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This Article is From Nov 18, 2020

मुंबई में हर दिन एक युवा की कोविड से मौत, 40 से कम उम्र के लोगों की संख्या ज्यादा

Mumbai Coronavirus: करीब दो महीनों में 67 युवाओं की मौत, 40 से कम उम्र के 500 से अधिक मरीज़ों की मौत, कुल मौतों में 5 प्रतिशत मौतें युवाओं की

मुंबई में हर दिन एक युवा की कोविड से मौत, 40 से कम उम्र के लोगों की संख्या ज्यादा
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
513 युवाओं की मौत, 30 से 39 साल के 346 मरीजों की जान गई
BMC टास्क फ़ोर्स ने कहा- बहुत लापरवाही बरत रहे हैं युवा
50 से कम उम्र के मरीजों के बचने की संभावना 99 प्रतिशत
मुंबई:

Mumbai Coronavirus: मुंबई में लगभग हर दिन एक युवा की कोविड से जान जा रही है. चालीस से कम उम्र के 513 युवा अब तक जान गंवा चुके हैं. टास्क फ़ोर्स मानती है कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लापरवाही है क्योंकि 40 से उम्र के मरीज़ों के बचने की उम्मीद 90 प्रतिशत से ज़्यादा होती है बशर्ते वो समय पर जांच और इलाज कराएं. मुंबई में 40 से कम उम्र वाले मरीज़ की कोरोना से मौतों की संख्या 500 पार हो चुकी है. मुंबई में हुई कुल मौतों में  करीब 5 प्रतिशत मौतें युवाओं की हैं. BMC के डैशबोर्ड के अनुसार 16 नवम्बर तक 40 से कम उम्र के 513 मरीज़ों की मौत हुई है और इनमें सबसे ज़्यादा हैं 30 से उम्र के मरीज़. 30 से 39 साल के 346 युवाओं की कोविड से जान गई है.

दो सितम्बर का डैशबोर्ड देखें तो पता चलता है कि क़रीब दो महीनों में 67 युवाओं की कोविड से मौत हुई है. यानी मुंबई में हर दिन एक युवा कोविड से जान गंवा रहा है. बीएमसी टास्क फोर्स के सदस्य डॉ गौतम भंसाली कहते हैं कि युवाओं द्वारा बरती जा रही लापरवाही इसका मुख्य कारण है. डॉ गौतम भंसाली ने कहा कि ‘'लापरवाही सबसे बड़ा कारण है, हास्पिटल लेट पहुंचते हैं, उनके मन में रहता है हम यंग हैं, हमारी इम्युनिटी अच्छी है, हमारा कुछ बिगड़ेगा नहीं. दूसरा हफ़्ता बहुत ज़रूरी होता है कोविड में जब हैप्पी hypoxia मतलब तुरंत ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है. जब तक आप भागते हो तब तक आप बहुत देर कर चुके होते हो. ये सबसे बड़ा कारण है युवा मरीज़ों की डेथ का. मेडिसिन नहीं लेते हैं, डॉक्टर के सम्पर्क में नहीं रहते उनको लगता है हम ऐसे ही ठीक हो जाएंगे. ‘'

महाराष्ट्र कोविड टास्क फ़ोर्स के डॉक्टर राहुल पंडित कहते हैं कि मोटापा, डायबिटीज़, हार्ट-किडनी की दिक़्क़त वाले युवा मरीज़ों को ज़्यादा ख़तरा है. डॉ राहुल पंडित ने कहा कि ''मृत मरीज़ों की जांच की तह तक जाएं तो पता चलता है कि इनको हार्ट, किडनी की दिक़्क़त थी. कई मरीज़ मोटापे के भी शिकार थे और इसकी वजह से इनका रिस्क फ़ैक्टर बढ़ गया था. इस वजह से उनकी कोविड से मौत हुई.''

एक्सपर्ट बताते हैं कि बाकी बीमारियों के रिस्क फ़ैक्टर वाले युवा कोविड मरीज़ अगर समय पर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचें तो बचने की उम्मीद काफ़ी ज़्यादा है. BMC-BKC जंबो फ़ैसिलिटी के डीन डॉ राजेश डेरे ने कहा कि ‘'पचास साल के अंदर के लोगों का 99% क्योर है, अगर वो तुरंत डॉक्टर के पास आते हैं तो. यंग एज के लोगों को ख़बरदार रहने की ज़रूरत है. बुखार या कोई भी लक्षण दिखे फौरन जांच करवाएं. BMC या सरकारी हॉस्पिटल में पॉज़िटिव हैं तो तुरंत ट्रीटमेंट करवाइए.''

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बिना लक्षण वाले युवा मरीज़ वायरस तेज़ी से फैलाते हैं इसलिए अपनी जान के साथ-साथ अपनों की ख़ातिर भी कोविड लक्षण को नज़रंदाज़ करना घातक है.

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