विज्ञापन
This Article is From Nov 29, 2020

मुंबई : लॉकडाउन का आर्थिक कमजोर तबके पर बुरा असर, पटरी पर नहीं लौट पा रही जिंदगी

घोषणाएं बहुत हुईं लेकिन मजदूरों को नहीं मिली कोई सहायता, सूचना के अधिकार से हासिल जानकारी से सरकार के दावों की सच्चाई सामने आई

मुंबई : लॉकडाउन का आर्थिक कमजोर तबके पर बुरा असर, पटरी पर नहीं लौट पा रही जिंदगी
प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:

कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरे लहर के खतरे को देखते हुए जहां कई जगहों पर नाईट कर्फ्यू की शुरुआत की गई है और भविष्य में सख्ती बरतने की बात की जा रही है, तो वहीं मुंबई (Mumbai) में ऐसे कई मजदूर हैं जो पहले लॉकडाउन (Lockdown) की परेशानी से अब तक नहीं उबर पाए हैं. साथ ही सरकार (Government) ने जो मदद देने की घोषणा की थी, वह भी उनके पास अब तक नहीं पहुंच पाई है.

मुंबई के मानखुर्द इलाके में एक छोटी सी झुग्गी में रहने वाली 67 वर्षीय कौसर शेख डाइबिटीज की मरीज हैं. उनके परिवार में कोई नहीं है. तबीयत खराब रहने की वजह से वह अब काम पर नहीं जा पाती हैं. लॉकडाउन से पहले स्थानीय लोग उनकी मदद कर देते थे, लेकिन अब लोगों की हालत खराब है तो उनकी मदद भी बहुत कम लोग करते हैं. कुछ साल पहले उनके पति का देहांत हो गया था. डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से कोई पेंशन भी उन्हें नहीं मिलती. वह पूरी तरह अन्य लोगों पर निर्भर हैं. अगर कोई खाना देता है तो खाती हैं, वरना भूखी सो जाती हैं.

कौसर शेख ने कहा कि ''किसी का मन होता है तो शाम को कोई देता है या सुबह.. अगर नहीं देता है तो ऐसे ही रहती हूं.. क्या कर सकते हैं.. राशन में दो किलो चावल और 3 किलो गेहूं मिलता है.. उससे क्या होगा? भाजी नहीं खरीद पाती हूं..रूखा-सूखा खाती हूं. सरकार से कभी कुछ नहीं हुआ.''

यही हाल असरु निशा और उनके परिवार का है. उनके पति मजदूरी करते हैं लेकिन बहुत समय तक कोई काम नहीं मिला. अब भी कभी काम होता है, कभी नही.. छोटा सा घर है, उसी में बच्चे और पूरा परिवार रहता है. लॉकडाउन में जो उधार लिया वो नहीं चुका पा रहे हैं. अभी काम नहीं मिलने पर पैसे भी नहीं मिल रहे हैं. असरु निशा कहती हैं कि ''परेशानी बहुत है, ना खाने मिलता है, ना पैसा मिलता है, ना कुछ पहनने मिलता है. लॉकडाउन है, अब तो लॉकडाउन खत्म होना चाहिए ना.''

मुंबई सहित देशभर की तमाम झुग्गियों में इसी तरह की कहानियां मौजूद हैं. महिला मंडल फेडरेशन की सचिव मुमताज़ का कहना है कि ''ऐसे लोग जो दूसरों पर निर्भर हैं, उन पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा है. जैसे नाका कामगार, कचरा चुनने वाले लोग, घर काम करने वाले लोग, ट्रांसजेंडर लोग, इन सभी पर ज़्यादा असर हुआ है.''

सरकार की ओर से लोगों को लॉकडाउन में होने वाली परेशानियों से राहत दिलाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया गया लेकिन अब RTI में पता चला है कि अब तक करीब 3 लाख करोड़ रुपयों का ही अनुमोदन हुआ है. इसे लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं.

RTI कार्यकर्ता प्रफुल सारदा ने बताया कि ''जो जवाब मुझे मिला है उससे पता चलता है कि सरकार ने जुमला किया है.. अब तक सिर्फ 3 लाख करोड़ सेंक्शन हुए हैं. उसमें से भी एक लाख 18 हज़ार करोड़ रुपये ही डिस्पर्स हुए हैं, बाकी के 17-18 लाख करोड़ के पैकेज का क्या हुआ? आम आदमी को इससे कोई राहत नहीं मिली है.''

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com