रायपुर:
छत्तीसगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 45 अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न शिकायती प्रकरण लंबित हैं। इनमें से दो अधिकारियों के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो में मामला दर्ज किया गया है। वहीं तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ परिवार को लाभ पहुंचाने तथा परिवार द्वारा एनजीओ संचालित करने के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है।
विधानसभा में सवाल के जवाब में दी जानकारी
विधानसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायक देवजी भाई पटेल के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बताया कि इस वर्ष 17 नवंबर तक भारतीय प्रशानिक सेवा के 45 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत लंबित है। सिंह ने बताया कि 45 अधिकारियों में से दो अधिकारियों मंत्रालय में पदस्थ संयुक्त सचिव जेल और परिवहन विभाग वीके धुर्वे और अवर सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग रणवीर शर्मा के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो में मामला दर्ज है।
फर्जी वाहनों के बिलों का भुगतान
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरगुजा जिले के तत्कालीन प्रोटोकाल अधिकारी और अपर कलेक्टर पर आरोप है कि उन्होंने वाहनों का किराया, निर्धारित दर से अधिक दर पर भुगतान किया है। बिलों में वाहनों का प्रकार कुछ और बताया गया है जबकि आरटीओ से सत्यापन कराने पर बिल में लिखित वाहन नहीं पाया गया है। अर्थात प्रोटोकाल अधिकारी द्वारा फर्जी वाहनों के बिल बनाकर भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि बिल में जिस वाहन को टाटा डेकार बताया गया था उसे क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा मोटर साइकिल बताया गया है।
धुर्वे के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने वाहनों के लिए निर्धारित दर के अलावा मनमाने और अधिक दर पर किराया भुगतान कर वाहन मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाया है।
विधानसभा में सवाल के जवाब में दी जानकारी
विधानसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायक देवजी भाई पटेल के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बताया कि इस वर्ष 17 नवंबर तक भारतीय प्रशानिक सेवा के 45 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत लंबित है। सिंह ने बताया कि 45 अधिकारियों में से दो अधिकारियों मंत्रालय में पदस्थ संयुक्त सचिव जेल और परिवहन विभाग वीके धुर्वे और अवर सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग रणवीर शर्मा के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो में मामला दर्ज है।
फर्जी वाहनों के बिलों का भुगतान
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरगुजा जिले के तत्कालीन प्रोटोकाल अधिकारी और अपर कलेक्टर पर आरोप है कि उन्होंने वाहनों का किराया, निर्धारित दर से अधिक दर पर भुगतान किया है। बिलों में वाहनों का प्रकार कुछ और बताया गया है जबकि आरटीओ से सत्यापन कराने पर बिल में लिखित वाहन नहीं पाया गया है। अर्थात प्रोटोकाल अधिकारी द्वारा फर्जी वाहनों के बिल बनाकर भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि बिल में जिस वाहन को टाटा डेकार बताया गया था उसे क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा मोटर साइकिल बताया गया है।
धुर्वे के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने वाहनों के लिए निर्धारित दर के अलावा मनमाने और अधिक दर पर किराया भुगतान कर वाहन मालिकों को अनुचित लाभ पहुंचाया है।
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