प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
आनंद विहार के बाद आरके पुरम दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका है और देश में प्रदूषण के मामले में तीसरे नंबर पर। आखिर इसके पीछे वजह क्या है? टटोलने निकला तो आरके पुरम में दिखा धुएं का गुबार और जगह जगह जलता कूड़ा। जब कूड़े का ढेर लगा तो साफ-सफाई के नाम पर सेहत से बेख़बर लोगों ने आग लगा दी। मानो पता ही नहीं कि धुंए में पार्टिकुलेट मैटर होता है जो सेहत के लिए खतरनाक है। इतना ही नहीं आरके पुरम में कई जगहों पर झुग्गियां हैं और जब इनके घरों में खाना पकता है तो गैस नहीं, चूल्हा जलता है। जहां जलावन का इस्तेमाल होता है।
सड़क किनारे लोहे के औजार बनाने वाले लोग कोयला जलाते हैं
इलाके में दम घुटने की और भी वजहें हैं। यहां इंडस्ट्री तो नहीं, लेकिन सड़क किनारे लोहे के औजार बनाने वाले लोग कोयला जलाते आसानी से दिख जाएंगे। नतीजा प्रदूषण। आरके पुरम सेक्टर दो में रहने वाले और पेशे से सरकारी कर्मचारी सुरेश ने कूड़े जलाने पर दलील दी कि जब साफ सफाई वाले नहीं आएंगे तो कूड़े में आग लगाना ही पड़ेगा। क्या करें कोई और रास्ता ही नहीं। फिर झुग्गी की ममता ने अपना दुखड़ा रोया। हम तो चूल्हे पर ही खाना पकाते हैं। जलावन का ही सहारा है। गरीब का और क्या सहारा है भईया।
सबसे ज्यादा खतरा फेफड़े और सांस की बीमारी
आरके पुरम सेक्टर 2 के केंद्रीय विद्यालय में दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की तरफ से लगाए गए पार्टिकुलेट मैटर सैंपलर से प्रदूषण के लेवल की जानकारी मिलती है। TOXICS LINK के डॉ प्रशांत राजनकर बताते हैं कि हवा में पार्टिकुलेट मैटर इंडस्ट्रियल, वेहिक्यूलर, कंस्ट्रक्शन, स्वीपिंग और बर्निंग एक्टिविटी से आता है। इससे सबसे ज्यादा खतरा फेफड़े और सांस की बीमारी को लेकर रहता है।
एक तरफ आउटर रिंग रोड तो दूसरी तरफ रिंग रोड
आरके पुरम की सांस फूलने की एक बड़ी वजह यहां से कुछ दूर है। एक तरफ आउटर रिंग रोड तो दूसरी तरफ रिंग रोड और इन सड़कों पर दिन रात भीतर-बाहर के ट्रैफिक का भारी दबाव। फिलहाल दिल्ली में रोजाना करीब 40 हजार ट्रक दाखिल होते हैं और इनमें से एक बड़ी संख्या गुड़गांव, फरीदाबाद और नोएडा से आने-जाने के लिए आरके पुरम के बगल से गुजरती हैं।
सड़क किनारे लोहे के औजार बनाने वाले लोग कोयला जलाते हैं
इलाके में दम घुटने की और भी वजहें हैं। यहां इंडस्ट्री तो नहीं, लेकिन सड़क किनारे लोहे के औजार बनाने वाले लोग कोयला जलाते आसानी से दिख जाएंगे। नतीजा प्रदूषण। आरके पुरम सेक्टर दो में रहने वाले और पेशे से सरकारी कर्मचारी सुरेश ने कूड़े जलाने पर दलील दी कि जब साफ सफाई वाले नहीं आएंगे तो कूड़े में आग लगाना ही पड़ेगा। क्या करें कोई और रास्ता ही नहीं। फिर झुग्गी की ममता ने अपना दुखड़ा रोया। हम तो चूल्हे पर ही खाना पकाते हैं। जलावन का ही सहारा है। गरीब का और क्या सहारा है भईया।
सबसे ज्यादा खतरा फेफड़े और सांस की बीमारी
आरके पुरम सेक्टर 2 के केंद्रीय विद्यालय में दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की तरफ से लगाए गए पार्टिकुलेट मैटर सैंपलर से प्रदूषण के लेवल की जानकारी मिलती है। TOXICS LINK के डॉ प्रशांत राजनकर बताते हैं कि हवा में पार्टिकुलेट मैटर इंडस्ट्रियल, वेहिक्यूलर, कंस्ट्रक्शन, स्वीपिंग और बर्निंग एक्टिविटी से आता है। इससे सबसे ज्यादा खतरा फेफड़े और सांस की बीमारी को लेकर रहता है।
एक तरफ आउटर रिंग रोड तो दूसरी तरफ रिंग रोड
आरके पुरम की सांस फूलने की एक बड़ी वजह यहां से कुछ दूर है। एक तरफ आउटर रिंग रोड तो दूसरी तरफ रिंग रोड और इन सड़कों पर दिन रात भीतर-बाहर के ट्रैफिक का भारी दबाव। फिलहाल दिल्ली में रोजाना करीब 40 हजार ट्रक दाखिल होते हैं और इनमें से एक बड़ी संख्या गुड़गांव, फरीदाबाद और नोएडा से आने-जाने के लिए आरके पुरम के बगल से गुजरती हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं