने भारतीय खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया. इस जीत के साथ यह एहसास हो गया कि भारत ऑस्ट्रेलिया जैसी शानदार टीम को हरा सकता है. इस जीत ने भारत को कई मैचों में दवाब में अच्छा खेलने के लिए प्रेरणा दी. सबसे बड़ी बात यह थी वीवीएस लक्ष्मण ने इस पारी के जरिए एक नई पहचान बनाई। लक्ष्मण के टेस्ट करियर को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे थे वह यहीं ख़त्म हो गए.
सचिन के सामने सभी बल्लेबाज फीके नज़र आ रहे थे:
उस वक्त भारत के किसी एक खिलाड़ी को अगर लोग बल्लेबाजी करते हुए देखने चाहते थे तो वह थे सचिन तेंदुलकर। तेंदुलकर के बल्ले से निकला हर शॉट ताली बटोरता था. जब तेंदुलकर आउट हो जाया करते थे तो स्टेडियम में महौल शांत हो जाया करता था. उनके आउट होने के बाद लोग धीरे-धीरे स्टेडियम छोड़कर चले जाते थे। कोलकाता के ईडन गार्डन में 2001 में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के दौरान दूसरी पारी में जब सचिन जल्दी आउट हो गए तब लोग स्टेडियम छोड़कर जाने लगे. लेकिन अगले दिन बड़ी संख्या में लोग वापस स्टेडियम पहुंचे, लोगों की यह वापसी सचिन के लिए नहीं बल्कि वीवीएस लक्ष्मण के लिए थी।
जब लक्ष्मण ने सोचा था कि वह यह मैच नहीं खेल पाएंगे:
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच शुरू होने के तीन दिन पहले तक वीवीएस लक्ष्मण पूरी तरह फिट नहीं थे, प्रैक्टिस के दौरान स्टिफनेस के वजह से वह काफी तकलीफ़ में थे. उन्होंने सोच लिया था कि वह यह मैच नहीं खेल पाएंगे लेकिन फिज़ियोथैरेपिस्ट के सही इलाज़ के वजह से मैच से पहले लक्ष्मण पूरी तरह फिट हो गए और टीम में उन्हें जगह मिली। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुम्बई में खेला पहला टेस्ट मैच टीम बुरी तरह हार गई थी, इस वजह टीम काफी दवाब में थी. कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच को कम से कम ड्रा करवाकर टीम को अपनी लाज बचानी थी.
जब वीवीएस लक्ष्मण को कोच ने तीसरे स्थान पर बल्लेबाजी करने के लिए कहा:
फिर 11 मार्च 2001 को दोनों टीमों के बीच सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ। ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी के 445 रन की जवाब में भारत सिर्फ 171 रन बना पाया। भारत की तरफ से छठे स्थान पर बल्लेबाजी करने आए वीवीएस लक्ष्मण ने सबसे ज्यादा 59 रन बनाए थे और आखिरी खिलाड़ी के रूप में आउट हुए थे। अब भारत को फॉलोऑन खेलना था। लक्ष्मण ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था पहली पारी में आउट होने के बाद जब वह अपना लेग पैड उतार रहे थे तब कोच जॉन राइट उनके पास आए और पैड बांधे रखने के लिए कहा। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि दूसरी पारी में वह तीसरे स्थान पर बल्लेबाजी करेंगे। अब लक्ष्मण के ऊपर काफी दवाब था. भारत पहले पारी के तहत 274 रन की पीछे थी और लक्ष्मण थक भी गए थे. लेकिन लक्ष्मण के साथ सबसे अच्छी बात यह थी कि तीसरे स्थान पर बल्लेबाज के रूप में उनका काफी अनुभव था। साउथजोन के लिए खेलते हुए वह सिर्फ तीसरे या चौथे स्थान पर बल्लेबाजी करते थे.
सचिन जल्दी आउट हो गए, भारत पर बढ़ा दबाव:
पहले विकेट के रूप में एस रमेश के सिर्फ 30 रन बनाकर आउट होने के बाद वीवीएस लक्ष्मण बल्लेबाजी करने आए. क्रिकेट प्रेमियों को यह समझ नहीं आ रहा था कि द्रविड़, तेंदुलकर और गांगुली से पहले लक्ष्मण को बल्लेबाजी करने क्यों भेजा गया. लेकिन कुछ देर के बाद लोगों की भ्रम दूर हुआ। संभल कर खेलते हुए लक्ष्मण पारी को आगे ले गए। विकेट के एक छोर पर लक्ष्मण डटे हुए थे जबकि दूसरे छोर पर एक के बाद एक विकेट गिरते जा रहे थे. रमेश के बाद शिव सुन्दर दास सिर्फ 39 रन बनाकर आउट हो गए। चौथे स्थान पर बल्लेबाजी करने आए सचिन तेंदुलकर भी कुछ खास नहीं कर पाए. जब सिर्फ 10 रन बनाकर सचिन पवेलियन लौटे तब भारत का स्कोर सिर्फ 115 था. सचिन के आउट हो जाने के बाद भारत के ऊपर दवाब बढ़ गया। ऐसा लग रहा था कि टीम इंडिया यह मैच हार जाएगी। सचिन के बाद कप्तान सौरव गांगुली बल्लेबाजी करने आए और लक्ष्मण का साथ देते हुए पारी को आगे ले गए। लक्ष्मण और गांगुली के बीच 117 रन की साझेदारी हुई. गांगुली 48 रन बनाकर आउट हुए।
लक्ष्मण और द्रविड़ के बीच साझेदारी जो हमेशा याद किया जाएगा:
गांगुली के आउट होने के बाद राहुल द्रविड़ बल्लेबाजी करने आए। राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण के सबसे अच्छे दोस्त के साथ-साथ पसंदीदा खिलाड़ी भी थे. वीवीएस लक्ष्मण ने एक इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया था की वह द्रविड़ के जैसे एक अच्छे बल्लेबाज बनना चाहते थे। फिर ईडन गार्डन में जो कुछ देखने को मिला शायद ही वह आगे कभी देखने को मिले। साउथ जोन के लिए एक साथ खेलने वाले दोनों बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धुलाई करते हुए नजर आए. इस जोड़ी के सामने ऑस्ट्रेलिया के सभी गेंदबाज़ विफल साबित हुए।
दोनों के बीच 376 रनों की साझेदारी हुई। द्रविड़ 180 रन बनाकर आउट हुए जबकि लक्ष्मण ने 281 रन बनाए। भारत ने अपनी दूसरी पारी की घोषणा 657 रनों पर कर दी. इस तरह ऑस्ट्रेलिया के सामने 383 रन का लक्ष्य था. लक्ष्मण और द्रविड़ के बाद हरभजन सिंह ने अपना कमल दिखाया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के छह विकेट लेने में कामयाबी हासिल की और ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम सिर्फ 212 रन पर ऑल आउट हो गयी. इस तरह भारत ने इस मैच को 171 रन से जीत लिया था.
इस जीत ने भारतीय खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया. इस जीत के साथ यह एहसास हो गया कि भारत ऑस्ट्रेलिया जैसी शानदार टीम को हरा सकता है. इस जीत ने भारत को कई मैचों में दवाब में अच्छा खेलने के लिए प्रेरणा दी. सबसे बड़ी बात यह थी वीवीएस लक्ष्मण ने इस पारी के जरिए एक नई पहचान बनाई। लक्ष्मण के टेस्ट करियर को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे थे वह यहीं ख़त्म हो गए.
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