दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल और शौकिया बॉडी बिल्डर रोज़र आखिर कैसे जीते कैंसर की जंग?

दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रोजर अगर अपना कम्पलीट हेल्थ चेकअप नहीं करवाते तो निश्चित ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की जकड़ में आकर जान जोखिम में डाल लेते

दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल और शौकिया बॉडी बिल्डर रोज़र आखिर कैसे जीते कैंसर की जंग?

दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल और शौकिया बॉडी बिल्डर रोज़र अब स्वस्थ हो गए हैं.

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल और 6 फीट 2 इंच के 52 साल के शौकिया बॉडी बिल्डर रोज़र आखिर कैंसर की जंग कैसे जीते? इसकी कहानी काफी रोचक है. दिल्ली पुलिस के यह हेड कांस्टेबल अगर अपना कम्पलीट हेल्थ चेकअप नहीं करवाते तो निश्चित ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की जकड़ में आकर जान जोखिम में डाल लेते. करीब एक लाख की फोर्स वाली दिल्ली पुलिस में इससे पहले कभी कम्पलीट हेल्थ चेकअप कार्यक्रम नहीं हुआ था. दिल्ली के पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने पहली बार महकमे के 40 साल से अधिक उम्र के जवानों और अधिकारियों के लिए पिछले दिसम्बर में कम्पलीट हेल्थ चेकअप कार्यक्रम की शुरुआत कराई. 

इस हेल्थ चेकअप में तमाम पुलिसकर्मियों के साथ दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल और क्राइम ब्रांच में बतौर फोटोग्राफर तैनात 52 साल के आर रोजर जोसफ ने भी अपना कम्पलीट बॉडी हेल्थ चेकअप करवाया. जांच के दौरान लंबे-चौड़े और एकदम फिट रोज़र हैरान रह गए जब डॉक्टरों ने उनसे यूरोलॉजी विभाग में तुरंत टेस्ट करवाने के लिए कहा. इसके बाद दिल्ली के RML अस्पताल में रोज़र का अल्ट्रासाउंड किया गया. वहां डॉक्टरों ने रोज़र को बताया कि उसे यूरिन ब्लेडर में कैंसर है. उन्हें तुरंत एम्स में सर्जरी कराने की सलाह भी दी गई. एम्स में रोज़र की वक्त रहते महज तीन दिन में सर्जरी हुई और उसके केंसर को जड़ से खत्म कर दिया गया. 

रोज़र ने इसके पहले नॉर्मल बॉडी हैल्थ चैकअप जरूर करवाया था पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर की पहल पर पहली बार महकमे के 40 साल के अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों के लिए इस हेल्थ कार्यक्रम की बदौलत रोज़र वक्त रहते अपने केंसर के बारे में जान पाए और समय पर इलाज कराकर वे आज फिर से पूरी तरह फिट हैं. 

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आप रोज़र की कद काठी देखकर बिल्कुल यकीन नहीं कर सकते हैं कि एक बॉडी बिल्डर जो घंटों जिम में पसीना बहाता हो, केंसर के साथ पिछले कई साल से जी रहा था. अगर वक्त रहते उसे कैंसर ने बारे में पता नही चलता तो रोज़र की जान जोखिम में पड़ सकती थी.