
Fertility Preservation: कैंसर न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करता है, बल्कि यह प्रजनन क्षमता पर भी गहरा असर डाल सकता है. युवा मरीजों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी से डिम्बग्रंथि (ओवरी) और शुक्राणु कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, एडवांस तकनीकों के जरिए फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन संभव है, जिससे मरीज भविष्य में अपनी संतान की योजना बना सकते हैं.
कैंसर और प्रजनन क्षमता पर प्रभाव (Effects on Cancer And Fertility)
कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाले कुछ तरीके सीधे पुरुषों और महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं.
कीमोथेरेपी: स्पर्म और एग सेल्स को नुकसान पहुंचा सकती है.
रेडिएशन थेरेपी: रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को प्रभावित कर सकती है.
सर्जरी: कुछ मामलों में रिप्रोडक्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती है.
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युवा मरीजों के लिए प्रजनन क्षमता बचाने की रणनीतियां
पुरुषों के लिए:
स्पर्म फ्रीजिंग (शुक्राणु संरक्षण): इलाज से पहले स्पर्म को सुरक्षित रखा जाता है.
टेस्टिकुलर टिशू फ्रीजिंग: अगर स्पर्म सेल्स उपलब्ध नहीं हैं, तो टिशू संरक्षित किया जाता है.
महिलाओं के लिए:
एग फ्रीजिंग (अंडाणु संरक्षण): अंडाणु को संरक्षित किया जाता है ताकि भविष्य में इस्तेमाल किया जा सके.
ओवरी टिशू प्रिजर्वेशन: ओवरी टिशू को फ्रीज करके भविष्य में रिप्लांट किया जाता है.
एम्ब्रियो फ्रीजिंग: अगर मरीज विवाहित है, तो उनके अंडाणु और शुक्राणु से भ्रूण संरक्षित किया जा सकता है.
युवा कैंसर मरीजों को अपनी फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के बारे में जागरूक होने की जरूरत है. डॉक्टरों से सलाह लेकर सही रणनीति अपनाने से भविष्य में संतान का सुख पाया जा सकता है. कैंसर से लड़ते हुए भी हम अपनी जीवन योजनाओं को सुरक्षित रख सकते हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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